मुहावरे क्या होते हैं और कुछ मुहावरों के उदाहरण

ऐसे वाक्यांश, जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विलक्षण अर्थ की प्रतीति कराये, मुहावरा कहलाता है। 

दूसरे शब्दों में- मुहावरा भाषा विशेष में प्रचलित उस अभिव्यक्तिक इकाई को कहते हैं, जिसका प्रयोग प्रत्यक्षार्थ से अलग रूढ़ लक्ष्यार्थ के लिए किया जाता है।

इसी परिभाषा से मुहावरे के विषय में निम्नलिखित बातें सामने आती हैं-

(1) मुहावरों का संबंध भाषा विशेष से होता है अर्थात हर भाषा की प्रकृति, उसकी संरचना तथा सामाजिक सांस्कृतिक संदर्भो के अनुसार उस भाषा के मुहावरे अपनी संरचना तथा अर्थ ग्रहण करते हैं।

(2) मुहावरों का अर्थ उनके प्रत्यक्षार्थ से भिन्न होता है अर्थात मुहावरों के अर्थ सामान्य उक्तियों से भिन्न होते हैं। इसका तात्पर्य यही है कि सामान्य उक्तियों या कथनों की तुलना में मुहावरों के अर्थ विशिष्ट होते हैं।

(3) मुहावरों के अर्थ अभिधापरक न होकर लक्षणापरक होते हैं अर्थात उनके अर्थ लक्षणा शक्ति से निकलते हैं तथा अपने विशिष्ट अर्थ (लक्ष्यार्थ) में रूढ़ हो जाते हैं।

उदाहरण के लिए- 

(1) कक्षा में प्रथम आने की सूचना पाकर मैं ख़ुशी से फूला न समाया अर्थात बहुत खुश हो जाना। 

(2) केवल हवाई किले बनाने से काम नहीं चलता, मेहनत भी करनी पड़ती है अर्थात कल्पना में खोए रहना। 
इन वाक्यों में ख़ुशी से फूला न समाया और हवाई किले बनाने वाक्यांश विशेष अर्थ दे रहे हैं। यहाँ इनके शाब्दिक अर्थ नहीं लिए जाएँगे। ये विशेष अर्थ ही 'मुहावरे' कहलाते हैं।

'मुहावरा' शब्द अरबी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है- अभ्यास। हिंदी भाषा में मुहावरों का प्रयोग भाषा को सुंदर, प्रभावशाली, संक्षिप्त तथा सरल बनाने के लिए किया जाता है। ये वाक्यांश होते हैं। इनका प्रयोग करते समय इनका शाब्दिक अर्थ न लेकर विशेष अर्थ लिया जाता है। इनके विशेष अर्थ कभी नहीं बदलते। ये सदैव एक-से रहते हैं। ये लिंग, वचन और क्रिया के अनुसार वाक्यों में प्रयुक्त होते हैं।

अरबी भाषा का 'मुहावर:' शब्द हिन्दी में 'मुहावरा' हो गया है। उर्दूवाले 'मुहाविरा' बोलते हैं। इसका अर्थ 'अभ्यास' या 'बातचीत' से है। हिन्दी में 'मुहावरा' एक पारिभाषिक शब्द बन गया है। कुछ लोग मुहावरा को रोजमर्रा या 'वाग्धारा' कहते है।

मुहावरा का प्रयोग करना और ठीक-ठीक अर्थ समझना बड़ा ही कठिन है, यह अभ्यास और बातचीत से ही सीखा जा सकता है। इसलिए इसका नाम मुहावरा पड़ गया।

मुहावरे के प्रयोग से भाषा में सरलता, सरसता, चमत्कार और प्रवाह उत्पत्र होते है। इसका काम है बात इस खूबसूरती से कहना की सुननेवाला उसे समझ भी जाय और उससे प्रभावित भी हो।

मुहावरा की विशेषता

(1) मुहावरे का प्रयोग वाक्य के प्रसंग में होता है, अलग नही। जैसे, कोई कहे कि 'पेट काटना' तो इससे कोई विलक्षण अर्थ प्रकट नही होता है। इसके विपरीत, कोई कहे कि 'मैने पेट काटकर' अपने लड़के को पढ़ाया, तो वाक्य के अर्थ में लाक्षणिकता, लालित्य और प्रवाह उत्पत्र होगा।

(2) मुहावरा अपना असली रूप कभी नही बदलता अर्थात उसे पर्यायवाची शब्दों में अनूदित नही किया जा सकता। जैसे- कमर टूटना एक मुहावरा है, लेकिन स्थान पर कटिभंग जैसे शब्द का प्रयोग गलत होगा।

(3) मुहावरे का शब्दार्थ नहीं, उसका अवबोधक अर्थ ही ग्रहण किया जाता है; जैसे- 'खिचड़ी पकाना'। ये दोनों शब्द जब मुहावरे के रूप में प्रयुक्त होंगे, तब इनका शब्दार्थ कोई काम न देगा। लेकिन, वाक्य में जब इन शब्दों का प्रयोग होगा, तब अवबोधक अर्थ होगा- 'गुप्तरूप से सलाह करना'।

(4) मुहावरे का अर्थ प्रसंग के अनुसार होता है। जैसे- 'लड़ाई में खेत आना' । इसका अर्थ 'युद्ध में शहीद हो जाना' है, न कि लड़ाई के स्थान पर किसी 'खेत' का चला आना।

(5) मुहावरे भाषा की समृद्धि और सभ्यता के विकास के मापक है। इनकी अधिकता अथवा न्यूनता से भाषा के बोलनेवालों के श्रम, सामाजिक सम्बन्ध, औद्योगिक स्थिति, भाषा-निर्माण की शक्ति, सांस्कृतिक योग्यता, अध्ययन, मनन और आमोदक भाव, सबका एक साथ पता चलता है। जो समाज जितना अधिक व्यवहारिक और कर्मठ होगा, उसकी भाषा में इनका प्रयोग उतना ही अधिक होगा।

(6) समाज और देश की तरह मुहावरे भी बनते-बिगड़ते हैं। नये समाज के साथ नये मुहावरे बनते है। प्रचलित मुहावरों का वैज्ञानिक अध्ययन करने पर यह स्पष्ट हो जायेगा कि हमारे सामाजिक जीवन का विकास कितना हुआ। मशीन युग के मुहावरों और सामन्तवादी युग के मुहावरों तथा उनके प्रयोग में बड़ा अन्तर है।

(7) हिन्दी के अधिकतर मुहावरों का सीधा सम्बन्ध शरीर के भित्र-भित्र अंगों से है। यह बात दूसरी भाषाओं के मुहावरों में भी पायी जाती है; जैसे- मुँह, कान, हाथ, पाँव इत्यादि पर अनेक मुहावरे प्रचलित हैं। हमारे अधिकतर कार्य इन्हीं के सहारे चलते हैं।

मुहावरे : भेद-प्रभेद

मुहावरों को निम्नलिखित आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है-
(1) सादृश्य पर आधारित
(2) शारीरिक अंगों पर आधारित
(3) असंभव स्थितियों पर आधारित 
(4) कथाओं पर आधारित 
(5) प्रतीकों पर आधारित 
(6) घटनाओं पर आधारित

(1) सादृश्य पर आधारित मुहावरे- 

बहुत से मुहावरे सादृश्य या समानता पर आधारित होते हैं। 
जैसे- चूड़ियाँ पहनना, दाल न गलना, सोने पर सुहागा, कुंदन-सा चमकना, पापड़ बेलना आदि।

(2) शारीरिक अंगों पर आधारित मुहावरे- 

हिंदी भाषा के अंतर्गत इस वर्ग में बहुत मुहावरे मिलते हैं।
जैसे- अंग-अंग ढीला होना, आँखें चुराना, अँगूठा दिखाना, आँखों से गिरना, सिर हिलाना, उँगली उठाना, कमर टूटना, कलेजा मुँह को आना, गरदन पर सवार होना, छाती पर साँप लोटना, तलवे चाटना, दाँत खट्टे करना, नाक रगड़ना, पीठ दिखाना, बगलें झाँकन, मुँह काला करना आदि।

(3) असंभव स्थितियों पर आधारित मुहावरे- 

इस तरह के मुहावरों में वाच्यार्थ के स्तर पर इस तरह की स्थितियाँ दिखाई देती हैं जो असंभव प्रतीत होती हैं। 
जैसे- पानी में आग लगाना, पत्थर का कलेजा होना, जमीन आसमान एक करना, सिर पर पाँव रखकर भागना, हथेली पर सरसों जमाना, हवाई किले बनाना, दिन में तारे दिखाई देना आदि।

(4) कथाओं पर आधारित मुहावरे- 

कुछ मुहावरों का जन्म लोक में प्रचलित कुछ कथा-कहानियों से होता हैं।
जैसे-टेढ़ी खीर होना, एक और एक ग्यारह होना, हाथों-हाथ बिक जाना, साँप को दूध पिलाना, रँगा सियार होना, दुम दबाकर भागना, काठ में पाँव देना आदि।

(5) प्रतीकों पर आधारित मुहावरे- 

कुछ मुहावरे प्रतीकों पर आधारित होते हैं। 
जैसे- एक आँख से देखना, एक ही लकड़ी से हाँकना, एक ही थैले के चट्टे-बट्टे होना, तीनों मुहावरों में प्रयुक्त 'एक' शब्द 'समानता' का प्रतीक है। 
इसी तरह से डेढ़ पसली का होना, ढाई चावल की खीर पकाना, ढाई दिन की बादशाहत होना, में डेढ़ तथा ढाई शब्द 'नगण्यता' के प्रतीक है।

(6) घटनाओं पर आधारित मुहावरे- 

कुछ मुहावरों के मूल में कोई घटना भी रहती है। 
जैसे- काँटा निकालना, काँव-काँव करना, ऊपर की आमदनी, गड़े मुर्दे उखाड़ना आदि।

उपर्युक्त भेदों के अलावा मुहावरों का वर्गीकरण स्रोत के आधार पर भी किया जा सकता है। हिंदी में कुछ मुहावरे संस्कृत से आए हैं तो कुछ अरबी-फारसी से आए हैं। इसके अतिरिक्त मुहावरों की विषयवस्तु क्या है, इस आधार पर भी उनका वर्गीकरण किया जा सकता है। जैसे- स्वास्थ्य विषयक, युद्ध विषयक आदि। कुछ मुहावरों का वर्गीकरण किसी क्षेत्र विशेष के आधार पर भी किया जा सकता है। जैसे- क्रीडाक्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले मुहावरे, सेना के क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले मुहावरे आदि।

यहाँ पर कुछ प्रसिद्ध मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य में प्रयोग सहित दिए जा रहे है।

( अ )

अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धि भष्ट होना)- विद्वान और वीर होकर भी रावण की अक्ल पर पत्थर ही पड़ गया था कि उसने राम की पत्नी का अपहरण किया।

अंक भरना (स्नेह से लिपटा लेना)- माँ ने देखते ही बेटी को अंक भर लिया।

अंग टूटना (थकान का दर्द)- इतना काम करना पड़ा कि आज अंग टूट रहे है।

अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना (स्वयं अपनी प्रशंसा करना)- अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता।

अक्ल का चरने जाना (समझ का अभाव होना)- इतना भी समझ नहीं सके ,क्या अक्ल चरने गए है ?

अपने पैरों पर खड़ा होना (स्वालंबी होना)- युवकों को अपने पैरों पर खड़े होने पर ही विवाह करना चाहिए।

अक्ल का दुश्मन (मूर्ख)- राम तुम मेरी बात क्यों नहीं मानते, लगता है आजकल तुम अक्ल के दुश्मन हो गए हो।

अपना उल्लू सीधा करना (मतलब निकालना)- आजकल के नेता अपना उल्लू सीधा करने के लिए ही लोगों को भड़काते है।

अंगारों पर लेटना (डाह होना, दुःख सहना) वह उसकी तरक्की देखते ही अंगारों पर लोटने लगा। मैं जीवन भर अंगारों पर लोटता रहा हूँ।

अँगूठा दिखाना (समय पर धोखा देना)- अपना काम तो निकाल लिया, पर जब मुझे जरूरत पड़ी, तब अँगूठा दिखा दिया। भला, यह भी कोई मित्र का लक्षण है।

अँचरा पसारना (माँगना, याचना करना)- हे देवी मैया, अपने बीमार बेटे के लिए आपके आगे अँचरा पसारती हूँ। उसे भला-चंगा कर दो, माँ।

अण्टी मारना (चाल चलना)- ऐसी अण्टीमारो कि बच्चू चारों खाने चित गिरें।

अण्ड-बण्ड कहना (भला-बुरा या अण्ट- सण्ट कहना)- क्या अण्ड-बण्ड कहे जा रहे हो। वह सुन लेगा, तो कचूमर ही निकाल छोड़ेगा।

अन्धाधुन्ध लुटाना (बिना विचारे व्यय)- अपनी कमाई भी कोई अन्धाधुन्ध लुटाता है ?

अन्धा बनना (आगे-पीछे कुछ न देखना)- धर्म से प्रेम करो, पर उसके पीछे अन्धा बनने से तो दुनिया नहीं चलती।

अन्धा बनाना (धोखा देना)- मायामृग ने रामजी तक को अन्धा बनाया था। इस माया के पीछे मौजीलाल अन्धे बने तो क्या।

अन्धा होना (विवेकभ्रष्ट होना)- अन्धे हो गये हो क्या, जवान बेटे के सामने यह क्या जो-सो बके जा रहे हो ?

अन्धे की लकड़ी (एक ही सहारा)- भाई, अब तो यही एक बेटा बचा, जो मुझे अन्धे की लकड़ी है। इसे परदेश न जाने दूँगा।

अन्धेरखाता (अन्याय)- मुँहमाँगा दो, फिर भी चीज खराब। यह कैसा अन्धेरखाता है।

अन्धेर नगरी (जहाँ धांधली का बोलबाला हो)- इकत्री का सिक्का था, तो चाय इकत्री में मिलती थी, दस पैसे का निकला, तो दस पैसे में मिलने लगी। यह बाजार नहीं, अन्धेरनगरी ही है।

अकेला दम (अकेला)- मेरा क्या ! अकेला दम हूँ; जिधर सींग समायेगा, चल दूँगा।

अक्ल की दुम (अपने को बड़ा होशियार लगानेवाला)- दस तक का पहाड़ा भी तो आता नहीं, मगर अक्ल की दुम साइन्स का पण्डित बनता है।

अगले जमाने का आदमी (सीधा-सादा, ईमानदार)- आज की दुनिया ऐसी हो गई कि अगले जमाने का आदमी बुद्धू समझा जाता है।

अढाई दिन की हुकूमत (कुछ दिनों की शानोशौकत)- जनाब, जरा होशियारी से काम लें। यह अढाई दिन की हुकूमत जाती रहेगी।

अत्र-जल उठना (रहने का संयोग न होना, मरना)- मालूम होता है कि तुम्हारा यहाँ से अत्र-जल उठ गया है, जो सबसे बिगाड़ किये रहते हो।

अत्र-जल करना (जलपान, नाराजगी आदि के कारण निराहार के बाद आहार-ग्रहण)- भाई, बहुत दिनों पर आये हो। अत्र-जल तो करते जाओ।

अत्र लगना (स्वस्थ रहना)- उसे ससुराल का ही अत्र लगता है। इसलिए तो वह वहीं का हो गया।

अपना किया पाना (कर्म का फल भोगना)- बेहूदों को जब मुँह लगाया है, तो अपना किया पाओ। झखते क्या हो ?

अपना-सा मुँह लेकर रह जाना (शर्मिन्दा होना)- आज मैंने ऐसी चुभती बात कही कि वे अपना-सा मुँह लिए रह गये।

अपनी खिचड़ी अलग पकाना (स्वार्थी होना, अलग रहना)-यदि सभी अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगें, तो देश और समाज की उत्रति होने से रही।

अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारना (संकट मोल लेना)- उससे तकरार कर तुमने अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारी है।

अब-तब करना (बहाना करना)- कोई भी चीज माँगो, वह अब-तब करना शुरू कर देगा।

अब-तब होना (परेशान करना या मरने के करीब होना)- दवा देने से क्या ! वह तो अब-तब हो रहा है।

अंग-अंग ढीला होना (अत्यधिक थक जाना)-विवाह के अवसर पर दिन भर मेहमानों के स्वागत में लगे रहने से मेरा अंग-अंग ढीला हो रहा हैं।

अंगारे उगलना (कठोर और कड़वी बातें कहना)- मित्र! अवश्य कोई बात होगी, बिना बात कोई क्यों अंगारे उगलेगा।

अंगारों पर लोटना (ईर्ष्या से व्याकुल होना)- मेरे सुख को देखकर रामू अंगारों पर लोटता हैं।

अँगुली उठाना (किसी के चरित्र या ईमानदारी पर संदेह व्यक्त करना)- मित्र! हमें ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे कोई हम पर अँगुली उठाए।

अँगुली पकड़कर पहुँचा पकड़ना (थोड़ा पाकर अधिक पाने की कोशिश करना)- जब भिखारी एक रुपया देने के बाद और रुपए मांगने लगा तो मैंने उससे कहा- अँगुली पकड़कर पहुँचा पकड़ते हो, जाओ यहाँ से।

अँगूठा छाप (अनपढ़)- रामेश्वर अँगूठा छाप हैं, परंतु अब वह पढ़ना चाहता हैं।

अंगूर खट्टे होना (कोई वस्तु न मिलने पर उससे विरक्त होना)- जब लोमड़ी को अंगूर नहीं मिले तो वह कहने लगी कि अंगूर खट्टे हैं।

अंजर-पंजर ढीला होना (शरीर शिथिल होना या बहुत थक जाना)- दिन-भर भागते-भागते आज तो मेरा अंजर-पंजर ढीलाहो गया।

अंडे सेना (घर से बाहर न निकलना; घर में ही बैठे रहना)- रामू की पत्नी ने कहा कि कुछ काम करो, अंडे सेने से काम नहीं चलेगा।

अंतड़ियों के बल खोलना (बहुत दिनों के बाद भरपेट भोजन करना)- आज पंडित जी का न्योता हैं, आज वे अपनी अंतड़ियों के बल खोल देंगे।

अंतड़ियों में बल पड़ना (पेट में दर्द होना)- दावत में खाना अधिक खाकर मेरी तो अंतड़ियों में बल पड़ गए।

अंतिम घड़ी आना (मौत निकट आना)- शायद रामू की दादी की अंतिम घड़ी आ गई हैं। वह पंद्रह दिन से बिस्तर पर पड़ी हैं।

अंधा बनना (ध्यान न देना)- अरे मित्र! तुम तो जान-बुझकर अंधे बन रहे हो- सब जानते हैं कि रामू पैसे वापस नहीं करता, फिर भी तुमने उसे पैसे उधार दे दिए।

अंधे के हाथ बटेर लगना (अनाड़ी आदमी को सफलता प्राप्त होना)- रामू मात्र आठवीं पास हैं, फिर भी उसकी सरकारी नौकरी लग गई। इसी को कहते हैं- अंधे के हाथ बटेर लगना।

अंधे को दो आँखें मिलना (मनोरथ सिद्ध होना)- एम.ए., बी.एड. करते ही प्रेम की नौकरी लग गई। उसे और क्या चाहिए- अंधे को दो आँखें मिल गई।

अंधेर मचना (अत्याचार करना)- औरंगजेब ने अपने शासनकाल में बहुत अंधेर मचाया था।

अक्ल का अंधा (मूर्ख व्यक्ति)- वह अक्ल का अंधा नहीं, जैसा कि आप समझते हैं।

अक्ल के पीछे लट्ठ लेकर फिरना (हर वक्त मूर्खता का काम करना)- रमेश तो हर वक्त अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरता हैं- चीनी लेने भेजा था, नमक लेकर आ गया।

अक्ल घास चरने जाना (वक्त पर बुद्धि का काम न करना)- अरे मित्र! लगता हैं, तुम्हारी अक्ल घास चरने गई हैं तभी तो तुमने सरकारी नौकरी छोड़ दी।

अक्ल ठिकाने लगना (गलती समझ में आना)- जब तक उस चोर को पुलिस के हवाले नहीं करोगे, उसकी अक्ल ठिकाने नहीं आएगी।

अगर-मगर करना (तर्क करना या टालमटोल करना)- ज्यादा अगर-मगर करो तो जाओ यहाँ से; हमें तुम्हारे जैसा नौकर नहीं चाहिए।

अपना रास्ता नापना (चले जाना)- मैंने रामू को उसकी कृपा का धन्यवाद देकर अपना रास्ता नापा।

अपना सिक्का जमाना (अपनी धाक या प्रभुत्व जमाना)- रामू ने कुछ ही दिनों में अपने मोहल्ले में अपना सिक्का जमा लिया हैं।

अपना सिर ओखली में देना (जान-बूझकर संकट मोल लेना)- खटारा स्कूटर खरीदकर मोहन ने अपना सिर ओखली में दे दिया हैं।

अपनी खाल में मस्त रहना (अपने आप में संतुष्ट रहना)- वह तो अपनी खाल में मस्त रहता हैं, उसे किसी से कोई मतलब नहीं हैं।

अढाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना- (सबसे अलग रहना)- मोहन आजकल अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाते है।

अंगारों पर पैर रखना (अपने को खतरे में डालना, इतराना)- भारतीय सेना अंगारों पर पैर रखकर देश की रक्षा करते है।

अक्ल का अजीर्ण होना (आवश्यकता से अधिक अक्ल होना)- सोहन किसी भी विषय में दूसरे को महत्व नही देता है, उसे अक्ल का अजीर्ण हो गया है।

अक्ल दंग होना (चकित होना)- मोहन को पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगता लेकिन परीक्षा परिणाम आने पर सब का अक्ल दंग हो गया।

अक्ल का पुतला (बहुत बुद्धिमान)- विदुर जी अक्ल का पुतला थे।

अन्त पाना (भेद पाना)- उसका अन्त पाना कठिन है।

अन्तर के पट खोलना (विवेक से काम लेना)- हर हमेशा हमें अन्तर के पट खोलना चाहिए।

अक्ल के घोड़े दौड़ाना (कल्पनाएँ करना)- वह हमेशा अक्ल के घोड़े दौड़ाता रहता है।

अपने दिनों को रोना (अपनी स्वयं की दुर्दशा पर शोक प्रकट करना)- वह तो हर वक्त अपने ही दिनों को रोता रहता हैं, इसलिए कोई उससे बात नहीं करता।

अलाउद्दीन का चिराग (आश्चर्यजनक या अद्भुत वस्तु)- रामू कलम पाकर ऐसे चल पड़ा जैसे उसे अलाउद्दीन का चिराग मिल गया हो।

अल्लाह को प्यारा होना (मर जाना)- मुल्लाजी कम उम्र में ही अल्लाह को प्यारे हो गए।

अपनी डफली आप बजाना- (अपने मन की करना)- राधा दूसरे की बात नहीं सुनती, वह हमेशा अपनी डफली आप बजाती है।

अंग-अंग ढीला होना (थक जाना)- ऑफिस में इतना अधिक काम है कि शाम तक अंग-अंग ढीला हो जाता है।

अंग-अंग मुसकाना (अति प्रसन्न होना)- विवाह की बात पक्की होने की खबर को सुनते ही करीना का अंग-अंग मुसकाने लगा।

अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना (हर समय मूर्खतापूर्ण कार्य करना)- जो आदमी अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरता है उसे मैं इतनी बड़ी जिम्मेदरी कैसे सौंप सकता हूँ?

