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एकपादासन क्या है इसे कैसे करते हैं और इसे करने के क्या फायदे है

इस लेख में हम जानेंगे कि एकपादासन क्या है और कैसे करते हैं.और इसे करने के क्या फायदे हैं ऐसे कई आसन हैं जिसे करने से हमे लाभ प्राप्त होता है तो वही दूसरी तरफ हमे हानि भी हो सकती हम आज इससे होने वाली फायदों पर चर्चा करेंगे आइए जाने एकपादासन क्या है. एकपादासन क्या है एकपादासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है  एकपद + आसन जिसका अर्थ होता है एक पैरों पर खड़ा होने वाला आसन इसमे हम एक पैरों पर खड़े होकर इस आसन को करते है. इस आसन को करने से हमारे शरीर को बहुत फायदे होते है इसलिए इस आसन को एकपादासन कहते हैं. हमने अभी तक जाना कि एकपादासन क्या होता है. अब हम आगे के लेख में जानेंगे कि एकपादासन कैसे किया जाता है इसे करने की क्या विधियां है. आइए जाने इसे कैसे करते हैं. एकपादासन करने की विधि क्या है विधि - सीधा खड़ा होकर, रेचक करके सांस बाहर निकालें. उसके पश्चात एक पैर को घुटने से मोड़ कर दूसरे पैर के जंघामूल में रखें और कुंभक कायम रखते हुए, अंगूठों के पास वाली अंगुली को अंगूठे के मूल में लगाकर दोनों हाथों को सामने बिल्कुल सीधा रखें। दृष्टि बिल्कुल सीधी रखें. पैर बदलते समय पूरक व रेचक गहराई से किया क...

त्रिकोणासन क्या है और कैसे करे इसे करने के क्या फायदे है

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इस लेख के हम जानेंगे कि त्रिकोणासन क्या है और कैसे करते है त्रिकोणासन करने से क्या फायदे होते हैं इन बातों पर चर्चा करेंगे. तो आइए जाने त्रिकोण आसन किसे कहते है. त्रिकोणासन दो शब्दों से मिलकर बना है त्रिकोण + आसन इसका अर्थ है त्रिकोण की तरह बैठना होता है. इस आसन को करते समय शरीर की अवस्था त्रिकोण के समान हो जाती है अतः इसीलिए इस आसन को त्रिकोण आसन कहा जाता है.  त्रिकोणासन कैसे करें दोनों पैर लगभग 2 फुट की दूरी तक फैला कर सावधान की स्थिति में खड़े हो इसके पश्चात एक पैर बगल की ओर मोड़ें और इतना मोड़ें कि वह समकोण की स्थिति में हो जाए. उसके बाद रेचक करके जो पैर मोड़ा हो उसी और के हाथ से उस पैर को स्पर्श करें तथा दूसरा हाथ सिर की ओर खींचकर ऐसे लगाएं जिससे वह उस ओर के कान को स्पर्श कर सकें. इसी प्रकार दूसरे पैर को मोड़कर दूसरी ओर भी करें. इस आसन को सावधानी  पूर्वक करें. इस आसन को करते समय शरीर में स्थिरता नहीं आनी चाहिए. आसन को धीरे धीरे धीरे धैर्यपूर्वक करना चाहिए. आसन करते समय शरीर के अंगों को मोड़ते समय सावधानी रखें और मेरुदंड सीधा रखें. एक तरफ कर लेने पर जब सीधे खड़े हो जाएं तब प...

भुजंगासन क्या है और कैसे किया जाता है और उसके लाभ क्या है

इस लेख में आज हम जानेंगे कि भुजंगासन क्या है, इसको करने की विधि क्या है इस कैसे करते है, और इसे करने का क्या लाभ है इन सभी बातों को जानने का प्रयास करेंगे. तो आइए जानते है भुजंगासन क्या है. भुजंगासन क्या है  भुजंगासन दो शब्दों से मिलकर बना है भुजंग + आसन  जिसमें भुजंग का अर्थ है साँप और आसन  का अर्थ बैठने की मुद्रा को हम आसन कहते हैं.  साँप की तरह बैठने को भुजंगासन कहा जाता है इसे भुजंगासन इसलिए कहते है. क्योंकि ये फन उठाए हुए सांप के समान स्वरुप बन जाने के कारण ही इसे भुजंगासन कहा जाता है.  भुजंगासन करने की विधि विधि -  समतल भूमि पर दरी या  कंबल बिछाकर पेट के बल सीधे लेट जाए. दोनों हाथों को शरीर के दोनों ओर कंधो के नीचे इस प्रकार रखें कि हाथ की अंगुलियां और अंगूठे आपस में मिले रहे. कोहनियां पेट के पास लाएं और सांस को अंदर भरते हुए छाती को उठाते हुए चले जाएं जैसे सांप का फन उठता है नाभि से ऊपर का सारा भाग ऊपर उठना चाहिए परंतु नाभि भूमि को छूती रहे हाथों पर शरीर का भर पड़ने दे फिर स्वास छोड़ते हुए वापिस आ जाएं. सुविधानुसार इस आसन को कई बार कर सकते हैं. ...

चक्र क्या है, ये कितने प्रकार के होते है उनका परिचय

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चक्र क्या है चक्र -  चक्र को संस्कृत में चक्का या पहिया कहते हैं. हमारे शास्त्र अथवा वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे शरीर में 114 तत्व उपस्थित हैं जिनमें से मुख्य सात चक्र हैं.  कुंडली जागृत होकर जब सुषम्ना नाड़ी में गति करती है. तो शरीर में स्थित चक्रों का भेदन करती चलती है. यह चक्र गति से ही जागृत होते हैं. इन चक्रों की संख्या सात कही गई है। जो कि निम्नलिखित हैं.  मूलाधार चक्र स्वाधिष्ठान चक्र मणिपूरक चक्र अनाहत चक्र विशुद्ध चक्र आज्ञा चक्र सहस्त्रार चक्र यही चक्र कुंडली शक्ति का मार्ग है. आइए जानते हैं इन चक्रों के बारे में विस्तार पूर्वक कुछ बातें. सातों चक्रों का परिचय    मूलाधार चक्र - यह चक्र शरीर में गुदा मूल से दो अंगुल ऊपर और उपस्थ मूल से दो अंगुल नीचे होता है. इस प्रदेश को सिवनी कहते हैं. मूलबंध में इसी प्रदेश को दबाया जाता है. इसकी आकृति चार पंखुड़ियों वाले कमल के समान बताई जाती है. चिकित्सा विज्ञानी इसे हड्डियों मांस चमड़ी तथा केश उत्पत्ति और नियंत्रित करने वाली सभी नस-नाड़ियों का केंद्र मानते हैं. यह पचाये हुए भोजन के विसर्जित पदार्थों को बाहर निकालता ...