भुजंगासन क्या है और कैसे किया जाता है और उसके लाभ क्या है
इस लेख में आज हम जानेंगे कि भुजंगासन क्या है, इसको करने की विधि क्या है इस कैसे करते है, और इसे करने का क्या लाभ है इन सभी बातों को जानने का प्रयास करेंगे. तो आइए जानते है भुजंगासन क्या है.
भुजंगासन क्या है
भुजंगासन दो शब्दों से मिलकर बना है भुजंग + आसन जिसमें भुजंग का अर्थ है साँप और आसन का अर्थ बैठने की मुद्रा को हम आसन कहते हैं. साँप की तरह बैठने को भुजंगासन कहा जाता है इसे भुजंगासन इसलिए कहते है. क्योंकि ये फन उठाए हुए सांप के समान स्वरुप बन जाने के कारण ही इसे भुजंगासन कहा जाता है.
भुजंगासन करने की विधि
विधि - समतल भूमि पर दरी या कंबल बिछाकर पेट के बल सीधे लेट जाए. दोनों हाथों को शरीर के दोनों ओर कंधो के नीचे इस प्रकार रखें कि हाथ की अंगुलियां और अंगूठे आपस में मिले रहे. कोहनियां पेट के पास लाएं और सांस को अंदर भरते हुए छाती को उठाते हुए चले जाएं जैसे सांप का फन उठता है नाभि से ऊपर का सारा भाग ऊपर उठना चाहिए परंतु नाभि भूमि को छूती रहे हाथों पर शरीर का भर पड़ने दे फिर स्वास छोड़ते हुए वापिस आ जाएं. सुविधानुसार इस आसन को कई बार कर सकते हैं.भुजंगासन करने के लाभ
- यह आसन पेट के सभी भागों को भीतर से सक्रिय करता है.
- रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और कमर का दर्द सदा के लिए दूर हो जाता है.
- इस आसन से पेट छाती, कमर, उरु, व मेरुदंड के सभी रोगों का नाश होता है.
- गर्दन बलिष्ठ होती है और सवाईकिल के रोग मे लाभ प्राप्त होता है.
- गुर्दो व हृदय विशेष लाभ होता है.
- मोटापा कम होने में सहायता मिलती है.
- चेहरे की सुंदरता बढ़ती है.
- छाती, कंधे, गर्दन व सिर के भागों को सक्रिय करता है.
- इस आसन से स्त्री व पुरुष के गुप्तांग दृढ़ होते हैं और उनका विकास होता है.
आपने हमारा यह लेख पढ़ा उसके लिए आपके बहुत बहुत
।। धन्यवाद ।।
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