अगर मगर करना (टालमटोल करना)- मेरे एक दोस्त ने मुझसे वायदा किया था कि जब भी कोई जरूरत हो वह मेरी मदद करेगा। आज जब मैंने मदद माँगी तो अगर-मगर करने लगा।

अगवा करना (अपहरण करना)- मुरली बाबू के बेटे को डाकुओं ने अगवा कर लिया है और अब पाँच लाख की फिरौती माँग रहे हैं।

अति करना (मर्यादा का उल्लंघन करना)- भाई, आपने भी अति कर दी है, हमेशा अपने बच्चों को डाँटते ही रहते हो। कभी तो प्यार से बात किया करो।

अपना-अपना राग अलापना (किसी की न सुनना)- सभी छात्र एक साथ प्रधानाचार्य के कमरे में घुस गए और लगे अपना-अपना राग अलापने। बेचारे प्रधानाचार्य सर पकड़कर बैठ गए।

अपनी राम कहानी सुनाना (अपना हाल बताना)- यहाँ के अधिकारियों ने तो अपने कानों में तेल डाल रखा है। किसी की सुनना ही नहीं चाहते।

अरमान निकालना (इच्छा पूरी करना)- हो गई न तुम्हारे मन की। निकाल लो मन के सारे अरमान।

अन्धों में काना राजा- (अज्ञानियों में अल्पज्ञान वाले का सम्मान होना)

अंकुश देना- (दबाव डालना)

अंग में अंग चुराना- (शरमाना)

अंग-अंग फूले न समाना- (आनंदविभोर होना)

अंगार बनना- (लाल होना, क्रोध करना)

अंडे का शाहजादा- (अनुभवहीन)

अठखेलियाँ सूझना- (दिल्लगी करना)

अँधेरे मुँह- (प्रातः काल, तड़के)

अड़ियल टट्टू- (रूक-रूक कर काम करना)

अपना घर समझना- (बिना संकोच व्यवहार)

अड़चन डालना- (बाधा उपस्थित करना)

अरमान निकालना- (इच्छाएँ पूरी करना)

अरण्य-चन्द्रिका- (निष्प्रयोजन पदार्थ)

( आ )

आँख भर आना (आँसू आना)- बेटी की विदाई पर माँ की आखें भर आयी।

आँखों में बसना (हृदय में समाना)- वह इतना सुंदर है की उसका रूप मेरी आखों में बस गया है।

आँखे खुलना (सचेत होना)- ठोकर खाने के बाद ही बहुत से लोगों की आँखे खुलती है।

आँख का तारा - (बहुत प्यारा)- आज्ञाकारी बच्चा माँ-बाप की आँखों का तारा होता है।

आँखे दिखाना (बहुत क्रोध करना)- राम से मैंने सच बातें कह दी, तो वह मुझे आँख दिखाने लगा।

आसमान से बातें करना (बहुत ऊँचा होना)- आजकल ऐसी ऐसी इमारते बनने लगी है, जो आसमान से बातें करती है।

आँच न आने देना (जरा भी कष्ट या दोष न आने देना)- तुम निश्र्चिन्त रहो। तुमपर आँच न आने दूँगा।

आठ-आठ आँसू रोना (बुरी तरह पछताना)- इस उमर में न पढ़ा, तो आठ-आठ आँसू न रोओ तो कहना।

आसन डोलना (लुब्ध या विचलित होना)- धन के आगे ईमान का भी आसन डोल जाया करता है।

आस्तीन का साँप (कपटी मित्र)- उससे सावधान रहो। आस्तीन का साँप है वह।

आसमान टूट पड़ना (गजब का संकट पड़ना)- पाँच लोगों को खिलाने-पिलाने में ऐसा क्या आसमान टूट पड़ा कि तुम सारा घर सिर पर उठाये हो ?

आकाश छूना (बहुत तरक्की करना)- राखी एक दिन अवश्य आकाश चूमेगी

आकाश-पाताल एक करना (अत्यधिक उद्योग/परिश्रम करना)- सूरज ने इंजीनियर पास करने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया।

आकाश-पाताल का अंतर होना (बहुत अधिक अंतर होना)- कहाँ मैं और कहाँ वह मूर्ख, हम दोनों में आकाश-पाताल का अंतर है।

आँच आना (हानि या कष्ट पहुँचना)- जब माँ साथ हैं तो बच्चे को भला कैसे आँच आएगी।

आँचल पसारना (प्रार्थना करना या किसी से कुछ माँगना)- मैं ईश्वर से आँचल पसारकर यही माँगता हूँ कि तुम कक्षा में उत्तीर्ण हो जाओ।

आँतें बुलबुलाना (बहुत भूख लगना)- मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया, मेरी आँतें कुलबुला रही हैं।

आँतों में बल पड़ना (पेट में दर्द होना)- रात की पूड़ियाँ खाकर मेरी आँतों में बल पड़ गए।

आँधी के आम होना (बहुत सस्ता होना)- आजकल तो आलू आँधी के आम हो रहे हैं, जितने चाहो, ले लो।

आँसू पीना या पीकर रहना (दुःख या कष्ट में भी शांत रहना)- जब राकेश कक्षा में फेल हो गया तो वह आँसू पीकर रह गया।

आकाश का फूल होना (अप्राप्य वस्तु)- आजकल दिल्ली में घर खरीदना तो आकाश का फूल हो रहा हैं।

आकाश के तारे तोड़ लाना (असंभव कार्य करना)- श्याम हमेशा आकाश के तारे तोड़ने की बात करता हैं।

आग उगलना (कड़वी बातें कहना)-रमेश तो हमेशा आग उगलता रहता हैं।

आकाश से बातें करना (अत्यधिक ऊँचा होना)- मुंबई की इमारतें तो आकाश से बातें करती हैं।

आग बबूला होना (अति क्रुद्ध होना)- राधा जरा-सी बात पर आग बबूला हो गई।

आग पर लोटना (ईर्ष्या से जलना)- मेरी कार खरीदने की बात सुनकर रामू आग पर लोटने लगा।

आग में घी डालना (क्रोध को और भड़काना)- आपसी लड़ाई में अनुपम के आँसुओं ने आग में घी डाल दिया)

आग लगने पर कुआँ खोदना(विपत्ति आने पर/ऐन मौके पर प्रयास करना)- मित्र, पहले से कुछ करो। आग लगने पर कुआँ खोदना ठीक नहीं।

आग लगाकर तमाशा देखना (दूसरों में झगड़ा कराके अलग हो जाना)- वह तो आग लगाकर तमाशा देखने वाला हैं, वह तुम्हारी क्या मदद करेगा।

आटे-दाल का भाव मालूम होना (दुनियादारी का ज्ञान होना या कटु परिस्थिति का अनुभव होना)- जब पिता की मृत्यु हो गई तो राकेश को आटे-दाल का भाव मालूम हो गया।

आग से खेलना (खतरनाक काम करना)- मित्र, तस्करी करना बंद कर दो, तुम क्यों आग से खेल रहे हो?

आग हो जाना (अत्यन्त क्रोधित हो जाना)- सुनिल के स्वभाव से सब परिचित हैं, वह एक ही पल में आग हो जाता हैं।

आगा-पीछा न सोचना (कार्य करते समय हानि-लाभ के बारे में न सोचना)- कुणाल कुछ भी करने से पहले आगा-पीछा नहीं सोचता।

आज-कल करना (टालमटोल करना)- राजू कह रहा था- उसके दफ्तर में कोई काम नहीं करता, सब आज-कल करते हैं।

आटे के साथ घुन पिसना (अपराधी के साथ निर्दोष को भी सजा मिलना)- राघव तो जुआरियों के पास केवल खड़ा हुआ था, पुलिस उसे भी पकड़कर ले गई। इसे ही कहते हैं- आटे के साथ घुन पिसना।

आड़े हाथों लेना (झिड़कना, बुरा-भला कहना)- सुभम ने जब होमवर्क (गृह-कार्य) नहीं किया तो अध्यापक ने कक्षा में उसे आड़े हाथों लिया।

आधा तीतर, आधा बटेर (बेमेल वस्तुएँ)- राजू तो आधा तीतर, आधा बटेर हैं- हिंदुस्तानी धोती-कुर्ते के साथ सिर पर अंग्रेजी टोप पहनता हैं।

आसमान पर उड़ना (थोड़ा पैसा पाकर इतराना)- उसकी 10 हजार की लॉटरी क्या खुल गई, वह तो आसमान पर उड़ रहा हैं।

आसमान पर चढ़ना (बहुत अभिमान करना)- आजकल मदन का मिजाज आसमान पर चढ़ा हुआ दिखाई देता हैं।

आसमान पर थूकना (किसी महान् व्यक्ति को बुरा-भला कहना)- नेताजी सुभाषचंद्र बोस एक महान् देशभक्त थे उनके बारे में कुछ कहना-आसमान पर थूकने जैसा हैं।

आसमान पर मिजाज होना (अत्यधिक अभिमान होना)- सरकारी नौकरी लगने के बाद उसका आसमान पर मिजाज हो गया हैं।

आसमान सिर पर उठाना (अत्यधिक ऊधम मचाना)- इस बच्चे ने तो आसमान सिर पर उठा लिया हैं, इसे ले जाओ यहाँ से।

आसमान सिर पर टूटना (बहुत मुसीबत आना)- पिता के मरते ही राजू के सिर पर आसमान टूट पड़ा।

आसमान से गिरे, खजूर में अटके (एक परेशानी से निकलकर दूसरी परेशानी में आना)- अध्यापक की मदद से राजू गणित में तो पास हो गया, परंतु विज्ञान में उसकी कम्पार्टमेंट आ गई। इसी को कहते हैं- आसमान से गिरे, खजूर में अटके।

आस्तीन चढ़ाना (लड़ने को तैयार होना)- मुन्ना हर वक्त आस्तीन चढ़ाकर रखता हैं।

आह लेना (बद्दुआ लेना)- रमेश के दादा हमेशा कहते हैं- किसी की आह मत लो, सबकी दुआएँ लो।

आँधी के आम (बिना परिश्रम के मिली वस्तु)- आँधी के आमों की तरह से मिली दौलत बहुत दिनों तक नहीं रुकती।

आखिरी साँसें गिनना (मरणासन्न होना)- मदन की माँ आखिरी साँस ले रही है, सभी डॉक्टरों ने जवाब दे दिया है।

आग देना (मृतक का दाह-संस्कार करना)- भारतीय संस्कृति के अनुसार पिता की चिता को बड़ा बेटा ही आग देता है।

आफत का मारा (दुखी)- जब कोई नौकरी न मिली तो ट्यूशन पढ़ाने लगा। आफत का मारा बेचारा क्या करता ?

आफत मोल लेना (व्यर्थ का झगड़ा मोल लेना)- तुमसे बात करके तो मैंने आफत मोल ले ली। मुझे माफ करो, मैं तुमसे बात नहीं कर सकता।

आव देखा न ताव (बिना सोच-विचार के काम करना)- दोनों भाइयों में झगड़ा हो गया। गुस्से में आकर छोटे भाई ने आव देखा न ताव, डंडे से बड़े भाई का सर फोड़ दिया।

आहुति देना (जान न्योछावर करना)- वीरों ने अपनी जान की परवाह किए बिना देश के लिए हमेशा अपनी आहुति दी है।

आग का पुतला- (क्रोधी)

आग पर आग डालना- (जले को जलाना)

आग पर पानी डालना- (क्रुद्ध को शांत करना, लड़नेवालों को समझाना-बुझाना)

आग पानी का बैर- (सहज वैर)

आग बोना- (झगड़ा लगाना)

आग लगाकर पानी को दौड़ाना- (पहले झगड़ा लगाकर फिर उसे शांत करने का यत्न करना)

आग से पानी होना- (क्रोध करने के बाद शांत हो जाना)

आग में कूद पड़ना- (खतरा मोल लेना)

आन की आन में- (फौरन ही)

आग रखना- (मान रखना)

आसमान दिखाना- (पराजित करना)

आड़े आना- (नुकसानदेह)

अगिया बैताल- (क्रोधी)

 

( इ )

इंद्र की परी (बहुत सुन्दर स्त्री)- राधा तो इंद्र की परी हैं, वह तो विश्व सुन्दरी बनेगी।

इज्जत उतारना (अपमानित करना)- जब चीनी लेकर पैसे नहीं दिए तो दुकानदार ने ग्राहक की इज्जत उतार दी।

इज्जत मिट्टी में मिलाना (प्रतिष्ठा या सम्मान नष्ट करना) - रामू की शराब की आदत ने उसके परिवार की इज्जत मिट्टी में मिला दी हैं।

इधर-उधर की लगाना या इधर की उधर लगाना (चुगली करना) - मित्र, इधर-उधर की लगाना छोड़ दो, बुरी बात हैं।

इधर-उधर की हाँकना (बेकार की बातें करना या गप मारना)- वह हमेशा इधर-उधर की हाँकता रहता हैं, कभी बैठकर पढ़ता नहीं।

इस कान सुनना, उस कान निकालना (ध्यान न देना)- उसकी बेकार की बातों को तो मैं इस कान सुनता हूँ, उस कान निकाल देता हूँ।

इस हाथ देना, उस हाथ लेना (तुरन्त फल मिलना)- रामदीन तो इस हाथ दे, उस हाथ ले में विश्वास करता हैं।

इंद्र का अखाड़ा (किसी सजी हुई सभा में खूब नाच-रंग होता है)- पहले जमाने में राजा-महाराजाओं के यहाँ इंद्र का अखाड़ा सजता था और आजकल दागी नेताओं के यहाँ।

इंतकाल होना (मर जाना)- पिता के इंतकाल के बाद सारे घर की जिम्मेदारी अब फारुख के कंधों पर ही है।

इशारे पर नाचना (वश में हो जाना)- जो व्यक्ति अपनी पत्नी के इशारे पर नाचता है वह अपने माँ-बाप की कहाँ सुनेगा।

( ई )

ईंट से ईंट बजाना (युद्धात्मक विनाश लाना)- शुरू में तो हिटलर ने यूरोप में ईट-से-ईट बजा छोड़ी, मगर बाद में खुद उसकी ईंटे बजनी लगी।

ईंट का जबाब पत्थर से देना (जबरदस्त बदला लेना)- भारत अपने दुश्मनों को ईंट का जबाब पत्थर से देगा।

ईद का चाँद होना (बहुत दिनों बाद दिखाई देना)- तुम तो कभी दिखाई ही नहीं देते, तुम्हे देखने को तरस गया, ऐसा लगता है कि तुम ईद के चाँद हो गए हो।

ईमान बेचना (बेईमानी करना)- मित्र, ईमान बेचने से कुछ नहीं होगा, परिश्रम करके खाओ।

इधर-उधर करना- (टालमटोल करना)

( उ )

उड़ती चिड़िया को पहचानना (मन की या रहस्य की बात तुरंत जानना)- कोई मुझे धोखा नही दे सकता। मै उड़ती चिड़िया पहचान लेता हुँ।

उन्नीस बीस का अंतर होना (थोड़ा-सा अन्तर)- रामू और मोहन की सूरत में बस उन्नीस-बीस का अन्तर हैं।

उलटी गंगा बहाना (अनहोनी या लीक से हटकर बात करना)- अमित हमेशा उल्टी गंगा बहाता हैं - कह रहा था कि वह हाथों के बल चलकर स्कूल जाएगा।

उँगली उठाना (बदनाम करना या दोषारोपण करना)- किसी पर खाहमखाह उँगली उठाना गलत हैं।

उँगली पकड़कर पौंहचा पकड़ना (थोड़ा-सा सहारा या मदद पाकर ज्यादा की कोशिश करना)- उस भिखारी को मैंने एक रुपया दे दिया तो वह पाँच रुपए और माँगने लगा। तब मैंने उससे कहा - अरे भाई, तुम तो उँगली पकड़कर पौंहचा पकड़ रहे हो।

उड़ जाना (खर्च हो जाना)- अरे मित्र, महीना पूरा होने से पहले ही सारा वेतन उड़ जाता हैं।

उड़ती खबर (अफवाह)- मित्र, ये तो उड़ती खबर हैं। प्रधानमंत्री को कुछ नहीं हुआ।

उड़न-छू हो जाना (गायब हो जाना)- जो भी हाथ लगा, चोर वही लेकर उड़न-छूहो गया।

उधेड़बुन में पड़ना या रहना (फिक्र या चिन्ता करना)- रामू को जब देखो, पैसों की उधेड़बुन में लगा रहता हैं।

उबल पड़ना (एकाएक क्रोधित होना)- दादी माँ से सब बच्चे डरते हैं, पता नहीं वे कब उबल पड़ें।

उलटी माला फेरना (बुराई या अनिष्ट चाहना)- जब आयुष को रमेश ने चाँटा मारा तो वह उल्टी माला फेरने लगा।

उलटी-सीधी जड़ना (झूठी शिकायत करना)- उल्टी-सीधी जड़ना तो माया की आदत हैं।

उलटी-सीधी सुनाना (डाँटना-फटकारना)- जब माला ने दादी का कहना नहीं माना तो वे उसे उल्टी-सीधी सुनाने लगीं।

उलटे छुरे से मूँड़ना (ठगना)- प्रयाग में पण्डे और रिक्शा वाले गरीब ग्रामीणों को उल्टे छुरे से मूँड़ देते हैं।

उलटे पाँव लौटना (बिना रुके, तुरंत वापस लौट जाना)- मनीष के घर पर ताला लगा था इसलिए मैं उलटे पाँव लौट आया।

उल्लू बनाना (बेवकूफ बनाना)- कल एक साधु, ममता को उल्लू बनाकर उससे रुपए ले गया।

उल्लू सीधा करना (अपना स्वार्थ सिद्ध करना)- मुझे ज्ञात हैं, तुम यहाँ अपना उल्लू सीधा करने आए हो।

उँगलियों पर नचाना (वश में करना)- इब्राहीम की पत्नी तो उसे अपनी उँगलियों पर नचाती है।

उगल देना (भेद प्रकट कर देना)- जब पुलिस के डंडे पड़े तो उस चोर ने सब कुछ सच-सच उगल दिया।

उठ जाना (मर जाना)- जो भले लोग होते हैं उनके उठ जाने के बाद भी दुनिया उन्हें याद करती है।

उलटे मुँह गिरना (दूसरे को नीचा दिखाने के प्रयास में स्वयं नीचा देखना)- दूसरों को धोखा मत दो। किसी दिन सेर को सवा सेर मिल गया तो उलटे मुँह गिरोगे।

उल्लू बोलना (वीरान स्थान होना)- जब पुलिस उस घर में घुसी तो वहाँ कोई नहीं था, उल्लू बोल रहे थे।

उल्लू का पट्ठा (निपट मूर्ख)- उस उल्लू के पट्ठे को इतना समझाया कि दूसरों से पंगा न ले लेकिन उस समय उसने मेरी एक न सुनी। अब जब उलटे मुँह गिरा तो अक्ल आई।

( ऊ )

ऊँच-नीच समझाना (भलाई-बुराई के बारे में बताना)- माँ ने पुत्री ममता को ऊँच-नीच समझाकर ही पिकनिक पर जाने दिया।

ऊँट के गले में बिल्ली बाँधना (बेमेल काम करना)- कम उम्र की लड़की का अधेड़ उम्र के व्यक्ति के साथ विवाह करना ऊँट के गले में बिल्ली बाँधना हैं।

ऊँट के मुँह में जीरा (अधिक आवश्यकता वाले के लिए थोड़ा सामान)- पेटू रामदीन के लिए दो रोटी तो ऊँट के मुँह में जीरा हैं।

ऊल-जलूल बकना (अंट-शंट बोलना)- वह तो यूँ ही ऊल-जलूल बकता रहता हैं, उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं देता।

ऊसर में बीज बोना या डालना (व्यर्थ कार्य करना)- मैंने कौशिक से कहा कि अपने घर में दुकान खोलना तो ऊसर में बीज डालना हैं, कोई और स्थान देखो।

ऊँचा सुनना (कुछ बहरा होना)- जरा जोर से बोलिए, मेरे पिताजी थोड़ा ऊँचा सुनते हैं।

ऊँच-नीच समझना (भलाई-बुराई की समझ होना)- दूसरों को राय देने से पहले तुम्हें ऊँच-नीच समझ लेनी चाहिए।

ऊपर की आमदनी (नियमित स्रोत से न होने वाली आय)- पुलिस की नौकरी में तनख्वाह भले ही कम हो पर ऊपर की आमदनी का तो कोई हिसाब ही नहीं हैं।

ऊपरी मन से कहना/करना (दिखावे के लिए कहना/करना)- वह हमेशा ऊपरी मन से खाना खाने के लिए पूछती थी और मैं हमेशा मना कर देता था।

( ए )

एक आँख से सबको देखना (सबके साथ एक जैसा व्यवहार करना)- अध्यापक विद्यालय में सब बच्चों को एक आँख से देखते हैं।

एक लाठी से सबको हाँकना (उचित-अनुचित का बिना विचार किये व्यवहार)- समानता का अर्थ एक लाठी से सबको हाँकना नहीं है, बल्कि सबको समान अवसर और जीवन-मूल्य देना है।

एक आँख न भाना (बिल्कुल अच्छा न लगना)- राजेश का खाली बैठना उसके पिताजी को एक आँख नहीं भाता।

एँड़ी-चोटी का पसीना एक करना (खूब परिश्रम करना)- दसवीं कक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए सीमा ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया।

एक और एक ग्यारह होना (आपस में संगठित होकर शक्तिशाली होना)- राजू और रामू पुनः मित्रता करके एक और एक ग्यारह हो गए हैं।

एक तीर से दो शिकार करना (एक साधन से दो काम करना)- रवि एक तीर से दो शिकार करने में माहिर हैं।

एक से इक्कीस होना (उन्नति करना)- सेठ जी की दुकान चल पड़ी हैं, अब तो शीघ्र ही एक से इक्कीस हो जाएँगे।

एक ही थैली के चट्टे-बट्टे (एक जैसे स्वभाव के लोग)- उस कक्षा में तो सब बच्चे एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं- सबके सब ऊधम मचाने वाले।

एक ही नाव में सवार होना (एक जैसी परिस्थिति में होना)- देखते हैं आतंकवादी क्या करते हैं - इस होटल में हम सब एक ही नाव में सवार हैं। अब जो होगा, सबके साथ होगा।

एड़ियाँ घिसना या रगड़ना (बहुत दिनों से बीमार या परेशान होना)- रामू एक महीने से एड़ियाँ घिस रहा हैं, फिर भी उसे नौकरी नहीं मिली।

एक से तीन बनाना- (खूब नफा करना)

एक न चलना- (कोई उपाय सफल न होना)

( ऐ )

ऐरा-गैरा नत्थू खैरा (मामूली व्यक्ति)- सेठजी ऐरे-गैरे नत्थू खैरे से बात नहीं करते।

ऐरे-गैरे पंच कल्याण (मुफ्तखोर आदमी)- स्टेशन पर ऐरे-गैरे पंच कल्याण बहुत मिल जाते हैं।

ऐसा-वैसा (साधारण, तुच्छ)- राजू ऐसा-वैसा नहीं हैं, वह लखपति हैं और वकील भी हैं।

ऐंठना (किसी पर) (अकड़ना, क्रोध करना)- मुझ पर मत ऐंठना, मैं किसी की ऐंठ बर्दाश्त नहीं कर सकता।

ऐसी की तैसी करना/होना (अपमान करना/होना)- वह गया तो था मदन को धमकाने पर उलटे ऐसी की तैसी करा के लौट आया।

( ओ )

ओखली में सिर देना (जान-बूझकर परेशानी में फँसना)- कल बदमाशों से उलझकर केशव ने ओखली में सिर दे दिया।

ओर छोर न मिलना (रहस्य का पता न चलना)- रोहन विचित्र आदमी हैं, उसकी योजनाओं का कुछ ओर-छोर नहीं मिलता।

ओस के मोती- (क्षणभंगुर)

( औ )

औंधी खोपड़ी (उलटी बुद्धि)- मुन्ना तो औंधी खोपड़ी का हैं, उससे क्या बात करना।

औंधे मुँह गिरना (बुरी तरह धोखा खाना)- साझेदारी में काम करके रामू औंधे मुँह गिरा हैं।

औने के पौने करना (खरीद-फरोख्त में पैसे बचाना या चुराना)- अभिषेक बहुत सीधा लड़का हैं, वह औने-पौने करना नहीं जानता।

औने-पौने निकालना या बेचना (कोई वस्तु बहुत कम पैसों में बेचना)- वह अपना मकान औने-पौने में निकाल रहा हैं, पर कोई ग्राहक नहीं मिल रहा।

और का और होना (विशिष्ट परिवर्तन होना)- घर में सौतेली माँ के आते ही अनिल के पिताजी और के और हो गए।

( क )

कागजी घोड़े दौड़ाना (केवल लिखा-पढ़ी करना, पर कुछ काम की बात न होना)- आजकल सरकारी दफ्तर में सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ते है; होता कुछ नही।

कान देना (ध्यान देना)- पिता की बातों पर कण दिया करो।

कान खोलना (सावधान होना)- कान खोलकर सुन लो तिम्हें जुआ नही खेलना है।

कण पकरना (बाज आना)- कान पकड़ो की फिर ऐसा काम न करोगे।

कमर कसना (तैयार होना)- शत्रुओं से लड़ने के लिए भारतीयों को कमर कसकर तैयार हो जाना चाहिए

कलेजा मुँह का आना (भयभीत होना )- गुंडे को देख कर उसका कलेजा मुँह को आ गया

कलेजे पर साँप लोटना (डाह करना )- जो सब तरह से भरा पूरा है, दूसरे की उत्रति पर उसके कलेजे पर साँप क्यों लोटे।

कमर टूटना (बेसहारा होना )- जवान बेटे के मर जाने बाप की कमर ही टूट गयी।

किताब का कीड़ा होना (पढाई के अलावा कुछ न करना )- विद्यार्थी को केवल किताब का कीड़ा नहीं होना चाहिए, बल्कि स्वस्थ शरीर और उत्रत मस्तिष्कवाला होनहार युवक होना है।

कलम तोड़ना (बढ़िया लिखना)- वाह ! क्या अच्छा लिखा है। तुमने तो कलम तोड़ दी।

कोसों दूर भागना (बहुत अलग रहना)- शराब की क्या बात, मै तो भाँग से कोसों दूर भागता हुँ।

कुआँ खोदना (हानि पहुँचाने के यत्न करना)- जो दूसरों के लिये कुआँ खोदता है उसमे वह खुद गिरता है।

कल पड़ना (चैन मिलना)- कल रात वर्षा हुई, तो थोड़ी कल पड़ी।

किरकिरा होना (विघ्र आना)- जलसे में उनके शरीक न होने से सारा मजा किरकिरा हो गया।


किस मर्ज की दवा (किस काम के)- चाहते हो चपरासीगीरी और साइकिल चलाओगे नहीं। आखिर तुम किस मर्ज की दवा हो?

कुत्ते की मौत मरना (बुरी तरह मरना)- कंस की किस्मत ही ऐसी थी। कुत्ते की मौत मरा तो क्या।

काँटा निकलना (बाधा दूर होना)- उस बेईमान से पल्ला छूटा। चलो, काँटा निकला।

कागज काला करना (बिना मतलब कुछ लिखना)- वारिसशाह ने अपनी 'हीर' के शुरू में ही प्रार्थना की है- रहस्य की बात लिखनेवालों का साथ दो, कागज काला करनेवालों का नहीं।

किस खेत की मूली (अधिकारहीन, शक्तिहीन)- मेरे सामने तो बड़ों-बड़ों को झुकना पड़ा है। तुम किस खेत की मूली हो ?

कंठ का हार होना (बहुत प्रिय होना)- राजू अपनी दादी का कंठ का हार हैं, वह उसका बहुत ख्याल रखती हैं।

कंपकंपी छूटना (डर से शरीर काँपना)- ताज होटल में आतंकवादियों को देखकर मेरी कंपकंपी छूट गई।

ककड़ी-खीरा समझना (तुच्छ या बेकार समझना)- क्या तुमने मुझे ककड़ी-खीरा समझ रखा हैं, जो हर समय डाँटते रहते हो।

कचूमर निकालना (खूब पीटना)- बस में लोगों ने जेबकतरे का कचूमर निकाल दिया।

कच्ची गोली खेलना (अनाड़ीपन दिखाना)- मैंने कोई कच्ची गोली नहीं खेली हैं, जो मैं तुम्हारे कहने से नौकरी छोड़ दूँगा।

कटकर रह जाना (बहुत लज्जित होना)- जब मैंने राजू से सबके सामने उधार के पैसे माँगे तो वह कटकर रह गया।

कड़वा घूँट पीना (चुपचाप अपमान सहना)- पड़ोसी की जली-कटी सुनकर रामलाल कड़वा घूँट पीकर रह गए।

कढ़ी का-सा उबाल आना (जोश या क्रोध जल्दी खत्म हो जाना)- किशन का क्रोध तो कढ़ी का-सा उबाल हैं, जल्दी शान्त हो जाएगा।

कतरनी-सी जबान चलना (बहुत बोलना (अधिकांशत : उल्टा-सीधा बोलना)- अनुपम की कतरनी सी जबान चलती हैं तभी उससे कोई नहीं बोलता।

कदम उखड़ना (अपनी हार मान लेना या भाग जाना)- पुलिस का सायरन सुनते ही चोरों के कदम उखड़ गए।

कदम पर कदम रखना (अनुकरण करना)- महापुरुषों के कदम पर कदम रखना अच्छी आदत हैं।

कफ़न को कौड़ी न होना (बहुत गरीब होना)- राजू बातें तो राजाओं की-सी करता हैं, पर कफ़न को कौड़ी नहीं हैं।

कफ़न सिर से बाँधना (लड़ने-मरने के लिए तैयार होना)- हमारे सैनिक सिर से कफ़न बाँधकर ही देश की रक्षा करते हैं।

कबाब में हड्डी होना (सुख-शांति में बाधा होना)- देखो मित्र, तुम दोनों बात करो, मैं यहाँ बैठकर कबाब में हड्डी नहीं बनूँगा।

कबाब होना (क्रोध या ईर्ष्या से जलना)- मेरी सच्ची बात सुनकर राकेश कबाब हो गया।

कब्र में पाँव लटकना (मौत के निकट होना)- सक्सेना जी के तो कब्र में पाँव लटक रहे हैं, अब वे लम्बी यात्रा नहीं कर सकते।

कमर सीधी करना (आराम करना, लेटना)- मैं अभी चलता हूँ, जरा कमर सीधी कर लूँ।

कमान से तीर निकलना या छूटना (मुँह से बात निकलना)- मित्र, कमान से तीर निकल गया हैं, अब मैं बात से पीछे नहीं हटूँगा।

कल न पड़ना (चैन न पड़ना या बेचैन रहना)- जब तक दसवीं का परिणाम नहीं आएगा, मुझे कल नहीं पड़ेगी।

कलई खुलना (भेद प्रकट होना)- जब सबके सामने रामू की कलई खुल गई तो वह बहुत लज्जित हुआ।

कलई खोलना (भेद खोलना या भण्डाफोड़ करना)- राजू मुझे धमका रहा था कि यदि मैंने उसकी बात नहीं मानी तो वह मेरी कलई खोल देगा।

कलेजा काँपना (बहुत भयभीत होना)- आतंकवाद के नाम से ही रामू का कलेजा काँप जाता हैं।

कलेजा टुकड़े-टुकड़े होना (बहुत दुःखी होना)- उसकी कटु बातें सुनकर आज मेरा कलेजा टुकड़े-टुकड़े हो गया।

कलेजा ठण्डा होना (सुख-संतोष मिलना)- जब रवि की नौकरी लग गई तब उसकी माँ का कलेजा ठण्ड हुआ।

कलेजा दूना होना (उत्साह और जोश बढ़ना)- अपने उत्तीर्ण होने का समाचार पाकर उसका कलेजा दूना हो गया।

कलेजा पत्थर का करना (कठोर या निर्दयी बनना)- उसने कलेजा पत्थर का करके अपने पुत्र को विदेश भेजा।

कलेजा पसीजना (दया आना)- उसका विलाप सुनकर सबका कलेजा पसीज गया।

कलेजा फटना (बहुत दुःख होना)- उस हृदय-विदारक दुर्घटना से मेरा तो कलेजा फट गया।

कलेजे का टुकड़ा (अत्यन्त प्यारा या पुत्र)- रामू तो अपनी दादी का कलेजे का टुकड़ा हैं।

कलेजे पर छुरी चलना (बातें चुभना)- उसकी बातों से कलेजे पर छुरियाँ चलती हैं।

कलेजे पर पत्थर रखना (जी कड़ा करना)- ममता ने अपने कलेजे पर पत्थर रखकर अपनी पुत्री को विदा किया।

कलेजे में आग लगना (ईर्ष्या होना)- अपने पड़ोसी की ख़ुशी देखकर शीतल के कलेजे में आग लग गई

कसक निकलना (बदला लेना या बैर चुकाना)- वह मुझसे अपनी कसक निकालकर ही शान्त हुआ।

कसाई के खूँटे से बाँधना (निर्दयी या क्रूर मनुष्य के हाथों में देना)- उसने खुद अपनी बेटी को कसाई के खूँटे से बाँध दिया हैं। अब कोई क्या करेगा ?

कहर टूटना (भारी विपत्ति या मुसीबत पड़ना)- बाढ़ से फसल नष्ट होने पर रामू पर कहर टूट पड़ा।

कहानी समाप्त होना (मर जाना)- थोड़ा बीमार होने के बाद उसकी कहानी समाप्त हो गई।

काँटे बोना (अनिष्ट करना)- जो काँटे बोता हैं, उसे काँटे ही मिलते हैं।

काँटों पर लोटना (बेचैन होना)- नौकरी छूटने के बाद राजू काँटों पर लोट रहा हैं।

काँव-काँव करना (खाहमखाह शोर करना)- ये गाँव हैं, यहाँ ठीक से रहो, वर्ना सारा गाँव काँव-काँव करने लगेगा।

कागज की नाव (न टिकने वाली वस्तु)- हमें अपने शरीर पर गर्व नहीं करना चाहिए, ये तो कागज की नाव हैं।

काजल की कोठरी (कलंक का स्थान)- शराबघर तो काजल की कोठरी हैं, वहाँ मैं नहीं जाऊँगा।

काटो तो खून नहीं (स्तब्ध रह जाना)- उसे काटो तो खून नहीं, अचानक अध्यापक जो आ गए थे।

काठ का उल्लू (महामूर्ख व्यक्ति)- रामू तो काठ का उल्लू हैं। उसकी समझ में कुछ नहीं आता।

काठ मार जाना (सुन्न या स्तब्ध रह जाना)- यह सुनकर मुझे तो काठ मार गया कि मेरा मित्र शहर छोड़कर चला गया।

काठ में पाँव देना (जान-बूझकर विपत्ति में पड़ना)- तुलसी गाय-बजाय के देत काठ में पाँय।

कान का कच्चा (बिना सोचे-समझे दूसरों की बातों में आना)- वह तो कान का कच्चा हैं, जो कहोगे वही मान लेगा।

कान काटना (चालाकी या धूर्तता में आगे होना)- वह ऑफिस में अभी नया आया हैं, फिर भी सबके कान काटता हैं।

कान खाना (किसी बात को बार-बार कहना)- अरे मित्र! कान मत खाओ, अब चुप भी हो जाओ।

कान गर्म करना (दण्ड देना)- जब रामू ने अध्यापक का कहना नहीं माना तो उन्होंने उसके कान गर्म कर दिए।

कान या कानों पर जूँ न रेंगना (किसी की बात पर ध्यान न देना)- मैं चीख-चीख कर हार गया, पर मोहन के कान पर जूँ नहीं रेंगा।

कान फूँकना या कान भरना (किसी के विरुद्ध कोई बात कहना)- रमा कान फूँकने में सबसे आगे हैं, इसलिए मैं उससे मन की बात नहीं करता।

कान में रुई डालकर बैठना (बेखबर या लापरवाह होना, किसी की बात न सुनना)- अरे रामू! कान में रुई डाल कर बैठे हो क्या ? मैं कब से आवाज लगा रहा हूँ।

कानाफूसी करना (निन्दा करना)- अरे भाई! क्या कानाफूसी कर रहे हो? हमारे आते ही चुप हो गए।

कानी कौड़ी न होना (जेब में एक पैसा न होना)- अरे मित्र! तुम सौ रुपए माँग रहे हो, पर मेरी जेब में तो कानी कौड़ी भी नहीं हैं।

कानोंकान खबर न होना (चुपके-चुपके कार्य करना)- प्रधानाध्यापक ने सभी अध्यापकों से कहा कि परीक्षा-प्रश्नपत्र आ गए हैं, किसी को इसकी कानोंकान खबर न हो।

काफूर हो जाना (गायब हो जाना)- पुलिस को देखते ही वह शराबी न जाने कहाँ काफूर हो गया।

काम तमाम करना (किसी को मार डालना)- लुटेरों ने कल रामू का काम तमाम कर दिया।

कायापलट होना (पूर्णरूप से बदल जाना)- इस साल प्रधानाध्यापक ने विद्यालय की कायापलट कर दी हैं।

काल के गाल में जाना (मरना)- इस वर्ष बिहार में सैकड़ों लोग काल के गाल में चले गए।

कालिख पोतना (कलंकित करना)- ओम ने चोरी करके अपने परिवार पर कालिख पोत दी हैं।

काले कोसों जाना या होना (बहुत दूर जाना या बहुत दूर होना)- रामू नौकरी के लिए घर छोड़कर काले कोसों चला गया हैं।

किला फतह करना (बहुत कठिन कार्य करना)- रामू ने बारहवीं पास करके किला फतह कर लिया हैं।

किसी के कंधे से बंदूक चलाना (किसी पर निर्भर होकर कार्य करना)- अरे मित्र! किसी के कंधे से बंदूक क्यों चलाते हो, आत्मनिर्भर बनो।

किसी के आगे दुम हिलाना (खुशामद करना)- रामू मेरा मित्र हैं, वह मुझ पर मरता हैं अथवा वह मुझ पर जान छिड़कता हैं।

कीचड़ उछालना (किसी को बदनाम करना)- बेवजह किसी पर कीचड़ उछालना ठीक नहीं होता।

कीड़े काटना (परेशानी होना)- मात्र 5 मिनट पढ़ने के बाद रमा को कीड़े काटने लगते हैं।

कीड़े पड़ना (कमी या दोष होना)- मेरे सेबों में क्या कीड़े पड़े हैं, जो आप नहीं खरीदते?

कुएँ का मेंढक (जिसे बहुत कम अनुभव हो)- पवन तो कुएँ का मेंढक हैं - यह सब जानते हैं।

कुएँ में कूदना (संकट या खतरे का काम करना)- इस मोहल्ले के सरपंच की गवाही देकर वह कुएँ में कूद गया हैं। अब देखो, क्या होता हैं?

कुएँ में बाँस डालना (बहुत खोजना)- ओसामा बिन लादेन के लिए अमेरिका द्वारा कुओं में बाँस डाले गए, पर उसका कहीं पता नहीं चला।

कुत्ता काटना (पागल होना)- मुझे क्या कुत्ते ने काटा हैं, जो इतनी रात वहाँ जाऊँगा।

कुत्ते की नींद सोना (अचेत होकर सोना/कम सोना)- कुत्ते जैसी नींद अथवा कुत्ते की नींद सोने वाले विद्यार्थी निश्चय ही सफल होते हैं।

कुल्हिया में गुड़ फोड़ना (कोई कार्य छिपाकर करना)- मित्र, तुम कितना भी कुल्हिया में गुड़ फोड़ लो, पर सबको ज्ञात हो गया हैं कि तुम्हारी लॉटरी खुल गई हैं।

कोढ़ में खाज होना (संकट पर संकट होना)- रामू को तो कोढ़ में खाज हो गई हैं- पहले वह फेल हो गया, फिर बीमार पड़ गया।

कोर-कसर न रखना (जी-तोड़ प्रयास करना)- मैंने पढ़ने में अपनी ओर से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी हैं, आगे ईश्वर की इच्छा हैं।

कोरा जवाब देना (साफ इनकार करना)- मैंने मामाजी से पैसे उधार माँगे तो उन्होंने मुझे कोरा जवाब दे दिया।

कोल्हू का बैल (अत्यधिक परिश्रमी व्यक्ति)- धीरू चौबीस घण्टे काम करता हैं, वह तो कोल्हू का बैल हैं।

कौड़ियों के मोल बिकना (बहुत सस्ता बिकना)- आजकल मकान कौड़ियों के मोल बिक रहे हैं।

कौड़ी कफ़न को न होना (बहुत गरीब होना)- उसके पास कौड़ी कफ़न को नहीं हैं और बातें लाखों की करता हैं।

कौड़ी के तीन-तीन होना (बहुत सस्ता होना)- आजकल तो कलर टी. वी. कौड़ी के तीन-तीन हैं। अब नहीं लोगे, तो कब लोगे?

कौड़ी को न पूछना (बहुत तुच्छ समझना)- यह बिल्कुल सच हैं- गरीब आदमी को कोई कौड़ी को भी नहीं पूछता।

कौड़ी-कौड़ी दाँतों से पकड़ना (बहुत कंजूस होना)- रामू इतना अमीर हैं, फिर भी कौड़ी-कौड़ी दाँतों से पकड़ता हैं।

क्रोध पी जाना (क्रोध को दबाना)- रामू ने मुझे बहुत अपशब्द कहे, परन्तु उस समय मैं अपना क्रोध पी गया, वरना उससे झगड़ा हो जाता।

कंचन बरसना (लाभ ही लाभ होना)- सेठजी पर लक्ष्मी की असीम कृपा है, चारों ओर कंचन बरस रहा है।

कन्नी काटना (आँख बचाकर भाग जाना)- मेरा कर्ज न लौटना पड़े इसलिए वह आजकल मुझसे कन्नी काटता फिरता है।

कच्चा खा जाना (कठोर दंड देना)- अगर उसके सामने झूठ बोला तो वह तुम्हें कच्चा खा जाएगी।

कच्चा चिट्ठा खोलना (गुप्त बातों का उद्घाटन करना)- यदि तुमने मेरी बात न मानी तो सारी दुनिया के सामने तुम्हारा कच्चा चिट्ठा खोल दूँगा।

कानून छाँटना (निरर्थक तर्क उपस्थित करना)- मेरे सामने ज्यादा कानून मत छाँटो, मेरा काम कर सकते हो कर दो।

किस्मत की धनी (भाग्यशाली)- मेरा दोस्त सचमुच में किस्मत का धनी है पहले ही प्रयास में उसे नौकरी मिल गई।

कूप मंडूक (सीमित ज्ञान वाला व्यक्ति)- रोहन तो कूप मंडूक है। उससे पढ़ाई-लिखाई की बात करना व्यर्थ है।

कान पकना (एक ही बात सुनते-सुनते तंग आ जाना)- तुम्हारी बकवास सुनते-सुनते तो मेरे कान पक गए। अब बंद करो अपनी रामकथा।

काले पानी की सजा देना (देश निकाले का दंड देना)- देश के साथ गद्दारी करने वालों को तो काले पानी की सजा होनी चाहिए।

केंचुल बदलना (व्यवहार बदलना)- पहले तो मुझसे वह ठीक से बात करती थी पर अब न जाने क्यों उसने केंचुल बदल ली है।

कोठे पर बैठना (वेश्या का पेशा करना)- वह बहुत बड़ा गुंडा है न जाने कितनी मासूम लड़कियों को कोठे पर बिठा चुका है।

क्या से क्या हो जाना (स्थिति बदल जाना)- क्या से क्या हो गया? सोचा कुछ था हो कुछ गया।

क्या पड़ी है (कुछ जरूरत नहीं)- तुमको क्या पड़ी है जो दूसरों के मामले में टाँग फँसाते हो।

कलेजा फटना- (दिल पर बेहद चोट पहुँचना)

करवटें बदलना- (अड़चन डालना)

काला अक्षर भैंस बराबर- (अनपढ़, निरा मूर्ख)

काँटों में घसीटना- (संकट में डालना)

काम तमाम करना- (मार डालना)

किनारा करना- (अलग होना)

कोदो देकर पढ़ना- (अधूरी शिक्षा पाना)

कपास ओटना- (सांसरिक काम-धन्धों में लगे रहना)

कोल्हू का बैल- (खूब परिश्रमी)

कौड़ी का तीन समझना- (तुच्छ समझना)

कौड़ी काम का न होना- (किसी काम का न होना)

कौड़ी-कौड़ी जोड़ना- (छोटी-मोटी सभी आय को कंजूसी के साथ बचाकर रखना)

कटे पर नमक छिड़कना- विपत्ति के समय और दुःख देना)

कोहराम मचाना- (दुःखपूर्ण चीख -पुकार)

 

( ख )

ख़ाक छानना (भटकना)- नौकरी की खोज में वह खाक छानता रहा।

खून-पसीना एक करना (अधिक परिश्रम करना)- खून पसीना एक करके विद्यार्थी अपने जीवन में सफल होते है।

खरी-खोटी सुनाना (भला-बुरा कहना)- कितनी खरी-खोटी सुना चुका हुँ, मगर बेकहा माने तब तो ?

खून खौलना (क्रोधित होना)- झूठ बातें सुनते ही मेरा खून खौलने लगता है।

खून का प्यासा (जानी दुश्मन होना)- उसकी क्या बात कर रहे हो, वह तो मेरे खून का प्यासा हो गया है।

खेत रहना या आना (वीरगति पाना)- पानीपत की तीसरी लड़ाई में इतने मराठे आये कि मराठा-भूमि जवानों से खाली हो गयी।

खटाई में पड़ना (झमेले में पड़ना, रुक जाना)- बात तय थी, लेकिन ऐन मौके पर उसके मुकर जाने से सारा काम खटाई में पड़ गया।

खेल खेलाना (परेशान करना)- खेल खेलाना छोड़ो और साफ-साफ कहो कि तुम्हारा इरादा क्या है।

खटाई में डालना (किसी काम को लटकाना)- उसनेतो मेरा काम खटाई में डाल दिया। अब किसी और से कराना पड़ेगा।

खबर लेना (सजा देना या किसी के विरुद्ध कार्यवाई करना)- उसने मेरा काम करने से इनकार किया हैं, मुझे उसकी खबर लेनी पड़ेगी।

खाई से निकलकर खंदक में कूदना (एक परेशानी या मुसीबत से निकलकर दूसरी में जाना)- मुझे ज्ञात नहीं था कि मैं खाई से निकलकर खंदक में कूदने जा रहा हूँ।

खाक फाँकना (मारा-मारा फिरना)- पहले तो उसने नौकरी छोड़ दी, अब नौकरी की तलाश में खाक फाँक रहा हैं।

खाक में मिलना (सब कुछ नष्ट हो जाना)- बाढ़ आने पर उसका सब कुछ खाक में मिल गया।

खाना न पचना (बेचैन या परेशान होना)- जब तक श्यामा अपने मन की बात मुझे बताएगी नहीं, उसका खाना नहीं पचेगा।

खा-पी डालना (खर्च कर डालना)- उसने अपना पूरा वेतन यार-दोस्तों में खा-पी डाला, अब उधार माँग रहा हैं।

खाने को दौड़ना (बहुत क्रोध में होना)- मैं अपने ताऊजी के पास नहीं जाऊँगा, वे तो हर किसी को खाने को दौड़ते हैं।

खार खाना (ईर्ष्या करना)- वह तो मुझसे खार खाए बैठा हैं, वह मेरा काम नहीं करेगा।

खिचड़ी पकाना (गुप्त बात या कोई षड्यंत्र करना)- छात्रों को खिचड़ी पकाते देख अध्यापक ने उन्हें डाँट दिया।

खीरे-ककड़ी की तरह काटना (अंधाधुंध मारना-काटना)- 1857 की लड़ाई में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को खीरे-ककड़ी की तरह काट दिया था।

खुदा-खुदा करके (बहुत मुश्किल से)- रामू खुदा-खुदा करके दसवीं में उत्तीर्ण हुआ हैं।

खुशामदी टट्टू (खुशामद करने वाला)- वह तो खुशामदी टट्टू हैं, खुशामद करके अपना काम निकाल लेता हैं।

खूँटा गाड़ना (रहने का स्थान निर्धारित करना)- उसने तो यहीं पर खूँटा गाड़ लिया हैं, लगता हैं जीवन भर यहीं रहेगा।

खून-पसीना एक करना (बहुत कठिन परिश्रम करना)- रामू खून-पसीना एक करके दो पैसे कमाता हैं।

खून के आँसू रुलाना (बहुत सताना या परेशान करना)- रामू कलियुगी पुत्र हैं, वह अपने माता-पिता को खून के आँसू रुला रहा हैं।

खून के आँसू रोना (बहुत दुःखी या परेशान होना)- व्यापार में घाटा होने पर सेठजी खून के आँसू रो रहे हैं।

खून-खच्चर होना (बहुत मारपीट या झगड़ा होना)- सुबह-सुबह दोनों भाइयों में खून-खच्चर हो गया।

खून सवार होना (बहुत क्रोध आना)- उसके ऊपर खून सवार हैं, आज वह कुछ भी कर सकता हैं।

खून पीना (शोषण करना)- सेठ रामलाल जी अपने कर्मचारियों का बहुत खून चूसते हैं।

ख्याली पुलाव पकाना (असंभव बातें करना)- अरे भाई! ख्याली पुलाव पकाने से कुछ नहीं होगा, कुछ काम करो।

खून ठण्डा होना (उत्साह से रहित होना या भयभीत होना)- आतंकवादियों को देखकर मेरा तो खून ठण्डा पड़ गया।

खेल बिगड़ना (काम बिगड़ना)- अगर पिताजी ने साथ नहीं दिया तो हमारा सारा खेल बिगड़ जाएगा।

खेल बिगाड़ना (काम बिगाड़ना)- यदि हमने मोहन की बात नहीं मानी तो वह बना-बनाया खेल बिगाड़ देगा।

खोटा पैसा (अयोग्य पुत्र)- कभी-कभी खोटा पैसा भी काम आ जाता हैं।

खोपड़ी खाना या खोपड़ी चाटना (बहुत बातें करके परेशान करना)- अरे भाई! मेरी खोपड़ी मत खाओ, जाओ यहाँ से।

खोपड़ी खाली होना (श्रम करके दिमाग का थक जाना)- उसे पढ़ाकर तो मेरी खोपड़ी खाली हो गई, फिर भी उसे कुछ समझ नहीं आया।

खोपड़ी गंजी करना (बहुत मारना-पीटना)- लोगों ने मार-मार कर चोर की खोपड़ी गंजी कर दी।

खोपड़ी पर लादना (किसी के जिम्मे जबरन काम मढ़ना)- अधिकतर कर्मचारियों के छुट्टी पर जाने के कारण एक या दो कर्मचारियों की खोपड़ी पर काम लादना पड़ा।

खोलकर कहना (स्पष्ट कहना)- मित्र, जो कहना हैं, खोलकर कहो, मुझसे कुछ भी मत छिपाओ।

खोज खबर लेना (समाचार मिलना)- मदन के दादा जी घर छोड़कर चले गए। बहुत से लोगों ने उनकी खोज खबर ली तो भी उनका पता नहीं चला।

खोद-खोद कर पूछना (अनेकानेक प्रश्न पूछना)- खोद-खोद कर पूछना बंद करो, मैं इस तरह के सवालों के जबाब नहीं दूँगा।

खून सूखना- (अधिक डर जाना)

खून सफेद हो जाना- (बहुत डर जाना)

खम खाना- (दबना, नष्ट होना)

खटिया सेना- (बीमार होना)

खा-पका जाना- (बर्बाद करना)

खूँटे के बल कूदना- (किसी के भरोसे पर जोर या जोश दिखाना)

( ग )

गले का हार होना (बहुत प्यारा)- लक्ष्मण राम के गले का हर थे।

गर्दन पर सवार होना (पीछा ना छोड़ना )- जब देखो, तुम मेरी गर्दन पर सवार रहते हो।

गला छूटना (पिंड छोड़ना)- उस कंजूस की दोस्ती टूट ही जाती, तो गला छूटता।

गर्दन पर छुरी चलाना (नुकसान पहुचाना)- मुझे पता चल गया कि विरोधियों से मिलकर किस तरह मेरे गले पर छुरी चला रहे थेो।

गड़े मुर्दे उखाड़ना (दबी हुई बात फिर से उभारना)- जो हुआ सो हुआ, अब गड़े मुर्दे उखारने से क्या लाभ ?

गागर में सागर भरना (एक रंग -ढंग पर न रहना)- उसका क्या भरोसा वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता है।

गुल खिलना (नयी बात का भेद खुलना, विचित्र बातें होना)- सुनते रहिये, देखिये अभी क्या गुल खिलेगा।

गिरगिट की तरह रंग बदलना (बातें बदलना)- गिरगिट की तरह रंग बदलने से तुम्हारी कोई इज्जत नहीं करेगा।

गाल बजाना (डींग हाँकना)- जो करता है, वही जानता है। गाल बजानेवाले क्या जानें ?

गिन-गिनकर पैर रखना (सुस्त चलना, हद से ज्यादा सावधानी बरतना)- माना कि थक गये हो, मगर गिन-गिनकर पैर क्या रख रहे हो ? शाम के पहले घर पहुँचना है या नहीं ?

गुस्सा पीना (क्रोध दबाना)- गुस्सा पीकर रह गया। चाचा का वह मुँहलगा न होता, तो उसकी गत बना छोड़ता।

गूलर का फूल होना (लापता होना)- वह तो ऐसा गूलर का फूल हो गया है कि उसके बारे में कुछ कहना मुश्किल है।

गुदड़ी का लाल (गरीब के घर में गुणवान का उत्पत्र होना)- अपने वंश में प्रेमचन्द सचमुच गुदड़ी के लाल थे।

गाँठ में बाँधना (खूब याद रखना )- यह बात गाँठ में बाँध लो, तन्दुरुस्ती रही तो सब रहेगा।

गुड़ गोबर करना (बनाया काम बिगाड़ना)- वीरू ने जरा-सा बोलकर सब गुड़-गोबर कर दिया।

गुरू घंटाल(दुष्टों का नेता या सरदार)- अरे भाई, मोनू तो गुरू घंटाल है, उससे बचकर रहना।

गंगा नहाना (अपना कर्तव्य पूरा करके निश्चिन्त होना)- रमेश अपनी बेटी की शादी करके गंगा नहा गए।

गच्चा खाना (धोखा खाना)- रामू गच्चा खा गया, वरना उसका कारोबार चला जाता।

गजब ढाना (कमाल करना)- लता मंगेशकर ने तो गायकी में गजब ढा दिया हैं।

गज भर की छाती होना- (अत्यधिक साहसी होना)- उसकी गज भर की छाती है तभी तो अकेले ने ही चार-चार आतंकवादियों को मार दिया।

गढ़ फतह करना (कठिन काम करना)- आई.ए.एस. पास करके शंकर ने सचमुच गढ़ फतह कर लिया।

गधा बनाना (मूर्ख बनाना) अप्रैल फूल डे वाले दिन मैंने रामू को खूब गधा बनाया।

गधे को बाप बनाना (काम निकालने के लिए मूर्ख की खुशामद करना)- रामू गधे को बाप बनाना अच्छी तरह जानता हैं।

गर्दन ऐंठी रहना (घमंड या अकड़ में रहना)- सरकारी नौकरी लगने के बाद तो उसकी गर्दन ऐंठी ही रहती हैं।

गर्दन फँसना (झंझट या परेशानी में फँसना)- उसे रुपया उधार देकर मेरी तो गर्दन फँस गई हैं।

गरम होना (क्रोधित होना)- अंजू की दादी जरा-जरा सी बात पर गरम हो जाती हैं।

गला काटना (किसी की ठगना)- कल अध्यापक ने बताया कि किसी का गला काटना बुरी बात हैं।

गला पकड़ना (किसी को जिम्मेदार ठहराना)- गलती चाहे किसी की हो, पिताजी मेरा ही गला पकड़ते हैं।

गला फँसाना (मुसीबत में फँसाना)- अपराध उसने किया हैं और गला मेरा फँसा दिया हैं। बहुत चतुर है वो!

गला फाड़ना (जोर से चिल्लाना)- राजू कब से गला फाड़ रहा है कि चाय पिला दो, पर कोई सुनता ही नहीं।

गले पड़ना (पीछे पड़ना)- मैंने उसे एक बार पैसे उधार क्या दे दिए, वह तो गले ही पड़ गया।

गले पर छुरी चलाना (अत्यधिक हानि पहुँचाना)- उसने मुझे नौकरी से बेदखल करा के मेरे गले पर छुरी चला दी।

गले न उतरना (पसन्द नहीं आना)- मुझे उसका काम गले हीं उतरता, वह हर काम उल्टा करता हैं।

गाँठ का पूरा, आँख का अंधा (धनी, किन्तु मूर्ख व्यक्ति)- सेठ जी गाँठ के पूरे, आँख के अंधे हैं तभी रामू का कहना मानकर अनाड़ी मोहन को नौकरी पर रख लिया हैं।

गाजर-मूली समझना (तुच्छ समझना)- मोहन ने कहा कि उसे कोई गाजर-मूली न समझे, वह बहुत कुछ कर सकता है।

गाढ़ी कमाई (मेहनत की कमाई)- ये मेरी गाढ़ी कमाई है, अंधाधुंध खर्च मत करो।

गाढ़े दिन (संकट का समय)- रमेश गाढ़े दिनों में भी खुश रहता है।

गाल फुलाना (रूठना)- अंशु सुबह से ही गाल फुलाकर बैठी हुई है।

गुजर जाना (मर जाना)- मेरे दादाजी तो एक साल पहले ही गुजर गए और तुम आज पूछ रहे हो।

गुल खिलाना (बखेड़ा खड़ा करना)- यह लड़का जरूर कोई गुल खिला कर आया है तभी चुप बैठा है।

गुलछर्रे उड़ाना (मौजमस्ती करना)- मित्र, परीक्षाएँ नजदीक हैं और तुम गुलछर्रे उड़ा रहे हो।

गूँगे का गुड़ (वर्णनातीत अर्थात जिसका वर्णन न किया जा सके)- दादाजी कहते हैं कि ईश्वर के ध्यान में जो आनंद मिलता है, वह तो गूँगे का गुड़ है।

गोता मारना (गायब या अनुपस्थित होना)- अरे मित्र! तुमने दो दिन कहाँ गोता मारा, नजर नहीं आए।

गोली मारना (त्याग देना या ठुकरा देना)- रंजीत ने कहा कि बस को गोली मारो, हम तो पैदल जायेंगे।

गौं का यार (मतलब का साथी)- रमेश तो गौं का यार है, वो बेमतलब तुम्हारा काम नहीं करेगा।

गोद भरना (संतान होना, विवाह से पूर्व कन्या के आँचल में नारियल आदि सामान देकर विवाह पक्का करना)- सुरेश की बहन का गोद भर गई है, अब अगले माह शादी होनी है।

गोद लेना (दत्तक बनाना, अपना पुत्र न होने पर किसी बच्चे को विधिवत अपना पुत्र बनाना)- महिमा दीदी के जब कोई संतान नहीं हुई तो उन्होंने एक बच्चा गोद लिया।

गोद सूनी होना (संतानहीन होना)- जब तुम्हारी गोद सूनी है तो किसी बच्चे को गोद क्यों नहीं ले लेते ?

गोबर गणेश (मूर्ख)- वह तो एकदम गोबर गणेश है, उसकी समझ में कुछ नहीं आता।

गोलमाल करना (काम बिगाड़ना/गड़बड़ करना)- मुंशी जी ने सेठ जी का सारे हिसाब-किताब का गोलमाल कर दिया।

गंगाजली उठाना (हाथ में गंगाजल से भरा पात्र लेकर शपथपूर्वक कहना)- मैंने गंगाजली उठा ली तो भी उसे मेरी बात पर यकीन नहीं हुआ।

गाल बजाना- (डींग मारना)

काल के गाल में जाना- (मृत्यु के मुख में पड़ना)

गंगा लाभ होना- (मर जाना)

गीदड़भभकी- (मन में डरते हुए भी ऊपर से दिखावटी क्रोध करना)

गुड़ियों का खेल- (सहज काम)

गतालखाते में जाना-(नष्ट होना)

गाढ़े में पड़ना- (संकट में पड़ना)

गोटी लाल होना- (लाभ होना)

गढ़ा खोदना- (हानि पहुँचाने का उपाय करना)

गूलर का कीड़ा- (सीमित दायरे में भटकना)

( घ )

घर का न घाट का (कहीं का नहीं)- कोई काम आता नही और न लगन ही है कि कुछ सीखे-पढ़े। ऐसा घर का न घाट का जिये तो कैसे जिये।

घाव पर नमक छिड़कना (दुःख में दुःख देना)- राम वैसे ही दुखी है, तुम उसे परेशान करके घाव पर नमक छिड़क रहे हो।

घोड़े बेचकर सोना (बेफिक्र होना)- बेटी तो ब्याह दी। अब क्या, घोड़े बेचकर सोओ।

घड़ो पानी पड़ जाना (अत्यन्त लज्जित होना )- वह हमेशा फस्ट क्लास लेता था मगर इस बार परीक्षा में चोरी करते समय रँगे हाथ पकड़े जाने पर बच्चू पर घोड़े पड़ गया।

घी के दीए जलाना (अप्रत्याशित लाभ पर प्रसत्रता)- जिससे तुम्हारी बराबर ठनती रही, वह बेचारा कल शाम कूच कर गया। अब क्या है, घी के दीये जलाओ।

घर बसाना (विवाह करना)- उसने घर क्या बसाया, बाहर निकलता ही नहीं।

घात लगाना (मौका ताकना)- वह चोर दरवान इसी दिन के लिए तो घात लगाये था, वर्ना विश्र्वास का ऐसा रँगीला नाटक खेलकर सेठ की तिजोरी-चाबी तक कैसे समझे रहता ?

घाट-घाट का पानी पीना (हर प्रकार का अनुभव होना)- मुन्ना घाट-घाट का पानी पिए हुए है, उसे कौन धोखा दे सकता है।

घर आबाद करना (विवाह करना)- देर से ही सही, रामू ने अपना घर आबाद कर लिया।

घर का उजाला (सुपुत्र अथवा इकलौता पुत्र)- सब जानते हैं कि मोहन अपने घर का उजाला हैं।

घर काट खाने दौड़ना (सुनसान घर)- घर में कोई नहीं है इसलिए मुझे घर काट खाने को दौड़ रहा है।

घर का चिराग गुल होना (पुत्र की मृत्यु होना)- यह सुनकर बड़ा दुःख हुआ कि मेरे मित्र के घर का चिराग गुल हो गया।

घर का बोझ उठाना (घर का खर्च चलाना या देखभाल करना)- बचपन में ही अपने पिता के मरने के बाद राकेश घर का बोझ उठा रहा है।

घर का नाम डुबोना (परिवार या कुल को कलंकित करना)- रामू ने चोरी के जुर्म में जेल जाकर घर का नाम डुबो दिया।

घर घाट एक करना (कठिन परिश्रम करना)- नौकरी के लिए संजय ने घर घाट एक कर दिया।

घर फूँककर तमाशा देखना (अपना घर स्वयं उजाड़ना या अपना नुकसान खुद करना)- जुए में सब कुछ बर्बाद करके राजू अब घर फूँक के तमाशा देख रहा है।

घर में आग लगाना (परिवार में झगड़ा कराना)- वह तो सबके घर में आग लगाता फिरता हैं इसलिए उसे कोई अपने पास नहीं बैठने देता।

घर में भुंजी भाँग न होना (बहुत गरीब होना)- रामू के घर में भुंजी भाँग नहीं हैं और बातें करता है नवाबों की।

घाव पर मरहम लगाना (सांत्वना या तसल्ली देना)- दादी पहले तो मारती है, फिर घाव पर मरहम लगाती है।

घाव हरा होना (भूला हुआ दुःख पुनः याद आना)- राजा ने अपने मित्र के मरने की खबर सुनी तो उसके अपने घाव हरे हो गए।

घास खोदना (तुच्छ काम करना)- अच्छी नौकरी छोड़ के राजू अब घास खोद रहा है।

घास न डालना (सहायता न करना या बात तक न करना)- मैनेजर बनने के बाद राजू अब मुझे घास नहीं डालता।

घी-दूध की नदियाँ बहना (समृद्ध होना)- श्रीकृष्ण के युग में हमारे देश में घी-दूध की नदियाँ बहती थीं।

घुटने टेकना (हार या पराजय स्वीकार करना)- संजू इतनी जल्दी घुटने टेकने वाला नहीं है, वह अंतिम साँस तक प्रयास करेगा।

घोड़े पर सवार होना (वापस जाने की जल्दी में होना)- अरे मित्र, तुम तो सदैव घोड़े पर सवार होकर आते हो, जरा हमारे पास भी बैठो।

घोलकर पी जाना (कंठस्थ याद करना)- रामू दसवीं में गणित को घोलकर पी गया था तब उसके 90 प्रतिशत अंक आए हैं।

घनचक्कर (मूर्ख/आवारागर्द)- किस घनचक्कर को मेरे पास लाए हो, इसे तो बात करने की भी तमीज नहीं है।

घपले में पड़ना (किसी काम का खटाई में पड़ना)- लोन के कागज पूरे न होने के कारण लोन स्वीकृति का मामला घपले में पड़ गया है।

घर उजड़ना (गृहस्थी चौपट हो जाना)- रामनायक की दुर्घटना में मृत्यु क्या हुई, दो महीने में ही उसका सारा घर उजड़ गया।

घिग्घी बँध जाना (डर के कारण आवाज न निकलना)- वैसे तो रोहन अपनी बहादुरी की बहुत डींगे मारता है पर कल रात एक चोर को देखकर उसकी घिग्घी बँध गई।

घुट-घुट कर मरना (असहय कष्ट सहते हुए मरना)- गरीबों पर अत्याचार करने वाले घुट-घुट कर मरेंगे।

घुटा हुआ (छँटा हुआ बदमाश)- प्रमोद पर विश्वास मत करना एकदम घुटा हुआ है।

घर का मर्द- (बाहर डरपोक)

घर का आदमी-(कुटुम्ब, इष्ट-मित्र)

घातपर चढ़ना- (तत्पर रहना)

( च )

चल बसना (मर जाना)- बेचारे का बेटा भरी जवानी में चल बसा।

चार चाँद लगाना (चौगुनी शोभा देना)- निबन्धों में मुहावरों का प्रयोग करने से चार चाँद लग जाता है।

चिकना घड़ा होना (बेशर्म होना)- तुम ऐसा चिकना घड़ा हो तुम्हारे ऊपर कहने सुनने का कोई असर नहीं पड़ता।

चिराग तले अँधेरा (पण्डित के घर में घोर मूर्खता आचरण )- पण्डितजी स्वयं तो बड़े विद्वान है, किन्तु उनके लड़के को चिराग तले अँधेरा ही जानो।

चैन की बंशी बजाना (मौज करना)- आजकल राम चैन की बंशी बजा रहा है।

चार दिन की चाँदनी (थोड़े दिन का सुख)- राजा बलि का सारा बल भी जब चार दिन की चाँदनी ही रहा, तो तुम किस खेत की मूली हो ?

चींटी के पर लगना या जमना (विनाश के लक्षण प्रकट होना)- इसे चींटी के पर जमना ही कहेंगे कि अवतारी राम से रावण बुरी तरह पेश आया।

चूँ न करना (सह जाना, जवाब न देना)- वह जीवनभर सारे दुःख सहता रहा, पर चूँ तक न की।

चादर से बाहर पैर पसारना (आय से अधिक व्यय करना)- डेढ़ सौ ही कमाते हो और इतनी खर्चीली लतें पाल रखी है। चादर के बाहर पैर पसारना कौन-सी अक्लमन्दी है ?

चाँद पर थूकना (व्यर्थ निन्दा या सम्माननीय का अनादर करना)- जिस भलेमानस ने कभी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा, उसे ही तुम बुरा-भला कह रहे हो ?भला, चाँद पर भी थूका जाता है ?

चूड़ियाँ पहनना (स्त्री की-सी असमर्थता प्रकट करना)- इतने अपमान पर भी चुप बैठे हो! चूड़ियाँ तो नहीं पहन रखी है तुमने ?

चहरे पर हवाइयाँ उड़ना (डरना, घबराना)- साम्यवाद का नाम सुनते ही पूँजीपतियों के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगती है।

चाँदी काटना (खूब आमदनी करना)- कार्यालय में बाबू लोग खूब चाँदी काट रहे है।

चम्पत हो जाना (भाग जाना)- जब काम करने की बारी आई तो राजू चंपत हो गया।

चकमे में आना (धोखे में पड़ना)- किशोर किसी के चकमे में आने वाला नहीं है, वह बहुत समझदार है।

चकमा देना (धोखा देना)- वह बदमाश मुझे धोखा देकर भाग गया।

चक्कर में आना (फंदे में फँसना)- मुझसे गलती हो गई जो मैं उस ठग के चक्कर में फँस गया।

चना-चबैना (रूखा-सूखा भोजन)- आजकल रामू चना-चबैना खाकर गुजारा कर रहा हैं।

चपत पड़ना (हानि अथवा नुकसान होना)- नया मकान खरीदने में रमेश को 20 हजार की चपत पड़ी।

चमक उठना (उन्नति करना)- रामू ने जीवन में बहुत परिश्रम किया है, अब वह चमक उठा है।

चमड़ी उधेड़ना या खींचना (बहुत पीटना)- राजू, तुमने दुबारा मुँह खोला तो मैं तुम्हारी चमड़ी उधेड़ दूँगा।

चरणों की धूल (तुच्छ व्यक्ति)- हे प्रभु! मैं तो आपके चरणों की धूल हूँ, मुझ पर दया करो।

चलता पुर्जा (चालाक)- रवि चलता पुर्जा है, उससे बचकर रहना ही अच्छा है।

चस्का लगना (बुरी आदत)- धीरू को धूम्रपान का बहुत बुरा चस्का लग गया है।

चाँद का टुकड़ा (बहुत सुन्दर)- रामू का पुत्र तो चाँद का टुकड़ा है, वह उसे प्रतिदिन काला टीका लगाता है।

चाँदी कटना (खूब लाभ होना)- आजकल रामरतन की कारोबार में चाँदी कट रही है।

चाँदी ही चाँदी होना (खूब धन लाभ होना)- अरे मित्र! यदि तुम्हारी ये दुकान चल गई तो चाँदी ही चाँदी हो जाएगी।

चाँदी का जूता (घूस या रिश्वत)- जब रामू ने लाइन में लगे बिना अपना काम करा लिया तो उसने मुझसे कहा- तुम भी चाँदी का जूता मारो और काम करा लो, लाइन में क्यों लगे हो?

चाट पड़ना (आदत पड़ना)- रानी को तो चाट पड़ गई है, वह बार-बार पैसा उधार माँगने आ जाती है।

चादर देखकर पाँव पसारना (आमदनी के अनुसार खर्च करना)- पिताजी ने मुझसे कहा कि आदमी को चादर देखकर पाँव पसारने चाहिए, वरना उसे पछताना पड़ता है।

चादर के बाहर पैर पसारना (आय से अधिक व्यय करना)- जो लोग चादर के बाहर पैर पसारते हैं हमेशा तंगी का ही अनुभव करते रहते हैं।

चार सौ बीस (कपटी एवं धूर्त व्यक्ति)- मुन्ना चार सौ बीस है, इसलिए सब उससे दूर रहते हैं।

चार सौ बीसी करना (छल-कपट या धोखा करना)- मित्र, तुम मुझसे चार सौ बीसी मत करना, वर्ना अच्छा नहीं होगा।

चिकनी-चुपड़ी बातें (धोखा देने वाली बातें)- एक व्यक्ति चिकनी-चुपड़ी बातें करके रामू की माँ को ठग ले गया।

चिड़िया उड़ जाना (चले जाना या गायब हो जाना)- अरे भाई, कब से तुमसे कहा था कि शहद अच्छा है, ले लो। अब तो चिड़िया उड़ गई। जाओ अपने घर।

चिड़िया फँसाना (किसी को धोखे से अपने वश में करना)- जब परदेस में एक आदमी मुझे फुसलाने लगा तो मैंने उससे कहा- अरे भाई, अपना काम करो। ये चिड़िया फँसने वाली नहीं है।

चिनगारी छोड़ना (लड़ाई-झगड़े वाली बात करना)- राजू ने ऐसी चिनगारी छोड़ी कि दो मित्रों में झगड़ा हो गया।

चिराग लेकर ढूँढना (बहुत छानबीन या तलाश करना)- मैंने माँ से कहा कि राजू जैसा मित्र तो चिराग लेकर ढूँढ़ने से भी नहीं मिलेगा, इसलिए मैं उसे अपने घर लाया हूँ।

चिल्ल-पौं मचना (शोरगुल होना)- जब कक्षा में अध्यापक नहीं होते तो चिल्ल-पौं मच जाती है।

चीं बोलना (हार मान लेना)- आज राजू कबड्डी में चीं बोल गया।

चींटी के पर निकलना (मृत्यु के निकट पहुँचना)- रामू ने जब ज्यादा आतंक मचाया तो मैंने कहा- लगता है, अब चींटी के पर निकल आए हैं।

चुटकी लेना (हँसी उड़ाना)- जब रमेश डींग मारता है तो सभी उसकी चुटकी लेते हैं।

चुटिया हाथ में लेना (पूर्णरूप से नियंत्रण में होना)- मित्र, उस बदमाश की चुटिया मेरे हाथ में हैं। तुम फिक्र मत करो।

चुल्लू भर पानी में डूब मरना (अत्यन्त लज्जित होना)- जब सबके सामने राजू का झूठ पकड़ा गया तो उसके लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने वाली बात हो गई।

चूना लगाना (ठगना)- कल एक अनजान आदमी गोपाल को 100 रुपए का चूना लगा गया।

चूहे-बिल्ली का बैर (स्वाभाविक विरोध)- राम और मोहन में तो चूहे-बिल्ली का बैर है। दोनों भाई हर समय झगड़ते रहते हैं।

चेहरे का रंग उड़ना (निराश होना)- जब रानी को परीक्षा में फेल होने की सूचना मिली तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया।

चेहरा खिलना (खुश होना)- जब अमित दसवीं में उत्तीर्ण हो गया तो उसका चेहरा खिल गया।

चेहरा तमतमाना (बहुत क्रोध आना)- जब बच्चे कक्षा में शोर मचाते हैं तो अध्यापक का चेहरा तमतमा जाता हैं।

चैन की वंशी बजाना (सुख से समय बिताना)- मेरा मित्र डॉक्टर बनकर चैन की वंशी बजा रहा हैं।

चोटी और एड़ी का पसीना एक करना (खूब परिश्रम करना)- मुकेश ने नौकरी के लिए चोटी और एड़ी का पसीना एक कर दिया हैं।

चोली-दामन का साथ (काफी घनिष्ठता)- धीरू और वीरू का चोली-दामन का साथ है।

चोटी पर पहुँचना (बहुत उन्नति करना)- अध्यापक ने कक्षा में कहा कि चोटी पर पहुँचने के लिए व्यक्ति को अथक परिश्रम करना पड़ता है।

चोला छोड़ना (शरीर त्यागना)- गाँधीजी ने चोला छोड़ते समय 'हे राम' कहा था।

चंडू खाने की (निराधार बात)- मेरे सामने तुम चंडूखाने की मत सुनाया करो। मुझे तुम्हारी किसी भी बात पर यकीन नहीं है।

चट कर जाना (सबका सब खा जाना)- वह तीन दिन से भूखा था, सारा खाना एकदम चट कर गया।

चप्पा-चप्पा छान डालना (हर जगह जाकर देख आना)- पुलिस ने जंगल का चप्पा-चप्पा छान मारा लेकिन चोरों का सुराग न मिला।

चरबी चढ़ना (मदांध होना)- लॉटरी लगते ही प्रमोद पर चरबी चढ़ गई है, दूसरों को कुछ समझता ही नहीं है।

चहल-पहल होना (रौनक होना)- दिवाली के कारण आज बाजार में बहुत चहल-पहल है।

चाकरी बजाना (सेवा करना)- रामकमल ने अपने अधिकारी की खूब चाकरी बजाई फिर भी उसका प्रमोशन न हो सका।

चिल्ले का जाड़ा (बहुत भयंकर ठंड)- जनवरी माह में दिल्ली में चिल्ले का जाड़ा पड़ता है। अगर इन्हीं दिनों जाना पड़े तो गरम कपड़े लेकर जाना।

चुगली खाना/लगाना (पीछे-पीछे निंदा करना)- जो लोग पीछे-पीछे दूसरों की चुगली लगाते/खाते हैं उनकी पोल जल्दी ही खुल जाती है।

चुटकी बजाते-बजाते (चटपट)- आपका यह काम तो मैं चुटकी बजाते-बजाते पूरा कर दूँगा, आप चिंता न करें।

चूँ-चूँ का मुरब्बा (बेमेल चीजों का योग)- यह पार्टी तो चूँ-चूँ का मुरब्बा है। न जाने इस पार्टी में कहाँ-कहाँ के लोग शामिल हैं।

चूर चूर कर देना (नष्ट करना)- कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान का घमंड चूर-चूर कर दिया था।

चूल्हा जलना (खाना बनना)- रामेश्वर के यहाँ इतनी तंगी है कि दो दिन से घर में चूल्हा तक नहीं जला है।

चौखट पर माथा टेकना (अनुनय-विनय करना)- वैष्णोदेवी की चौखट पर जाकर माथा टेको, तभी कष्ट दूर होंगे।

चल निकलना- (प्रगति करना, बढ़ना)

चिकने घड़े पर पानी पड़ना- (उपदेश का कोई प्रभाव न पड़ना)

चुनौती देना- (ललकारना)

चण्डूखाने की गप- (झूठी गप)

चींटी के पर जमना- (ऐसा काम करना जिससे हानि या मृत्यु हो

चाचा बनाना- (दण्ड देना)

 

( छ )

छक्के छूटना (बुरी तरह पराजित होना)- महाराजकुमार विजयनगरम की विकेट-कीपरी में अच्छे-अच्छे बॉलर के छक्के छूट चुके है।

छप्पर फाडकर देना (बिना मेहनत का अधिक धन पाना)- ईश्वर जिसे देता है, उसे छप्पर फाड़कर देता है।

छाती पर पत्थर रखना (कठोर ह्रदय)- उसने छाती पर पत्थर रखकर अपने पुत्र को विदेश भेजा था।

छाती पर सवार होना (आ जाना)- अभी वह बात कर रही थी कि बच्चे उसके छाती पर सवार हो गए।

छक्के छुड़ाना (हौसला पस्त करना या हराना)- शिवाजी ने युद्ध में मुगलों के छक्के छुड़ा दिए थे।

छाती पर मूँग या कोदो दलना (किसी को कष्ट देना)- राजन के घर रानी दिन-रात उसकी विधवा माँ की छाती पर मूँग दल रही है।

छाती पर साँप लोटना (ईर्ष्या से हृदय जलना)- जब पड़ोसी ने नई कार ली तो शेखर की छाती पर साँप लोट गया।

छठी का दूध याद आना (बहुत कष्ट आ पड़ना)- मैंने जब अपना मकान बनवाया तो मुझे छठी का दूध याद आ गया।

छठे छमासे (कभी-कभार)- चुनाव जीतने के बाद नेता लोग छठे-छमासे ही नजर आते हैं।

छत्तीस का आँकड़ा (घोर विरोध)- मुझमें और मेरे मित्र में आजकल छत्तीस का आँकड़ा है।

छाती पीटना (मातम मनाना)- अपने किसी संबंधी की मृत्यु पर मेरे पड़ोसी छाती पीट रहे थे।

छाती जलना (ईर्ष्या होना)- जब भवेश दसवीं में फर्स्ट क्लास आया तो उसके विरोधियों की छाती जल गई।

छाती दहलना (डरना, भयभीत होना)- अंधेरे हॉल में कंकाल देखकर मोहन की छाती दहल गई।

छाती दूनी होना (अत्यधिक उत्साहित होना)- जब रोहन बारहवीं कक्षा में प्रथम आया तो कक्षा अध्यापक की छाती दूनी हो गई।

छाती फूलना (गर्व होना)- जब मैंने एम.ए. कर लिया तो मेरे अध्यापक की छाती फूल गई।

छाती सुलगना (ईर्ष्या होना)- किसी को सुखी देखकर मेहता जी की तो छाती सुलग उठती है।

छिपा रुस्तम (अप्रसिद्ध गुणी)- वरुण तो छिपा रुस्तम निकला। सब देखते रह गए और परीक्षा में उसी ने पहला स्थान प्राप्त कर लिया।

छींका टूटना (अनायास लाभ होना)- अरे, उसकी तो लॉटरी निकल गई। इसे कहते हैं- छींका टूटना।

छुट्टी पाना (झंझट या अपने कर्तव्य से मुक्ति पाना)- रामपाल जी अपनी इकलौती बेटी का विवाह करके छुट्टी पा गए।

छू हो जाना या छूमंतर हो जाना (चले जाना या गायब हो जाना)- अरे, विकास अभी तो यही था, अभी कहाँ छूमंतर हो गया।

छोटा मुँह बड़ी बात (हैसियत से अधिक बात करना)- अध्यापक ने विद्यार्थियों को समझाया कि हमें कभी छोटे मुँह बड़ी बात नहीं करनी चाहिए, वरना पछताना पड़ेगा।

छलनी कर डालना (शोक-विह्वल कर देना)- तुम्हारी जली-कटी बातों ने मेरा कलेजा छलनी कर डाला है, अब मुझसे बात मत करो।

छाप पड़ना (प्रभाव पड़ना)- प्रोफेसर शर्मा का व्यक्तित्व ही ऐसा है। उनकी छाप सब पर जरूर पड़ती है।

छी छी करना (घृणा प्रकट करना)- तुम्हारे काले कारनामों के कारण सब लोग तुम्हारे लिए छी छी कर रहे हैं।

छेड़छाड़ करना (तंग करना)- छोटे बच्चों के साथ छेड़छाड़ करने में मुझे बहुत मजा आता है।

छः पाँच करना- (आनाकानी करना)

( ज )

जलती आग में घी डालना (क्रोध बढ़ाना)- बहन ने भाई की शिकायत करके जलती आग में भी डाल दिया।

जमीन आसमान एक करना (बहुत प्रयास करना)- मै शहर में अच्छा मकान लेने के लिए जमीन आसमान एक कर दे रहा हूँ परन्तु सफलता नहीं मिल रही है।

जान पर खेलना (साहसिक कार्य)- हम जान पर खेलकर भी अपने देश की रक्षा करेंगे।

जूती चाटना (खुशामद करना, चापलूसी करना)- संजीव ने अफसरों की जूतियाँ चाटकर ही अपने बेटे की नौकरी लगवाई है।

जड़ उखाड़ना (पूर्ण नाश करना)- श्रीकृष्ण ने अपने काल में सभी दुष्टों को जड़ से उखाड़कर फ़ेंक दिया था।

जहर उगलना (कड़वी बातें कहना या भला-बुरा कहना)- पता नहीं क्या बात हुई, आज राजू अपने मित्र के खिलाफ जहर उगल रहा था।

जान खाना (तंग करना)- अरे भाई! क्यों जान खा रहे हो? तुम्हें देने के लिए मेरे पास एक भी पैसा नहीं है।

जख्म पर नमक छिड़कना (दुःखी या परेशान को और परेशान करना)- जब सोहन भिखारी को बुरा-भला कहने लगा तो मैंने कहा कि हमें किसी के जख्म पर नमक नहीं छिड़कना चाहिए।

जख्म हरा हो जाना (पुराने दुःख या कष्ट भरे दिन याद आना)- जब भी मैं गंगा स्नान के लिए जाता हूँ तो मेरा जख्म हरा हो जाता है, क्योंकि गंगा नदी में मेरा मित्र डूबकर मर गया था।

जबान चलाना (अनुचित शब्द कहना)- सीमा बहुत जबान चलाती है, उससे कौन बात करेगा?

जबान देना (वायदा करना)- अध्यापक ने विद्यार्थियों से कहा कि अच्छा आदमी वही होता है जो जबान देकर निभाता है।

जबान बन्द करना (तर्क-वितर्क में पराजित करना)- रामधारी वकील ने अदालत में विपक्षी पार्टी के वकील की जबान बन्द कर दी।

जबान में ताला लगाना (चुप रहने पर विवश करना)- सरकार जब भी चाहे पत्रकारों की जबान में ताला लगा सकती है।

जबानी जमा-खर्च करना (मौखिक कार्यवाही करना)- मित्र, अब जबानी जमा-खर्च करने से कुछ नहीं होगा। कुछ ठोस कार्यवाही करो।

जमाना देखना (बहुत अनुभव होना)- दादाजी बात-बात पर यही कहते हैं कि हमने जमाना देखा है, तुम हमारी बराबरी नहीं कर सकते।

जमीन पर पाँव न पड़ना (अत्यधिक खुश होना)- रानी दसवीं में उत्तीर्ण हो गई है तो आज उसके जमीन पर पाँव नहीं पड़ रहे हैं।

जमीन में समा जाना (बहुत लज्जित होना)- जब उधार के पैसे ने देने पर सबके सामने रामू का अपमान हुआ तो वह जमीन में ही समा गया।

जरा-सा मुँह निकल आना (लज्जित होना)- सबके सामने पोल खुलने पर शशि का जरा-सा मुँह निकल आया।

जल-भुन कर राख होना (बहुत क्रोधित होना)- सुरेश जरा-सी बात पर जल-भुन कर राख हो जाता है।

जल में रहकर मगर से बैर करना (अपने आश्रयदाता से शत्रुता करना)- मैंने रामू से कहा कि जल में रहकर मगर से बैर मत करो, वरना नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।

जली-कटी सुनाना (बुरा-भला कहना)- मैं जरा देर से ऑफिस पहुँचा तो मालिक ने मुझे जली-कटी सुना दी।

जले पर नमक छिड़कना (दुःखी व्यक्ति को और दुःखी करना)- अध्यापक ने छात्रों से कहा कि हमें किसी के जले पर नमक नहीं छिड़कना चाहिए।

जवाब देना (नौकरी से निकालना)- आज राजू जब देर से दफ्तर गया तो उसके मालिक ने उसे जवाब दे दिया।

जहन्नुम में जाना/भाड़ में जाना (बद्दुआ देने से संबंधित है।)- पिताजी ने रामू से कहा कि यदि मेरा कहना नहीं मानो तो जहन्नुम में जाओ।

जहर का घूँट पीना (कड़वी बात सुनकर चुप रह जाना)- सबके सामने अपमानित होकर रानी जहर का घूँट पीकर रह गई।

जहर की गाँठ (बुरा या दुष्ट व्यक्ति)- अखिल जहर की गाँठ है, उससे मित्रता करना बेकार है।

जादू चढ़ना (प्रभाव पड़ना)- राम के सिर पर लता मंगेशकर का ऐसा जादू चढ़ा है कि वह हर समय उसी के गाने गाता रहता है।

जादू डालना (प्रभाव जमाना)- आज नेताजी ने आकर ऐसा जादू डाला है कि सभी उनके गुण गा रहे हैं

जान न्योछावर करना (बलिदान करना)- हमारे सैनिक देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर देते हैं।

जान हथेली पर लेना (जान की परवाह न करना)- सीमा पर सैनिक जान हथेली पर लेकर चलते हैं और देश की रक्षा करते हैं।

जान हलकान करना (अत्यधिक परेशान करना)- आजकल नए मैनेजर ने मेरी जान हलकान कर दी है।

जाल फेंकना (किसी को फँसाना)- उस अजनबी ने मुझ पर ऐसा जाल फेंका कि मेरे 500 रुपये ठग लिए।

जाल में फँसना (षड्यंत्र या चंगुल में फँसना)- राजू कल उस ठग के जाल में फँस गया तो मैंने ही उसे बचाया था।

जी खट्टा होना (मन में वैराग पैदा होना)- मेरे दादाजी का तो शहर से जी खट्टा हो गया है। वे अब गाँव में ही रहते हैं।

जी छोटा करना (हतोत्साहित करना)- अरे मित्र, जी छोटा मत करो, जो लेना है, ले लो। पैसे मैं दे दूँगा।

जी हल्का होना (चिन्ता कम होना)- मदद की सांत्वना मिलने पर ही रामू का जी हल्का हुआ।

जी हाँ, जी हाँ करना (खुशामद करना)- रमन, जी हाँ, जी हाँ करके ही चपरासी से बाबू बन गया।

जी उकताना (मन न लगना)- पिछले आठ महीनों से यहाँ रहते-रहते पिताजी का जी उकता गया था, इसलिए कल ही छोटे भाई के यहाँ चले गए।

जी उड़ना (आशंका/भय से व्यग्र रहना)- जबसे राम प्यारी को यह खबर मिली है कि इन दिनों उसका बेटा लड़ाई पर गया है तबसे उसका जी उड़ता रहता है।

जी खोलकर (पूरे मन से)- हँसने की बात पर जी खोलकर हँसना चाहिए।

जी जलना (संताप का अनुभव करना)- 'अपनी बहुओं की आदतों को देख-देखकर तुम क्यों अपना जी जलाती हो?' पिताजी ने माँ को समझाते हुए कहा।

जी जान से (बहुत परिश्रम से)- यदि जी जान से काम करोगे तो जल्दी तरक्की मिलेगी।

जी तोड़ (पूरी शक्ति से)- मेरे भाई ने जी तोड़ मेहनत की थी तब जाकर मेडिकल में एडमीशन मिला।

जी भर के (जितना जी चाहे)- इस बार गर्मियों में हमने जी भर के आम खाए।

जी मिचलाना (वमन/कै की इच्छा होना)- 'डॉक्टर साहब, आज सुबह से पेट में दर्द है और जी मिचला रहा है', वह बोली।

जी में आना (इच्छा होना)- कभी-कभी मेरे जी में आता है कि मैं भी व्यापार करके देखूँ।

जीते जी मर जाना (जीवन काल में मृत्यु से बढ़कर कष्ट भोगना)- बेटे के काले कारनामों के कारण रामप्रसाद तो बेचारा जीते जी मर गया।

जी चुराना (काम में मन न लगाना)- जो लोग काम से जी चुराते हैं कभी सफल नहीं हो पाते।

जीती मक्खी निगलना (जान-बूझकर गलत काम करना)- अरे मित्र! तुम तो मुझे जीती मक्खी निगलने को कह रहे हो! मैं जान-बूझकर किसी का अहित नहीं कर सकता।

जीवट का आदमी (साहसी आदमी)- शेरसिंह जीवट का आदमी है। उसने अकेले ही आतंकवादियों का सामना किया है।

जुल देना (धोखा देना)- आज एक अनजान आदमी सीताराम को जुल देकर चला गया।

जूतियाँ चटकाना (बेकार में, बेरोजगार घूमना)- एम.ए. करने के बाद भी शंकर जूतियाँ चटका रहा है।

जेब गर्म करना (रिश्वत देना)- लालू जेब गर्म करके ही किसी को अपने साहब से मिलने देता है।

जेब भरना (रिश्वत लेना)- आजकल अधिकांश अधिकारी अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं।

जोड़-तोड़ करना (उपाय करना)- लालू जोड़-तोड़ करना खूब जानता है।

जौहर दिखाना (वीरता दिखाना)- भारतीय जवान सीमा पर अपना खूब जौहर दिखाते हैं।

जौहर करना (स्त्रियों का चिता में जलकर भस्म होना)- अंग्रेजी शासनकाल में भारतीय नारियों ने खूब जौहर किया था।

ज्वाला फूँकना (क्रोध दिलाना)- रामू की जरा-सी करतूत ने उसके पिता के अन्दर ज्वाला फूँक दी है।

जान का प्यासा होना (मार डालने के लिए तत्पर)- सारे मुहल्ले वाले तुम्हारी जान के प्यासे हो रहे हैं। भलाई इसी में है कितुम चुपचाप यहाँ से खिसक जाओ।

जान के लाले पड़ना (प्राण बचाना कठिन लगना)- रात के अँधेरे में मुसाफिरों को डाकुओं ने घेर लिया। बेचारे मुसाफिरों की जान के लाले पड़ गए। सब कुछ छीन लिया तब बड़ी मुश्किल से छोड़ा।

जान में जान आना (घबराहट दूर होना)- लग रहा था आज विमान नहीं मिल पाएगा। हमलोग ट्रैफिक में फँसे हुए थे, पर जब मोबाइल पर संदेश आया कि विमान एक घंटा लेट हो गया है तब जाकर जान में जान आई।

जिंदगी के दिन पूरे करना (जैसे-तैसे जीवन के शेष दिन पूरे करना)- कहीं से कोई इनकम का साधन नहीं है। बेचारा रामगोपाल जैसे-तैसे जिंदगी के दिन पूरे कर रहा है।

जिक्र छेड़ना (चर्चा करना)- अपनी बहन के रिश्ते के लिए शर्मा जी से जिक्र तो छेड़ों, शायद बात बन जाए।

जिरह करना (बहस करना)- मेरे वकील ने आज जिस तरह से कोर्ट में जिरह की, मजा आ गया।

जुट जाना (किसी काम में तन्मयता से लगना)- परीक्षा की तिथियों की सूचना मिलते ही सारे बच्चे परीक्षा की तैयारी में जुट गए हैं।

जुल्म ढाना (अत्याचार करना)- जो लोग असहायों पर जुल्म ढाते हैं, ईश्वर उन्हें कभी-न-कभी सजा देता ही हैं।

जूते पड़ना (बहुत निंदा होना)- अभी आपको मेरी बात समझ में नहीं आ रही। जब जूते पड़ेंगे तब समझ में आएगी।

जूते के बराबर न समझना (बहुत तुच्छ समझना)- घमंड के कारण वह हमलोगों को जूते के बराबर भी नहीं समझता।

जैसे-तैसे करके (बड़ी कठिनाई से)- जैसे-तैसे करके तो नौकरी मिली थी वह भी बीमारी के कारण छूट गई।

जोर चलना (वश चलना)- अपनी पत्नी पर तुम्हारा जोर नहीं चलता। उसके आगे तो भीगी बिल्ली बने रहते हो।

जोश ठंडा पड़ना (उत्साह कम होना)- वह कई बार आई० ए० एस० की परीक्षा में बैठा, पर सफल न हो सका। अब तो बेचारे का जोश ही ठंडा पड़ गया है।

जंगल में मंगल करना- (शून्य स्थान को भी आनन्दमय कर देना)

जबान में लगाम न होना- (बिना सोचे-समझे बोलना)

जी का जंजाल होना- (अच्छा न लगना)

जमीन का पैरों तले से निकल जाना- (सन्नाटे में आना)

जमीन चूमने लगा- (धराशायी होना)

जी टूटना- (दिल टूटना)

जी लगना- (मन लगना)

( झ )

झक मारना (विवश होना)- दूसरा कोई साधन नहीं हैै। झक मारकर तुम्हे साइकिल से जाना पड़ेगा।

झण्डा गाड़ना/झण्डा फहराना (अपना आधिपत्य स्थापित करना)- अंग्रेजों ने झाँसी की रानी को परास्त करने के पश्चात् भारत में अपना झण्डा गाड़ दिया था।

झण्डी दिखाना (स्वीकृति देना)- साहब के झण्डी दिखाने के बाद ही क्लर्क बाबू ने लालू का काम किया।

झख मारना (बेकार का काम करना)- आजकल बेरोजगारी में राजू झख मार रहा है।

झाँसा देना (धोखा देना)- विपिन को उसके सगे भाई ने ही झाँसा दे दिया।

झाँसे में आना (धोखे में आना)- वह बहुत होशियार है, फिर भी झाँसे में आ गया।

झाड़ू फेरना (बर्बाद करना)- प्रेम ने अपने पिताजी की सारी दौलत पर झाड़ू फेर दी।

झाड़ू मारना (निरादर करना)- अध्यापक कहते हैं कि आगंतुक पर झाड़ू मारना ठीक नहीं है, चाहे वह भिखारी ही क्यों न हो।

झूठ का पुतला (बहुत झूठा व्यक्ति)- वीरू तो झूठ का पुतला है तभी कोई उसकी बात का विश्वास नहीं करता।

झूठ के पुल बाँधना (झूठ पर झूठ बोलना)- अपनी नौकरी बचाने के लिए रामू ने झूठ के पुल बाँध दिए।

झटक लेना (चालाकी से ले लेना)- बड़ी-बड़ी बातें सुनाकर उसने मुझसे पाँच सौ रुपये झटक लिए।

झटका लगना (आघात लगना)- किसी पर इतना विश्वास मत करो कि कभी झटका लगने पर सँभल भी न पाओ।

झपट्टा मारना (झपटकर छीन लेना)- झपट्टा मारकर चील अपने शिकार को उठा ले गई।

झाड़ू फिरना (सब बर्बाद हो जाना)- मेरी सारी मेहनत पर तुम्हारे कारण झाड़ू फिर गया। अब मैं फिर से यह काम नहीं कर सकता।

झापड़ रसीद करना (थप्पड़ मारना)- अध्यापक ने जब सुरेश के गाल पर एक झापड़ रसीद किया तो वह सारी हेकड़ी भूल गया।

झोली भरना (भरपूर प्राप्त होना)- ईश्वर बड़ा दयालु है। अपने भक्तों को वह हमेशा झोली भरकर ही देता है।

झाड़ मारना- (घृणा करना)

( ट )

टाँग अड़ाना (अड़चन डालना)- हर बात में टाँग ही अड़ाते हो या कुछ आता भी है तुम्हे ?

टका सा जबाब देना ( साफ़ इनकार करना)- मै नौकरी के लिए मैनेज़र से मिला लेकिन उन्होंने टका सा जबाब दे दिया।

टस से मस न होना ( कुछ भी प्रभाव न पड़ना)- दवा लाने के लिए मै घंटों से कह रहा हूँ, परन्तु आप आप टस से मस नहीं हो रहे हैं।

टोपी उछालना (निरादर करना)- जब पुत्री के विवाह में दहेज नहीं दिया तो लड़के वालों ने रमेश की टोपी उछाल दी।

टंटा खड़ा करना (झगड़ा करना)- जरा-सी बात पर सरिता ने टंटा खड़ा कर दिया।

टके के तीन (बहुत सस्ता)- गाँव में तो मूली-गाजर टके के तीन मिल रहे हैं।

टके को भी न पूछना (कोई महत्व न देना)- कोई टके को भी नहीं पूछता, फिर भी राजू मामाजी के पीछे लगा रहता है।

टके सेर मिलना (बहुत सस्ता मिलना)- आजकल आलू टके सेर मिल रहे हैं।

टर-टर करना (बकवास करना/व्यर्थ में बोलते रहना)- सुनील तो हर वक्त टर-टर करता रहता है। कौन सुनेगा उसकी बात?

टाँग खींचना (किसी के बनते हुए काम में बाधा डालना)- रमेश ने मेरी टाँग खींच दी, वरना मैं मैनेजर बन जाता।

टाँग तोड़ना (सजा देना या सजा देने की धमकी देना)- अगर सौरव ने दुबारा मेरा काम बिगाड़ा तो मैं उसकी टाँग तोड़ दूँगा।

टुकड़ों पर पलना (दूसरे की कमाई पर गुजारा करना)- सुमन अपने मामा के टुकड़ों पर पल रहा है।

टें बोलना (मर जाना)- दादाजी जरा-सी बीमारी में टें बोल गए।

टेढ़ी खीर (अत्यन्त कठिन कार्य)- आई.ए.एस. पास करना टेढ़ी खीर है।

टक्कर खाना (बराबरी करना)- जो धूर्त हैं उनसे टक्कर लेने से क्या लाभ ?

टपक पड़ना (सहसा आ जाना)- हमलोग फ़िल्म जाने का कार्यक्रम बना रहे थे कि न जाने कहाँ से अध्यापक टपक पड़े और कार्यक्रम रद्द हो गया।

टाँय-टाँय फिस (तैयारी अधिक परिणाम तुच्छ)- इतनी मेहनत की पर परिणाम टाँय-टाँय फिस।

टालमटोल करना (बहाना बनाना)- मैंने उनसे पूछा, 'टालमटोल मत कीजिए। साफ बताइए, आप मेरी मदद करेंगे या नहीं?'

टीस मारना/उठना (कसक/दर्द होना)- कल रात से घाव टीस मार रहा है।

टुकुर-टुकुर देखना (टकटकी लगाकर देखना)- भिखारी भीख माँग रहा था और उसका छोटा-सा बच्चा सबको टुकुर-टुकुर देखे जा रहा था।

टूट पड़ना (आक्रमण करना)- सब लोगों को इतनी तेज भूख लगी थी कि खाना देखते ही वे टूट पड़े।

टोह लेना (पता लगाना)- वह अचानक कहाँ भाग गई, किसी को नहीं मालूम अब उसकी टोह लेना आसान नहीं है।

टका-सा मुँह लेकर रह जाना- (लज्जित हो जाना)

टट्टी की आड़ में शिकार खेलना- (छिपकर बुरा काम करना)

टाट उलटना- (व्यापारी का अपने को दिवालिया घोषित कर देना)

टें-टें-पों-पों - (व्यर्थ हल्ला करना)

( ठ )

ठन-ठन गोपाल (खाली जेब अथवा अत्यन्त गरीब)- सुमेर तो ठन-ठन गोपाल है, वह चंदा कहाँ से देगा?

ठंडा करना (क्रोध शान्त करना)- महेश ने समझा-बुझाकर दादाजी को ठंडा कर दिया।

ठंडा पड़ना (मर जाना)- वह साईकिल से गिरते ही ठंडा पड़ गया।

ठकुरसोहाती/ठकुरसुहाती करना (चापलूसी या खुशामद करना)- ठकुरसोहाती करने पर भी मालिक ने सुरेश का वेतन नहीं बढ़ाया।

ठठरी हो जाना (बहुत कमजोर या दुबला-पतला हो जाना)- बीमारी के कारण मोहन ठठरी हो गया है।

ठिकाने लगाना (मार डालना)- अपहरणकर्ताओं ने भवन के बेटे को ठिकाने लगा ही दिया।

ठेंगा दिखाना (इनकार करना)- वक्त आने पर मेरे मित्र ने मुझे ठेंगा दिखा दिया।

ठेंगे पर मारना (परवाह न करना)- कृपाशंकर अमीर है इसलिए वह सबको ठेंगे पर मारता है।

ठोकरें खाना (कष्ट या दुःख सहना)- दुनियाभर की ठोकरें खाकर गोपाल ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है।

ठोड़ी पकड़ना (खुशामद करना)- मैंने सेठजी की बहुत ठोड़ी पकड़ी, परंतु उन्होंने मुझे पैसे उधार नहीं दिए।

ठंडी आहें भरना (दुखभरी साँस लेना)- दूसरों की शोहरत को देखकर ठंडी आहें नहीं भरनी चाहिए।

ठट्टा मारना (हँसी-मजाक करना)- माता जी ने लड़कियों को डाँटते हुए कहा कि ठट्टा मारना बंद करो और रसोई में जाकर काम करो।

ठन जाना (लड़ाई/झगड़ा हो जाना या परस्पर विरोध होना)- जब दो पार्टियों में आपस में ठन जाती है तो परिणाम अच्छा नहीं होता।

ठहाका मारना (जोर से हँसना)- वह छोटी-छोटी बातों पर भी ठहाका मारती है।

ठाट-बाट से रहना (शानौशौकत से रहना)- वे जिस ठाट-बाट से रहते हैं, उसकी बराबरी शायद ही कोई कर सके।

ठिकाने की बात कहना (समझदारी की बात कहना)- जो लोग ठिकाने की बात कहते हैं, लोग उन पर अवश्य यकीन करते हैं।

ठिकाने लगना (i) (काम में आना)- खाना बच गया था तो सबने नाश्ता करके ठिकाने लगा दिया। 
(ii) (मर जाना)- युद्ध में कई सैनिक ठिकाने लग गए।

ठीकरा फोड़ना (दोष लगाना)- गलती आपकी है और ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ रहे हैं?

ठीहा होना (रहने का स्थान होना)- जिनका कोई ठीहा नहीं होता वे इधर-उधर भटकते रहते हैं।

ठेस पहुँचना/लगना (चोट पहुँचना)- तुम्हारी बातों से मुझे बहुत ठेस पहुँची है।

ठोंक बजाकर देखना (अच्छी तरह से जाँच-परख करना)- घर-परिवार सब कुछ ठोंक बजाकर देख लेना तब शादी के लिए हाँ करना।

ठगा-सा- (भौंचक्का-सा)

ठठेरे-ठठेरे बदला- (समान बुद्धिवाले से काम पड़ना)

( ड )

डकार जाना ( हड़प जाना)- सियाराम अपने भाई की सारी संपत्ति डकार गया।

डींग मारना या हाँकना (शेखी मारना)- जब देखो, शेखू डींग मारता रहता है- 'मैंने ये किया, मैंने वो किया'।

डेढ़/ढाई चावल की खिचड़ी पकाना (सबसे अलग काम करना)-सुधीर अपनी डेढ़ चावल बनी खिचड़ी अलग पकाता है।

डोरी ढीली करना (नियंत्रण कम करना)- पिताजी ने जरा-सी डोरी ढीली छोड़ दी तो पिंटू ने पढ़ना ही छोड़ दिया।

डंका पीटना (प्रचार करना)- अनिल ने झूठा डंका पीट दिया कि उसकी लॉटरी खुल गई है।

डंके की चोट पर (खुल्लमखुल्ला)- शेरसिंह जो भी काम करता है, डंके की चोट पर करता है।

डोंड़ी पीटना (मुनादी या ऐलान करना)- बीरबल की विद्वता को देखकर अकबर ने डोंड़ी पीट दी थी कि वह राज दरबार के नवरत्नों में से एक है।

डंका बजाना (प्रभाव जमाना)- आस्ट्रेलिया ने सब देशों की टीमों को हरा कर अपना डंका बजा दिया।

डंडी मारना (कम तोलना)- यह दुकानदार बड़ा बेईमान है। तौलते समय हमेशा डंडी मार लेता है।

डकार तक न लेना (किसी का माल हड़प कर जाना)- इससे बचकर रहो। सारा माला हड़प लेगा और डकार तक न लेगा।

डुबकी मारना (गायब हो जाना)- 'इतने दिनों से कहाँ डुबकी मार गए थे', सुरेश ने मदन से पूछा।

डूब मरना (बहुत लज्जित होना)- इस तरह की बातें मेरे लिए डूब मरने के समान हैं।

डूबती नैया को पार लगाना (संकट से छुड़ाना)- ईश्वर की कृपा होगी तभी तुम्हारी डूबती नैया पार लगेगी।

डेरा डालना (निवास करना)- साधु ने मंदिर में जाकर अपना डेरा डाल दिया।

डेरा उठाना (चल देना)- स्वामी जी एक जगह नहीं रुकते। कुछ दिनों बाद ही डेरा उठाकर दूसरी जगह के लिए चल देते हैं।

डोरे डालना (किसी को अपने प्रेम-पाश में फँसाने की कोशिश करना)- उस पर डोरे डालने की कोशिश मत करो। वह तुम्हारे चक्कर में आने वाली नहीं।

डूबते को तिनके का सहारा- (संकट में पड़े को थोड़ी मदद)

( ढ )

ढील देना (छूट देना)- दादी माँ कहती हैं कि बच्चों को अधिक ढील नहीं देनी चाहिए।

ढेर हो जाना (गिरकर मर जाना)- कल पुलिस की मुठभेड़ में दो बदमाश ढेर हो गए।

ढोल पीटना (सबसे बताना)- अरे, कोई इस रानी को कुछ मत बताना, वरना ये ढोल पीट देगी।

ढपोरशंख होना (केवल बड़ी-बड़ी बातें करना, काम न करना)- राहुल तो ढपोरशंख है, बस बातें ही करता है, काम कुछ नहीं करता।

ढर्रे पर आना (सुधरना)- अब तो शराबी कालू ढर्रे पर आ गया है।

ढलती-फिरती छाया (भाग्य का खेल या फेर)- कल वह गरीब था, आज अमीर है- सब ढलती-फिरती छाया है।

ढाई ईंट की मस्जिद (सबसे अलग कार्य करना)- राजेश घर में कुआँ खुदवाकर ढाई ईंट की मस्जिद बना रहा है।

ढाई दिन की बादशाहत होना या मिलना (थोड़े दिनों की शान-शौकत या हुकूमत होना)- मैनेजर के बाहर जाने पर मोहन को ढाई दिन की बादशाहत मिल गई है।

ढेर करना (मार गिराना)- पुलिस ने कल दो लुटेरों को सरेआम ढेर कर दिया।

ढोल की पोल (खोखलापन; बाहर से देखने में अच्छा, किन्तु अन्दर से खराब होना)- श्यामा तो ढोल की पोल है- बाहर से सुन्दर और अन्दर से चालाक।

ढल जाना (कमजोर हो जाना, वृद्धावस्था की ओर जाना)- बीमारी के कारण उसका सारा शरीर ढल गया है।

ढिंढोरा पीटना (घोषणा करना)- केवल ढिंढोरा पीटने से काम नहीं बनता। काम बनाने के लिए लोगों का विश्वास जीतना जरूरी है।

ढोंग रचना (पाखंड करना)- ढोंग रचने वाले साधुओं से मुझे सख्त नफ़रत है।

 

( त )

तूती बोलना (बोलबाला होना)- आजकल तो राहुल गाँधी की तूती बोल रही है।

तारे गिनना (चिंता के कारण रात में नींद न आना)- अपने पुत्र की चिन्ता में पिता रात भर तारे गिनते रहे।

तिल का ताड़ बनाना (छोटी-सी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना)- शांति तो तिल का ताड़ बनाने में माहिर है।

तीन तेरह करना (नष्ट करना, तितर बितर करना)- जरा-से झगड़े ने दोनों भाइयों को तीन तेरह कर दिया।

तकदीर खुलना या चमकना (भाग्य अनुकूल होना)- सरकारी नौकरी लगने से श्याम की तो तकदीर खुल गई।

तख्ता पलटना (एक शासक द्वारा दूसरे शासक को हटाकर उसके सिंहासन पर खुद बैठना)- पाकिस्तान में मुशर्रफ ने तख्ता पलट दिया और कोई कुछ न कर सका।

तलवा या तलवे चाटना (खुशामद या चापलूसी करना)- ओमवीर ने अफसरों के तलवे चाटकर ही तरक्की पाई है।

तलवे धोकर पीना (अत्यधिक आदर-सत्कार या सेवा करना)- अमन अपने माता-पिता के तलवे धोकर पीता है तभी लोग उसे श्रवण का अवतार कहते हैं।

तलवार की धार पर चलना (बहुत कठिन कार्य करना)- मित्रता निभाना तलवार की धार पर चलने के समान है।

तलवार के घाट उतारना (तलवार से मारना)- राजवीर ने अपने शत्रु को तलवार के घाट उतार दिया।

तलवार सिर पर लटकना (खतरा होना)- आजकल रामू के मैनेजर से उसकी कहासुनी हो गई है इसलिए तलवार उसके सिर पर लटकी हुई है।

तवे-सा मुँह (बहुत काला चेहरा)- किरण का तो तवे-सा मुँह है, फिर भी वह स्वयं को सुंदर समझती है।

तशरीफ लाना (आना)- घर में मेहमान आते हैं तो यही कहते हैं- तशरीफ लाइए।

तांत-सा होना (दुबला-पतला होना)- चार दिन की बीमारी में गौरव तांत-सा हो गया है।

ताक पर धरना (व्यर्थ समझकर दूर हटाना)- सारे नियम ताक पर रखकर अध्यापक ने एक छात्र को नकल करवाई।

ताक में बैठना (मौके की तलाश में रहना)- सुधीर बहुत दिनों से ताक में बैठा था कि उसे मैं कब अकेला मिलूँ और वो मुझे पीटे।

तारीफ के पुल बाँधना (अधिक प्रशंसा या तारीफ करना)- राकेश जब फर्स्ट क्लास पास हुआ तो सभी ने उसकी तारीफ के पुल बाँध दिए।

तारे तोड़ लाना (कठिन या असंभव कार्य करना)- जब विवेक ने अपनी डींग मारनी शुरू की तो मैंने कहा- बस करो भाई! तारे नहीं तोड़ लाए हो, जो इतनी डींग मार रहे हो।

तिनके का सहारा (थोड़ी-सी मदद)- मैंने मोहित की जब सौ रुपए की मदद की तो उसने कहा कि डूबते को तिनके का सहारा बहुत होता है।

तीन-पाँच करना (हर बात में आपत्ति करना)- राघव बहुत तीन-पाँच करता है इसलिए सब उससे दूर रहते हैं।

तीर मार लेना (कोई बड़ा काम कर लेना)- इंजीनियर बनकर आयुष ने तीर मार लिया है।

तीस मारखाँ बनना (अपने को बहुत शूरवीर समझना)- मुन्ना खुद को बहुत तीस मारखाँ समझता है, जब देखो लड़ाई की बातें करता रहता है।

तूफान उठना (उपद्रव खड़ा करना)- मित्र, तुम जहाँ भी जाते हो, वहीं तूफान खड़ा कर देते हो।

तेल निकालना (खूब कस कर काम लेना)- प्राइवेट फर्म तो कर्मचारी का तेल निकाल लेती है। तभी विकास को नौकरी करना पसंद नहीं है।

तेली का बैल (हर समय काम में लगा रहने वाला व्यक्ति)- प्रेमचन्द्र तो तेली का बैल है, जब देखो, रात-दिन काम करता रहता है।

तोता पालना (किसी बुरी आदत को न छोड़ना)- केशव ने तंबाकू खाने का तोता पाल लिया है। बहुत मना किया, मानता ही नहीं है।

तंग हाल (निर्धन होना)- नीरू खुद तंग हाल है, तुम्हें कहाँ से कर्ज देगी।

तकदीर फूटना (भाग्य खराब होना)- उस लड़की की तो तकदीर ही फूट गई जो तुम जैसे जाहिल से उसकी शादी हो गई।

तबीयत आना (किसी पर आसक्ति होना)- वह तो मनमौजी है जब जिस चीज पर उसकी तबीयत आ जाती है तो उसे हासिल करके ही छोड़ता है।

तबीयत भरना (मन भरना, इच्छा न होना)- इस शहर से अब मेरी तबीयत भर चुकी है इसलिए इस शहर को छोड़कर जाना चाहता हूँ।

तरस खाना (दया करना)- ठंड में काँपते हुए उस भिखारी पर तरस खाकर मैंने अपना कंबल उसी को दे दिया।

तह तक पहुँचना (गुप्त रहस्य को मालूम कर लेना)- जब तक वह इस मामले की तह तक नहीं पहुँचेगा तब तक कोई फैसला नहीं सुनाएगा।

तहलका मचना (खलबली मचना)- विमान में बम होने की खबर से चारों ओर तहलका मच गया।

ताँता बंधना (एक के बाद दूसरे का आते रहना)- वैष्णो देवी के मंदिर में दर्शनार्थियों का सुबह से ताँता लग जाता है।

ताक-झाँक करना (इधर-उधर देखना)- दूसरे के घर में ताक-झाँक करना अच्छी आदत नहीं है।

तानकर सोना (निश्चित होकर सोना)- बेटी के विवाह के बाद वह सारी चिंताओं से मुक्त हो गया है और अब तानकर सोता है।

ताल ठोंकना (लड़ने के लिए ललकारना)- उसके सामने तुम ताल मत ठोंको, तुम उसका कुछ भी बिगाड़ नहीं पाओगे।

ताव आना (क्रोध आना)- मोहनलाल की झूठी बातें सुनकर मुझे ताव आ गया।

तिल-तिल करके मरना (धीरे-धीरे मृत्यु के मुख में जाना)- बेटे के गम में उसने बिस्तर पकड़ लिया है और अब तिल-तिल करके मर रही है।

तिल रखने की जगह न होना (स्थान का ठसाठस भरा होना)- शनिवार के दिन शनि मंदिर में तिल रखने तक की जगह नहीं होती।

तिलमिला उठना (बहुत बुरा मानना)- जब मैंने उसकी पोल खोल दी तो वह तिलमिला उठा।

तिलांजलि देना (त्याग देना)- वर्मा जी ने घर-परिवार को तिलांजलि देकर संन्यास ले लिया।

तुक न होना (कोई औचित्य न होना)- पहले मैं बाजार जाऊँ फिर तुम्हें लेने के लिए घर आऊँ, इसमें कोई तुक नहीं है।

तुल जाना (किसी काम को करने के लिए उतारू होना)- यदि तुम मेहनत करने पर तुल जाओ तो सफलता अवश्य मिलेगी।

तू-तू मैं-मैं होना (आपस में कहा-सुनी होना)- कल रमेश और उसकी पत्नी के बीच तू-तू मैं-मैं हो गई।

तूल पकड़ना (उग्र रूप धारण करना)- बातों-ही-बातों में कहा-सुनी हो गई और झगड़े ने तूल पकड़ ली।

तेल निकालना (खूब कसकर काम लेना)- जमींदार मजदूरों का तेल निकाल लेते थे।

तेवर चढ़ाना (क्रोध के कारण भौहों को तानना)- मुझे परिणाम का अनुमान है। तुम्हारे तेवर चढ़ाने से मैं निर्णय नहीं बदल सकता।

तैश में आना (क्रोध करना)- तैश में आकर किसी का अपमान करना गलत है।

तोबा करना (भविष्य में किसी काम को न करने की प्रतिज्ञा करना)- ईट के व्यापार में घाटा होने से मैंने इससे तोबा कर दिया।

तौल-तौल कर मुँह से शब्द निकालना (बहुत सोच-विचार कर बोलना)- शालिनी बहुत विवेकशील है। वह तौल-तौलकर मुँह से शब्द निकालती है।

त्यौरी/त्यौरियाँ चढ़ना (क्रोध के कारण माथे पर बल पड़ना)- अपमानजनक शब्द सुनते ही उसकी त्यौरियाँ चढ़ गई।

तह देना- (दवा देना)

तह-पर-तह देना- (खूब खाना)

तरह देना- (ख्याल न करना)

तंग करना- (हैरान करना)

तिनके को पहाड़ करना- (छोटी बात को बड़ी बनाना)

ताड़ जाना- (समझ जाना)

तुक में तुक मिलाना- (खुशामद करना)

तेवर बदलना- (क्रोध करना)

ताना मारना-(व्यंग्य वचन बोलना)

ताक में रहना- (खोज में रहना)

तोते की तरह आँखें फेरना- (बेमुरौवत होना)

( त्र )

त्राहि-त्राहि करना (विपत्ति या कठिनाई के समय रक्षा या शरण के लिए प्रार्थना करना)- आग लगने पर बच्चे का उपाय न देखकर लोग त्राहि-त्राहि करने लगे।

त्रिशुंक होना (बीच में रहना, न इधर का होना, न उधर का)- केशव न तो अभी तक आया और न ही फोन किया। समारोह में जाना है या नहीं कुछ भी नहीं पता। मैं तो त्रिशुंक हो गया हूँ।

( थ )

थूक कर चाटना (कह कर मुकर जाना)- कल मुन्ना थूक कर चाट गया। अब उस पर कोई विश्वास नहीं करेगा।

थाली का बैंगन होना (ऐसा आदमी जिसका कोई सिद्धान्त न हो)- आजकल के नए-नए नेता तो थाली के बैंगन हैं।

थाह मिलना या लगना (भेद खुलना)- अब वैज्ञानिकों ने थाह लगा ली है कि मंगल ग्रह पर भी पानी है।

थुक्का फजीहत होना (अपमान होना)- कुमार थुक्का फजीहत होने से पहले ही चला गया।

थुड़ी-थुड़ी होना (बदनामी होना)- बच्चों को बेवजह पीटने पर अध्यापक की हर जगह थुड़ी-थुड़ी हो रही है।

थक कर चूर होना (बहुत थक जाना)- मई की धूप में चार कि० मी० की पैदल यात्रा करने के कारण मैं तो थककर चूर हो गया हूँ।

थर्रा उठना (अत्यंत भयभीत होना)- अचानक इतनी तेज धमाका हुआ कि दूर तक के लोग थर्रा उठे।

थाह लेना (मन का भव जानना)- गंभीर लोगों के मन की थाह लेना मुश्किल होता है।

थैली का मुँह खोलना (खूब धन व्यय करना)- सेठ रामप्रसाद ने अपनी बेटी के विवाह में थैली का मुँह खोल दिया था।

थू-थू करना- (घृणा प्रकट करना)

( द )

दम टूटना (मर जाना )- शेर ने एक ही गोली में दम तोड़ दिया।

दिन दूना रात चौगुना (तेजी से तरक्की करना)- रामदास अपने व्यापार में दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है।

दाल में काला होना (संदेह होना )- हम लोगों की ओट में ये जिस तरह धीरे-धीरे बातें कर रहें है, उससे मुझे दाल में काला लग रहा है।

दौड़-धूप करना (बड़ी कोशिश करना)- कौन बाप अपनी बेटी के ब्याह के लिए दौड़-धूप नहीं करता ?

दो कौड़ी का आदमी (तुच्छ या अविश्र्वसनीय व्यक्ति)- किस दो कौड़ी के आदमी की बात करते हो ?

दो टूक बात कहना (थोड़े शब्दों में स्पष्ट बात कहना)- दो टूक बात कहना अच्छा रहता है।

दो दिन का मेहमान (जल्द मरनेवाला)- किसी का क्या बिगाड़ेगा ? वह बेचारा खुद दो दिन का मेहमान है।

दूध के दाँत न टूटना (ज्ञानहीन या अनुभवहीन)- वह सभा में क्या बोलेगा ? अभी तो उसके दूध के दाँत भी नहीं टूटे हैं।

दूध का दूध और पानी का पानी कर देना (पूरा-पूरा इन्साफ करना)- कल सरपंच ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।

दूज का चाँद होना या ईद का चाँद होना (कभी-कभार दिखाई पड़ना)- मित्र, आजकल तो तुम दूज का चाँद हो रहे हो।

दो नावों पर पैर रखना/दो नावों पर सवार होना (दो काम एक साथ करना)- मित्र, तुम दो नावों पर पैर मत रखो- या तो पढ़ लो, या नौकरी कर लो।

दम खींचना या साधना (चुप रह जाना)- पैसा उधार मांगने पर सेठजीदम साध गए।

दमड़ी के तीन होना (बहुत तुच्छ या सस्ता होना)- आजकल मूली दमड़ी की तीन बिक रही हैं।

दरवाजे की मिट्टी खोद डालना (बार-बार तकाजा करना)- सौ रुपए के लिए श्याम ने राजू के दरवाजे की मिट्टी खोद डाली।

दरार पड़ना (मतभेद पैदा होना)- अब कौशल और कौशिक की दोस्ती में दरार पड़ गई है।

दसों उंगलियाँ घी में होना (खूब लाभ होना)- आजकल रामअवतार की दसों उंगलियाँ घी में हैं।

दाँत पीसना (बहुत क्रोधित होना)- रमेश तो बात-बात पर दाँत पीसने लगता है।

दाँत काटी रोटी होना (अत्यन्त घनिष्ठता होना या मित्रता होना)- आजकल राम और श्याम की दाँत काटी रोटी है।

दाँत खट्टे करना (परास्त करना, हराना)- महाभारत में पांडवों ने कौरवों के दाँत खट्टे कर दिए थे।

दाँतों तले उँगली दबाना (दंग रह जाना)- जब एक गरीब छात्र ने आई.ए.एस. पास कर ली तो सब दाँतों तले उँगली दबाने लगे।

दाई से पेट छिपाना (जानने वाले से भेद छिपाना)- मैं पंकज की हरकत जानता हूँ, फिर भी वह दाई से पेट छिपा रहा था।

दाद देना (प्रशंसा करना)- माहेश्वरी सर के पढ़ाने के ढँग की सभी छात्र दाद देते हैं।

दाना-पानी उठना (आजीविका का साधन खत्म होना या बेरोजगार होना)- लगता है आज रोहित का दाना-पानी उठ गया है। तभी वह मैनेजर को उल्टा जवाब दे रहा है।

दाल-भात में मूसलचन्द (दो व्यक्तियों की बातों में तीसरे व्यक्ति का हस्तक्षेप करना)- शंकर हर जगह दाल-भात में मूसलचन्द की तरह आ जाता है।

दिन में तारे दिखाई देना (अधिक दुःख के कारण होश ठिकाने न रहना)- जब रामू की नौकरी छूट गई तो उसे दिन में तारे दिखाई दे गए।

दिन गँवाना (समय नष्ट करना)- बेरोजगारी में रोहन आजकल यूँ ही दिन गँवा रहा है।

दिन पूरे होना (अंतिम समय आना)- लगता है किशन के दिन पूरे हो गए हैं तभी अत्यधिक धूम्रपान कर रहा है।

दिन पलटना (अच्छे दिन आना)- नौकरी लगने के बाद अब शम्भू के दिन पलट गए हैं।

दिन-रात एक करना (कठिन श्रम करना)- मोहन ने दसवीं पास करने के लिए दिन-रात एक कर दिया था।

दिन आना (अच्छा समय आना)- अभी उनके दिन चल रहे हैं पर कभी-न-कभी हमारे भी दिन आएँगे।

दिन लद जाना (समय व्यतीत हो जाना)- वे दिन लद गए जब जमींदार लोग किसानों पर अत्याचार करते थे।

दिमाग दौड़ाना (विचार करना, अत्यधिक सोचना)- कमल बहुत दिमाग दौड़ाता है तभी वह इंजीनियर बन पाया है।

दिमाग सातवें आसमान पर होना (बहुत अधिक घमंड होना)- सरकारी नौकरी लगने पर परमजीत का दिमाग सातवें आसमान पर हो गया है।

दिमाग खाना या खाली करना (मगजपच्ची या बकवास करना)- मेरे दिमाग खाली करने के बाद भी गणित का सवाल सोनू की समझ में नहीं आया।

दिल टुकड़े-टुकड़े होना या दिल टूटना (बहुत निराश होना)- जब मनीष को मैंने किताब नहीं दी तो उसका दिल टुकड़े-टुकड़े हो गया।

दिल पर पत्थर रखना (दुःख सहकर या हानि होने पर चुप रहना)- रामू के जब पाँच हजार रुपए खो गए तो उसने दिल पर पत्थर रख लिया।

दिल पसीजना (किसी पर दया आना)- भिखारी की दुर्दशा देखकर मेरा दिल पसीज गया।

दिल हिलना (अत्यधिक भयभीत होना)- रात में किसी की परछाई देखकर मेरा दिल हिल गया।

दिल का काला या खोटा (कपटी अथवा दुष्ट)- मुन्ना दिल का काला है।

नाक के नीचे (बहुत निकट)- आपकी नाक के नीचे आपका नौकर चोरी करता रहा और आपको तब पता चला जब उसने सारा खजाना खाली कर दिया।

नानी मर जाना (बहुत कष्ट होना)- थोड़ा-सा भी काम बढ़ जाता है तो तुम्हारी नानी क्यों मर जाती हैं?

नाम कमाना (ख्याति प्राप्त करना)- कंप्यूटर के क्षेत्र में मेरे बेटे ने बहुत नाम कमाया है।

नाक भौं चढ़ाना (घृणा प्रदर्शित करना)- इस जगह को देखकर नाक-भौं मत चढ़ाओ। इतनी खराब जगह नहीं है यह।

नाक पर मक्खी न बैठने देना (अपने ऊपर किसी भी प्रकार का आक्षेप न लगने देना)- जो अपनी नाक पर मक्खी तक नहीं बैठने देता वह इस बेईमानी के धंधे में हमारी मदद करेगा, यह तो संभव ही नहीं।

नुक़्ताचीनी करना (दोष दिखाना, आलोचना करना)- तुम हर बात में नुक्ताचीनी क्यों करती हो, कोई भी बात सीधे क्यों नहीं मान लेती हो।

निछावर करना (बलिदान करना)- अनेक देशभक्तों ने देश के लिए अपनी जान निछावर कर दी।

नींद हराम करना (चिंता आदि के कारण सो न पाना)- बेटी के विवाह की चिंता में वर्मा जी की नींद हराम हो गई है।

नींव डालना (शुभ कार्य आरंभ करना)- जैसी नींव डालोगे वैसी ही इमारत खड़ी होगी। अतः बच्चों को शुरू से ऐसी शिक्षा दो कि उनकी नींव मजबूत हो।

नीचा दिखाना (अपमानित करना)- जो दूसरों को अकारण नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं एक दिन खुद गड्ढ़े में गिरते हैं।

नोंक-झोंक होना (कहा-सुनी होना)- वैसे तो इनमें गहरी दोस्ती है, पर कभी-कभी नोंक-झोंक होती रहती हैं।

नौकरी बजाना (कर्तव्यों का पालन करना)- मैं तो ईमानदारी से अपनी नौकरी बजाता हूँ, मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

नौबत आना (संयोग उपस्थित होना)- अब यह नौबत आ गई है कि कोई एक गिलास पानी तक को नहीं पूछता।

नजर पर चढ़ना- (पसंद आ जाना)

नाच नचाना- (तंग करना)

नजर चुराना- (आँख चुराना)

नदी-नाव संयोग- (ऐसी भेंट/मुलाकात जो कभी इत्तिफाक से हो जाय)

नसीब चमकना- (भाग्य चमकना)

नेकी और पूछ-पूछ- (बिना कहे ही भलाई करना)

( प )

पेट काटना (अपने भोजन तक में बचत )- अपना पेट काटकर वह अपने छोटे भाई को पढ़ा रहा है।

पानी उतारना (इज्जत लेना )- भरी सभा में द्रोपदी को पानी उतारने की कोशिश की गयी।

पेट में चूहे कूदना (जोर की भूख )- पेट में चूहे कूद रहे है। पहले कुछ खा लूँ, तब तुम्हारी सुनूँगा।

पहाड़ टूट पड़ना (भारी विपत्ति आना )- उस बेचारे पर तो दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा।

पट्टी पढ़ाना (बुरी राय देना)- तुमने मेरे बेटे को कैसी पट्टी पढ़ाई कि वह घर जाता ही नहीं ?

पौ बारह होना (खूब लाभ होना)- क्या पूछना है ! आजकल तुम व्यापारियों के ही तो पौ बारह हैं।

पाँचों उँगलियाँ घी में होना (पूरे लाभ में)- पिछड़े देशों में उद्योगियों और मेहनतकशों की हालत पतली रहती है तथा दलालों, कमीशन एजेण्टों और नौकरशाहों की ही पाँचों उँगलियाँ घी में रहता हैं।

पगड़ी रखना (इज्जत बचाना)- हल्दीघाटी में झाला सरदार ने राजपूतों की पगड़ी रख ली।

पगड़ी उतारना (अपमानित करना)- दहेज-लोभियों ने सीता के पिता की पगड़ी उतार दी।

पानी-पानी होना (अधिक लज्जित होना)- जब धीरज की चोरी पकड़ी गई तो वह पानी-पानी हो गया।

पत्ता कटना (नौकरी छूटना)- मंदी के दौर में मेरी कंपनी में दस लोगों का पत्ता कट गया।

परछाई से भी डरना (बहुत डरना)- राजू तो अपने पिताजी की परछाई से भी डरता है।

पर्दाफाश करना (भेद खोलना)- महेश मुझे बात-बात पर धमकी देता है कि यदि मैं उसकी बात नहीं मानूँगा तो वह मेरा पर्दाफाश कर देगा।

पर्दाफाश होना (भेद खुलना)- रामू ने बहुत छिपाया, पर कल उसका पर्दाफाश हो ही गया।

पल्ला झाड़ना (पीछा छुड़ाना)- मैंने उसे उधार पैसे नहीं दिए तो उसने मुझसे पल्ला झाड़ लिया।

पाँव तले से धरती खिसकना (अत्यधिक घबरा जाना)- बस में जेब कटने पर मेरे पाँव तले से धरती खिसक गई।

पाँव फूलना (डर से घबरा जाना)- जब चोरी पकड़ी गई तो रामू के पाँव फूल गए।

पानी का बुलबुला (क्षणभंगुर, थोड़ी देर का)- संतों ने ठीक ही कहा है- ये जीवन पानी का बुलबुला है।

पानी फेरना (समाप्त या नष्ट कर देना)- मित्र! तुमने तो सब किये कराए पर पानी फेर दिया।

पारा उतरना (क्रोध शान्त होना)- जब मोहन को पैसे मिल गए तो उसका पारा उतर गया।

पारा चढ़ना (क्रोधित होना)- मेरे दादाजी का जरा-सी बात में पारा चढ़ आता है।

पेट का गहरा (भेद छिपाने वाला)- कल्लू पेट का गहरा है, राज की बात नहीं बताता।

पेट का हल्का (कोई बात न छिपा सकने वाला)- रामू पेट का हल्का है, उसे कोई बात बताना बेकार है।

पटरा कर देना (चौपट कर देना)- इस वर्ष के अकाल ने तो पटरा कर दिया।

पट्टी पढ़ाना (गलत सलाह देना)- किसी को पट्टी पढ़ाना अच्छी बात नहीं।

पत्थर का कलेजा (कठोर हृदय व्यक्ति)- शेरसिंह का पत्थर का कलेजा है तभी अपने माता-पिता के देहांत पर उसकी आँखों में आँसू नहीं थे।

पत्थर की लकीर (पक्की बात)- पंडित जी की बात पत्थर की लकीर है।

पर्दा उठना (भेद प्रकट होना)- आज सच्चाई से पर्दा उठ ही गया कि मुन्ना धनवान है।

पलकों पर बिठाना (बहुत अधिक आदर-स्वागत करना)- रामू ने विदेश से आए बेटों को पलकों पर बिठा लिया।

पलकें बिछाना (बहुत श्रद्धापूर्वक आदर-सत्कार करना)- नेताजी के आने पर सबने पलकें बिछा दीं।

पाँव धोकर पीना (अत्यन्त सेवा-शुश्रुषा और सत्कार करना)- रमा अपनी सासुमाँ के पाँव धोकर पीती है।

पॉकेट गरम करना (घूस देना)- अदालत में पॉकेट गर्म करने के बाद ही रामू का काम हुआ।

पीठ की खाल उधेड़ना (कड़ी सजा देना)- कक्षा में शोर मचाने पर अध्यापक ने रामू की पीठ की खाल उधेड़ दी।

पीठ ठोंकना (शाबाशी देना)- कक्षा में फर्स्ट आने पर अध्यापक ने राजू की पीठ ठोंक दी।

प्राण हथेली पर लेना (जान खतरे में डालना)- सैनिक प्राण हथेली पर लेकर देश की रक्षा करते हैं।

प्राणों पर खेलना (जान जोखिम में डालना)- आचार्य जी डूबती बच्ची को बचाने के लिए अपने प्राणों पर खेल गए।

पंख लगना (विशेष चतुराई के लक्षण प्रकट करना)- मधु के तो पंख लग गए हैं, उसे बहस में हरा पाना आसान नहीं है।

पंथ निहारना/देखना (प्रतीक्षा करना)- गोपियाँ पंथ निहारती रहीं पर कृष्ण कभी वापस न आए।

पत्ता खड़कना (आशंका होना)- अगर यहाँ पत्ता भी खड़केगा तो मुझे खबर मिल जाएगी, इसलिए आप निश्चिंत होकर अपना काम कीजिए।

पर कटना (अशक्त हो जाना)- इस लड़के के पर काटने पड़ेंगे बहुत बक-बक करने लगा है।

पलक-पाँवड़े बिछाना (बहुत श्रद्धापूर्वक स्वागत करना)- गाँधी जी जिस गाँव से भी निकल जाते थे लोग उनके स्वागत में पलक-पाँवड़े बिछा देते थे।

पलकों में रात बीतना (रातभर नींद न आना)- रात को कॉफी क्या पी, पलकों में ही सारी रात बीत गई।

पल्ला छुड़ाना (छुटकारा पाना)- मुझे इस काम में फँसाकर आप मुझसे पल्ला क्यों छुड़ाना चाहते हैं?

पल्ला पकड़ना (आश्रय लेना)- अब पल्ला पकड़ा है तो जीवनभर साथ निभाना होगा।

पसीने की कमाई (मेहनत से कमाई हुई संपत्ति)- भाई साहब! यह मेरे पसीने की कमाई है, मैं ऐसे ही नहीं लुटा सकता।

पाँव पड़ना (बहुत अनुनय-विनय करना)- मेरे पाँव पड़ने से कुछ न होगा, जाकर अपने अध्यापक से माँफी माँगो।

पाँव में बेड़ी पड़ना (स्वतंत्रता नष्ट हो जाना)- मल्लिका का विवाह क्या हुआ बेचारी के पाँवों में बेड़ी पड़ गई है, उसके सास-ससुर उसे कहीं आने-जाने ही नहीं देते।

पाँवों में मेंहदी लगना (कहीं जाने में अशक्त होना)- तुम्हारे पाँवों में क्या मेंहदी लगी है जो तुम बाजार तक जाकर सब्जी भी नहीं ला सकते?

पाँसा पलटना (भाग्य का प्रतिकूल होना)- पता नहीं कब क्या से क्या हो जाए? पाँसा पलटते देर नहीं लगती।

पानी जाना (प्रतिष्ठा नष्ट होना)- मनुष्य का यदि एक बार पानी चला जाए तो दुबारा वैसा ही सम्मान वापस नहीं मिलता।

पानी की तरह रुपया बहाना (अन्धाधुन्ध खर्च करना)- सेठजी ने सेठानी के इलाज पर पानी की तरह रुपया बहाया पर कुछ न हो सका।

पापड़ बेलना (कष्टमय जीवन बिताना, बहुत परिश्रम करना)- कितने पापड़ बेले हैं तब जाकर यह छोटी-सी नौकरी मिली है।

पाप का घड़ा भरना (पाप का पराकाष्ठा पर पहुँचना)- वह दुष्ट समझता था कि उसके पापों का घड़ा कभी भरेगा ही नहीं, पर समय किसी को नहीं छोड़ता।

पार लगाना (उद्धार करना)- ईश्वर पर भरोसा रखो। वे ही हमारी नैया पार लगाएँगे।

पाला पड़ना (वास्ता पड़ना)- मुझसे पाला पड़ा होता तो उसके होश ठिकाने आ जाते।

पासा पलटना (स्थिति उलट जाना)- क्या करें पास ही पलट गया। सोचा कुछ था हो कुछ गया।

पिंड छुड़ाना (पीछा छुड़ाना)- बड़ा दुष्ट है वह। उससे पिंड छुड़ाना बहुत मुश्किल है।

पिल पड़ना (किसी काम के पीछे बुरी तरह लग जाना)- बर्तन में रखे दूध पर बिल्लियाँ ऐसे पिल पड़ीं कि सारा दूध जमीन पर फैल गया।

पीछा छुड़ाना (जान छुड़ाना)- बड़ी मुश्किल से मैं उससे पीछा छुड़ाकर आया हूँ।

पीठ दिखाना (हारकर भागना/पीछे हटना)- पाकिस्तानी सेना पीठ दिखाकर भाग निकली।

पीस डालना (नष्ट कर देना)- जो मुझसे टक्कर लेगा उसे मैं पीस डालूँगा।

पुरजा ढीला होना (व्यक्ति का सनकी हो जाना)- मदन लाल के दिमाग का पुरजा ढीला हो गया है। उसे पता ही नहीं चलता कि क्या बोल रहा है?

पूरा न पड़ना (कमी पड़ना)- मेहमान अधिक आ गए हैं शायद इतना खाना पूरा न पड़े?

पेट पर लात मारना (रोजी ले लेना)- मैं किसी के पेट पर लात मारना नहीं चाहता वरना अब तक तो उसे नौकरी से बाहर कर दिया होता।

पेट पीठ एक होना (बहुत दुर्बल होना)- तीन माह की बीमारी में रमेश के पेट-पीठ एक हो गए हैं।

पेट में दाढ़ी होना (बहुत चालाक होना)- उसे सीधा मत समझना। उसके पेट में दाढ़ी है, किसी भी दिन चकमा दे सकता है।

पेट में बात न पचना (कोई बात छिपा न सकना)- उसे हर बात मत बताया करो क्योंकि उसके पेट में कोई बात नहीं पच ती।

पेट में बल पड़ना (इतना हँसना कि पेट दुखने लगे)- आज सब लोगों ने जो चुटकले सुनाए उन्हें सुनकर सब लोगों के पेट में बल पड़ गए।

पैंतरे बदलना (नई चाल चलना)- रामेश्वर से सावधान रहना। वह हर बार पैंतरे बदलता है।

पैर उखड़ना (भाग जाना)- युद्ध में कौरवों की सेना के पैर उखड़ गए।

पैर न टिकना (कहीं स्थायी रूप से कुछ समय भी न रहना)- तुम्हारा कभी पैर क्यों नहीं टिकता?

पैर फैलाकर सोना (निश्चिंत रहना)- बेटी का विवाह हो जाए फिर पैर फैला कर सोऊँगा।

पोल खुलना (किसी का छुपा हुआ दोष सामने आ जाना)- जब तुम्हारी पोल खुल जाएगी तब ये ही लोग तुम्हारा क्या हाल करेंगे तुम्हें अनुमान नहीं है।

पौ फटना (प्रातः काल होना)- पौ फटते ही पिता जी घर से निकल पड़े।

प्रशंसा के पुल बाँधना (बहुत तारीफ करना)- आज तो समारोह में सभाध्यक्ष ने शर्मा जी की प्रशंसा के पुल बाँध दिए।

प्राणों की बाजी लगाना (जान की परवाह न करना)- चिंता मत करो। प्राणों की बाजी लगाकर वह तुम्हारी रक्षा करेगा।

प्राण सूखना (बहुत घबरा जाना)- जंगल में शेर की आवाज सुनते ही हमलोगों के प्राण सूख गए।

प्राण हरना (मार डालना)- शेर ने एक ही झपट्टे में बेचारे हिरण के प्राण हर लिया।

पहलू बचाना- (कतराकर निकल जाना)

पते की कहना- (रहस्य या चुभती हुई काम की बात कहना)

पानी का बुलबुला- (क्षणभंगुर वस्तु)

पानी देना- (तर्पण करना, सींचना)

पानी न माँगना- (तत्काल मर जाना)

पानी पर नींव डालना- (ऐसी वस्तु को आधार बनाना जो टिकाऊ न हो)

पानी पीकर जाति पूछना- (कोई काम कर चुकने के बाद उसके औचित्य का निर्णय करना)

पानी रखना- (मर्यादा की रक्षा करना)

पानी में आग लगाना- (असंभव कार्य करना)

पानी लगना (कहीं का)- (स्थान विशेष के बुरे वातावरण का असर होना )

पानी करना- (सरल कर देना)

पानी फिर जाना- (बर्बाद होना)

पोल खुलना- (रहस्य प्रकट करना)

पुरानी लकीर का फकीर होना/पुरानी लकीर पीटना- (पुरानी चाल मानना)

पैर पकड़ना- (क्षमा चाहना)

 

( फ )

फूलना-फलना (धनवान या कुलवान होना)- मेरा आशीर्वाद है; सदा फूलो-फलो।

फटे में पाँव देना (दूसरे की विपत्ति अपने ऊपर लेना)- शर्मा जी की फटे में पाँव देने की आदत है।

फल चखना (कुपरिणाम भुगतना)- वह जैसा कर्म करेगा, वैसा फल चखेगा।

फुलझड़ी छोड़ना (कटाक्ष करना)- गुप्ता जी तो कोई न कोई फुलझड़ी छोड़ते ही रहते हैं।

फूट डालना (मतभेद पैदा करना)- अंग्रेजों ने फूट डाल कर भारत पर राज किया था।

फूला न समाना (अत्यन्त आनन्दित होना)- जब रवि कक्षा 10 में पास हो गया तो वह फूला नहीं समाया।

फूँककर पहाड़ उड़ाना (असंभव कार्य करना)- धीरज फूँककर पहाड़ उड़ाना चाहता है।

फूंक-फूंक कर कदम रखना (सोच-समझकर काम करना)- एक बार नुकसान उठा लिया अब तो फूंक-फूंक कर कदम रखो।

फूटी आँखों न सुहाना (तनिक भी अच्छा न लगना)- झूठ बोलने वाले लोग मुझे फूटी आँख नहीं सुहाते।

फटे हाल होना (बहुत गरीब होना)- जो बेचारा खुद फटे हाल है वह दूसरों की क्या मदद करेगा।

फूँक निकल जाना (भयभीत होना)- बहुत बढ़-चढ़ कर बोल रहा था। जैसे ही प्रधानाचार्य आए उसकी फूँक निकल गई।

फूटी कौड़ी भी न होना (बहुत गरीब होना)- मेरे पास तो फूटी कौड़ी भी नहीं हैं, मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता।

फूट-फूट कर रोना (बहुत रोना)- परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने की खबर सुनकर वह फूट-फूट कर रोने लगी।

फूलकर कुप्पा हो जाना (बहुत खुश होना)- नौकरी लगने की खबर सुनते ही वह फूलकर कुप्पा हो गया।

फफोले फोड़ना- (वैर साधना)

फबतियाँ कसना- (ताना मारना)

फूल झड़ना- (मधुर बोलना)

( ब )

बीड़ा उठाना (दायित्व लेना)- गांधजी ने भारत को आजाद करने का बीड़ा उठाया था।

बाजी ले जाना या मारना (जीतना)- देखें, दौड़ में कौन बाजी ले जाता या मारता है।

बेसिर-पैर की बात करना(व्यर्थ की बात करना)- वह तो जब भी देखो, बेसिर-पैर की बात करता है।

बगलें झाँकना (उत्तर न दे सकना)- अध्यापक के सवाल पर राजू बगलें झाँकने लगा।

बगुला भगत (ढोंगी व्यक्ति)- वो साधु तो बगुलाभगत निकला, सबको लूट कर भाग गया।

बाग-बाग होना (बहुत खुश होना)- जब राम अपनी कक्षा में फर्स्ट आया तो उसके माता-पिता का दिल बाग-बाग हो गया।

बोलबाला होना (ख्याति होना)- शहर में सेठ रामचंदानी का बहुत बोलबाला है।

बखिया उधेड़ना (भेद या राज खोलना या पोल खोलना)- आज अजय ने रामू की बखिया उधेड़ दी।

बाँसों उछलना (बहुत खुश होना)- जब बेरोजगार राजू को नौकरी मिल गई तो वह बाँसों उछल रहा था।

बाट जोहना (इन्तजार अथवा प्रतीक्षा करना)- रामू की माँ परदेस गए बेटे की कब से बाट जोह रही है।

बात को गाँठ में बाँधना (स्मरण/याद रखना)- मित्र, मेरी बात को गाँठ में बाँध लो, तुम अवश्य सफल होओगे।

बात खुलना (रहस्य खुलना)- कल सबके सामने रमेश की बात खुल गई।

बात बनाना (झूठ बोलना)- मोहन अब बात बनाना भी सीख गया है।

बुद्धि पर पत्थर पड़ना (अक्ल काम न करना)- आज उसकी बुद्धि पर पत्थर पड़ गए तभी तो उसने 10 लाख का मकान 2 लाख में बेच दिया।

बेपेंदी का लौटा (किसी की तरफ न टिकने वाला)- वह नेता तो बेपेंदी का लौटा है- कभी इस पार्टी में तो कभी उस पार्टी में चला जाता है।

बछिया का ताऊ (मूर्ख व्यक्ति)- धीरू तो बछिया का ताऊ है।

बधिया बैठना (बहुत घाटा होना)- नए रोजगार में तो पवन की बधिया ही बैठ गई।

बहत्तर घाट का पानी पीना (अनेक प्रकार के अनुभव प्राप्त करना)- काका जी बहत्तर घाट का पानी पी चुके हैं, उनको कोई धोखा नहीं दे सकता।

बाएं हाथ का खेल (बहुत सुगम कार्य)- रामू ने कहा कि कबड्डी में जीतना तो उसके बाएं हाथ का खेल है।

बारह बाट करना (तितर-बितर करना)- भाई-भाई की लड़ाई ने राम और श्याम को बारह बाट कर दिया।

बाल की खाल निकालना (छोटी से छोटी बातों पर तर्क करना)- सूरज तो हमेशा बाल की खाल निकालता रहता है।

बाल बाँका न होना (जरा भी हानि न होना)- जिसकी रक्षा ईश्वर करता है उसका बाल भी बाँका नहीं हो सकता।

बुढ़ापे की लाठी (बुढ़ापे का सहारा)- रामदीन का बेटा उसके बुढ़ापे का लाठी था, वह भी विदेश चला गया।

बहती गंगा में हाथ धोना (समय का लाभ उठाना)- हर आदमी बहती गंगा में हाथ धोना चाहता है चाहें उसमें क्षमता हो या न हो।

बगलें झाँकना (उत्तर न दे सकना)- साक्षात्कार के समय प्रत्येक प्रश्न के उत्तर में वह बगलें झाँकने लगा था।

बट्टा लगाना (कलंकित होना, दाग लगना)- चोरी करके उसने अपने माँ-बाप के नाम पर बट्टा लगा दिया।

बदन में आग लग जाना (बहुत क्रोध आना)- राजेश की झूठी बातें सुनकर मेरे बदन में आग लग गई।

बधिया बैठना (बहुत घाटा होना)- आमदनी कम, खर्चे अधिक।बधिया तो बैठनी ही थी।

बना बनाया खेल बिगड़ जाना (सिद्ध हुआ काम खराब हो जाना)- तुम्हारी एक छोटी-सी गलती से सारा बना बनाया खेल ही बिगड़ गया।

बलि जाना (न्योछावर होना)- मीरा कृष्ण के हर रूप पर बलि जाती थी।

बरस पड़ना (क्रोधित होना)- मुझे देखते ही अध्यापक क्यों इतना बरस पड़े?

बाँछें खिल जाना (बहुत प्रसन्न होना)- बेटे को नौकरी मिलने की खबर सुनते ही शर्मा जी की बाँछें खिल गई।

बाँह चढ़ाना (लड़ने को तैयार होना)- इस तरह से बाँह चढ़ाकर बात करने से समस्या का समाधान नहीं निकलेगा। बैठकर शांति से बात करो।

बाँह पकड़ना (शरण में लेना)- किसी बड़े आदमी की बाँह पकड़ लो, बेड़ा पार हो जाएगा।

बाज न आना (बुरी आदत न छोड़ना)- सब लोगों ने इतना समझाया फिर भी वह अपनी आदतों से बाज नहीं आता।

बात का बतंगड़ बनाना (छोटी-सी बात को बहुत बढ़ा देना)- बात का बतंगड़ मत बनाओ और इस किस्से को यहीं समाप्त करो।

बात न पूछना (परवाह न करना)- जब उसका अपना बेटा ही बात नहीं पूछता तो दूसरा कोई क्या मदद करेगा?

बात बढ़ना (झगड़ा होना)- बात ही बात में इतनी बात बढ़ गई कि दोनों ओर से चाकू-छुरियाँ निकल आयीं।

बाल-बाल बचना (मुश्किल से बचना)- विमान दुर्घटना में सभी यात्री बाल-बाल बच गए।

बात का धनी होना (वायदे का पक्का होना)- वह अपनी बात का धनी है। यदि उसने आने का वायदा किया है तो अवश्य आएगा।

बेड़ा गर्क करना (नष्ट करना)- तुमने मेरा बेड़ा गर्क कर दिया है। अब मैं तुम्हारे साथ काम नहीं कर सकता।

बे पर की उड़ाना (निराधार बातें करना)- मेरे सामने बे पर की मत उड़ाया करो। वही बातें किया करो जिनका कोई प्रमाण हो।

बन्दरघुड़की देना- (धमकाना)

बाजार गर्म होना- (सरगर्मी होना, तेजी होना)

बात का धनी- (वादे का पक्का, दृढप्रतिज्ञ)

बात की बात में- (अतिशीघ्र)

बात चलाना- (चर्चा करना)

बात पर न जाना- (विश्वास न करना)

बात रहना- (वचन पूरा करना)

बातों में उड़ाना- (हँसी-मजाक में उड़ा देना)

बात पी जाना- (बर्दाश्त करना, सुनकर भी ध्यान न देना)

बाल की खाल निकालना- (छिद्रान्वेषण करना)

बालू की भीत- (शीघ्र नष्ट होनेवाली चीज)

( भ )

भीगी बिल्ली होना (डर से दबना)- वह अपने शिक्षक के सामने भीगी बिल्ली हो जाता है।

भानमती का कुनबा जोड़ना (अलग-अलग तरह की चीजें जोड़ना या इकट्ठा करना)- राजू ने अपने ऑफिस में भानमती का कुनबा जोड़ा हुआ है, उसमें सभी तरह के लोग हैं।

भंडा फूटना (पोल खुलना)- भंडा फूटने के डर से रवि मीटिंग से उठ कर चला गया।

भंडा फोड़ना (पोल खोलना)- जरा-सी कहासुनी पर महेश ने रवि का भंडा फोड़ दिया।

भगवान को प्यारे हो जाना (मर जाना)- सोनू के नानाजी कल भगवान को प्यारे हो गए।

भरी थाली में लात मारना (लगी लगाई नौकरी छोड़ना)- राजू ने भरी थाली में लात मारकर अच्छा नहीं किया।

भांजी मारना (किसी के बनते काम को बिगाड़ना)- रामू के विवाह में उसके ताऊ ने भांजी मार दी।

भेड़ की खाल में भेड़िया (देखने में सरल तथा भोलाभाला, पर वास्तव में खतरनाक)- कालू तो भेड़ की खाल में भेड़िया है।

भैंस के आगे बीन बजाना (वज्र मूर्ख के सामने बुद्धिमानी की बातें करना)- राजू को कोई बात समझाना तो भैंस के आगे बीन बजाना है।

भौंहे टेढ़ी करना (क्रोध आना)- पिताजी की जरा भौंहे टेढ़ी करते ही पिंटू चुप हो गया।

भनक पड़ना (सुनाई पड़ना)- पुजारी जी ने अपनी लड़की की शादी कर दी और किसी को भनक तक नहीं पड़ी।

भाड़ झोंकना (व्यर्थ समय नष्ट करना)- अगर पढ़ाई-लिखाई नहीं करोगे तो सारी जिंदगी भाड़ झोंकोगे।

भाड़े का टट्टू (किराए का आदमी)- इस तरह के काम भाड़े के टट्टुओं से नहीं होते। खुद मेहनत करनी पड़ती है।

भूत चढ़ना या सवार होना (किसी काम में पूरी तरह लग जाना)- उस पर आजकल परीक्षा का भूत सवार है। दिन रात पढ़ने में ही लगी रहती है।

भूत उतरना (क्रोध शांत होना)- उससे कुछ मत कहो। जब भूत उतर जाएगा तब खुद ही शांत हो जाएगा।

भृकुटि तन जाना (क्रोध आना)- मेरी बात सुनते ही अध्यापक महोदय की भृकुटि तन गई।

भोग लगाना (देवता/ईश्वर को नैवेद्य चढ़ाना)- मैं पहले ठाकुरजी को भोग लगाऊँगा तब नाश्ता करूँगा।

भेड़ियाधसान होना- (देखा-देखी करना)

भारी लगना- (असहय होना)

( म )

मुँह धो रखना (आशा न रखना)- यह चीज अब मिलने को नही मुँह धो रखिए।

मुँह में पानी आना (लालच होना)- मिठाई देखते ही उसके मुँह में पानी भर आया।

मैदान मारना (बाजी जीतना)- पानीपत की लड़ाई में आखिर अब्दाली ही मैदान मारा।

मैदान साफ होना (कोई रुकावट न होना)- जब रात को सब लोग सो गए और पुलिस वाले भी चले गए तो चोरों को लगा कि अब मैदान साफ है और सामने वाले घर में घुसा जा सकता है।

मिट्टी के मोल बिकना (बहुत सस्ता)- जो चीज मिट्टी के मोल थी आज की मँहगाई में सोने के भाव बिक रही है।

मुट्ठी गरम करना (घूस देना)- मुट्ठी गर्म करने के बाद ही क्लर्क बाबू ने मेरा काम किया।

मुँह बंद कर देना (शांत कराना)- तुम धमकी देकर मेरा मुँह बंद कर देना चाहते हो

मीठी छुरी (छली-कपटी मनुष्य)- वह तो मीठी छुरी है, मैं उसकी बातों में नहीं आती।

मुँह अँधेरे (बहुत सवेरे)- वह नौकरी के लिए मुँह अँधेरे निकल जाता है।

मुँह काला होना (अपमानित होना)- उसका मुँह काला हो गया, अब वह किसी को क्या मुँह दिखाएगा।

मुँह की खाना (हारना/पराजित होना)- इस बार तो राजू पहलवान ने मुँह की खाई है, पिछली बार वह जीता था।

मक्खन लगाना (चापलूसी करना)- चपरासी को मक्खन लगाने के बाद भी रामू का काम नहीं बना।

मक्खी मारना (बेकार रहना)- पढ़-लिख कर श्यामदत्त मक्खी मार रहा है।

मगजपच्ची करना (समझाने के लिए बहुत बकना)- इस काठ के उल्लू के साथ कौन मगजपच्ची करे।

मगरमच्छ के आँसू (दिखावटी सहानुभूति प्रकट करना)- राम के फेल होने पर उसके साथी मगरमच्छ के आँसू बहाने लगे।

मरने को भी छुट्टी न होना (अत्यधिक व्यस्त रहना)- आचार्य जी के पास तो मरने की भी छुट्टी नहीं होती।

मरम्मत करना (मारना-पीटना)- माँ ने सुबह-सुबह टीटू की मरम्मत कर दी।

मस्तक ऊँचा करना (प्रतिष्ठा बढ़ाना)- डॉक्टरी पास करके रवि ने अपने माँ-बाप का मस्तक ऊँचा कर दिया।

महाभारत मचाना (खूब लड़ाई-झगड़ा करना)- सोनू और मोनू दोनों बहन-भाई सुबह से महाभारत मचा रहे हैं।

मांग उजाड़ना (विधवा होना)- युवावस्था में ही सीमा की मांग उजड़ गई।

मिजाज आसमान पर होना (बहुत घमंड होना)- नई कार खरीदने के बाद शंभू का मिजाज आसमान पर हो गया है।

मिट्टी डालना (किसी के दोष को छिपाना)- बच्चों की गलतियों पर मिट्टी नहीं डालनी चाहिए।

मुँह पर कालिख लगना (कलंकित होना)- चोरी करते पकड़े जाने पर राजू के मुँह पर कालिख लग गई।

मुँह पर ताला लगना (चुप रहने के लिए विवश होना)- कक्षा में अध्यापक के आने पर सब छात्रों के मुँह पर ताला लग जाता है।

मुँह पर थूकना (बुरा-भला कहना)- कालू की करतूत देखकर सब उसके मुँह पर थूक गए।

मुँह फुलाना (अप्रसन्नता या असंतुष्ट होकर रूठ कर बैठना)- शांति सुबह से ही अपना मुँह फुलाए घूम रही है।

मुँह सिलना (चुप रहना)- मैंने तो अपना मुँह सिल लिया है। तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हारे विरुद्ध कुछ नहीं बोलूँगा।

मुँह काला करना (कलंकित होना)- दुश्चरित्र महिलाएँ न जाने कहाँ-कहाँ मुँह काला कराती फिरती है।

मुँह चुराना (सम्मुख न आना)- इस तरह समाज में कब तक मुँह चुराते फिरोगे। जाकर प्रधान जी से अपनी गलती की माफी माँग लो।

मुँह जूठा करना (थोड़ा-सा खाना/चखना)- यदि भूख नहीं है तो कोई बात नहीं। थोड़ा-सा मुँह जूठा कर लीजिए।

मुँहतोड़ जबाब देना (ऐसा उत्तर देना कि दूसरा कुछ बोल ही न सके)- मैंने ऐसा मुँहतोड़ जबाब दिया कि सबकी बोलती बंद हो गई।

मुँह निकल आना (कमजोरी के कारण चेहरा उतर जाना)- एक सप्ताह की बीमारी में ही उसका मुँह निकल आया है।

मुँह की बात छीन लेना (दूसरे के मन की बात कह देना)- आपने यह बात कहकर तो मेरे मुँह की बात छीन ली। मैं भी यही बात कहना चाहता था।

मुँह में खून लगना (अनुचित लाभ की आदत पड़ना)- इस थानेदार के मुँह में खून लग गया है। बेचारे गरीब सब्जी वालों से भी हफ़्ता-वसूली करता है।

मुँह मोड़ना (उपेक्षा करना)- जब ईश्वर ही मुँह मोड़ लेता है तब दुनिया में कोई सहारा नहीं बचता।

मुँह लगाना (बहुत स्वतंत्रता देना)- ऐसे घटिया लोगों को मैं मुँह नहीं लगाता।

मूँछ उखाड़ना (गर्व नष्ट करना)- सत्तो पहलवान की आज तक कोई मूँछ नहीं उखाड़ पाया है।

मूँछ नीची होना (लज्जित होना)- जब नौकर ने टका-सा जवाब दे दिया तो ठाकुर साहब की मूँछ नीची हो गई।

मूँछों पर ताव देना (वीरता की अकड़ दिखाना)- ज्यादा मूँछों पर ताव मत दो, बजरंग आ गया तो सारी हेकड़ी निकल जाएगी।

मूँछ मुड़वाना (हार मान लेना)- यदि मेरी बात झूठी निकली तो मैं मूँछ मुड़वा लूँगा।

मूली-गाजर समझना (अति तुच्छ समझना)- आतंकवादी आम जनता को मूली-गाजर समझते हैं।

मैदान छोड़ना (युद्धक्षेत्र से भाग जाना)- मैदान छोड़ कर भागने वाला कायर होता है।

म्यान से बाहर होना (अत्यन्त क्रुद्ध होना)- अशोक जरा-सी बात पर म्यान से बाहर हो गया।

मन उड़ा-उड़ा सा रहना (मन स्थिर न रहना)-पति के आने के इंतजार में मधु का मन आजकल उड़ा-उड़ा सा रहता है।

मन डोलना (इच्छा होना/ललचाना)- मेले में मिठाइयों की दुकान से गुजरते समय केशव का मन डोलने लगा।

मजा किरकिरा होना (आनंद में विघ्न पड़ना)- बार-बार बिजली आती-जाती रही इसलिए फ़िल्म का सारा मजा किरकिरा हो गया।

मजा चखाना (गलती की सजा देना)- जो कुछ तुमने किया है उसका तुम्हें मजा चखाकर रहूँगा।

मन कच्चा होना/करना (हिम्मत हारना/छोड़ना)- इतनी कोशिश के बाद भी नौकरी नहीं मिली इसलिए मेरा तो मन कच्चा हो गया है।

मन की मन में रह जाना (इच्छा पूरी न होना)- बेटी के विवाह में लड़के वालों से अनबन हो गई इसलिए कुछ भी ठीक से न हो पाया।

मन बढ़ना (हौसला बढ़ना)- हमारे गेम्स-टीचर हमेशा हमलोगों का मन बढ़ाते रहते हैं इसलिए हमारे स्कूल की टीम हर मैच जीतती है।

मन मार कर रह जाना (अधिक वेदना होना)- मेरे बेटे की जगह जब एक मंत्री के बेटे को नौकरी मिल गई तो मैं मन मार कर रह गया।

मन मसोस कर रह जाना (मन के भावों को मन में ही दबा देना)- जब उन लोगों की बातें सरकार ने नहीं मानी तो बेचारे मन मसोस कर रह गए।

मन में बसना (प्रिय लगना)- जब कोई मन में बस जाता है तब उसकी कमियाँ दिखाई नहीं देतीं।

मन में चोर होना (मन में धोखा-फरेब होना)- जिसके मन में चोर होता है वही ऐसी अविश्वसनीय बातें करता है।

मन रखना (इच्छा पूरी करना)- मैंने उसका मन रखने के लिए ही झूठ बोला था।

मस्ती मारना (मौज उड़ाना)- पिकनिक में सब लोग मस्ती मार रहे हैं।

मिट्टी का माधो (मूर्ख)- सुबोध तो एकदम मिट्टी का माधो है, उससे कुछ भी उम्मीद मत कीजिए।

मिट्टी में मिलाना (नष्ट करना)- यदि उसने मेरे साथ गद्दारी की तो मैं उसे मिट्टी में मिला दूँगा।

मिट्टी पलीद करना (दुर्गति करना)- भाषण प्रतियोगिता में सुशील ने सभी वक्ताओं की मिट्टी पलीद कर दी।

माथा ठनकना (खटका पैदा होना, आशंका होना)- उसकी बहकी-बहकी बातें सुनकर मेरा तो माथा तभी ठनका था और मैंने तुमलोगों को आगाह भी किया था पर तुमलोगों ने मेरी सुनी ही नहीं।

माथा-पच्ची करना (सिर खपाना)- हमलोग सुबह से माथा-पच्ची कर रहे हैं पर इस सवाल को हल नहीं कर पाए हैं।

माथा फिरना (दिमाग खराब होना)- तुम चले जाओ यहाँ से। अगर मेरा माथा फिर गया तो तुम्हारी खैर नहीं।

मार-मार कर चमड़ी उधेड़ देना (बहुत पीटना)- पुलिस वाले ने उस चोर को मार-मार कर उसकी चमड़ी उधेड़ दी।

मारा-मारा फिरना (इधर-उधर ठोकरें खाते फिरना)- आजकल वह नौकरी की तलाश में चारों ओर मारा-मारा फिर रहा है।

माला फेरना (माला के दानों को गिनकर जप करना)- केवल माला फेरने से ईश्वर नहीं मिलते, मन से भक्ति करनी पड़ती है तब ईश्वर प्रसन्न होते हैं।

मिट्टी खराब करना (दुर्दशा करना)- रमानाथ से झगड़ा मत करना। वह तुम्हारी मिट्टी खराब कर देगा।

मिलीभगत होना (गुप्त सहमति होना)- पुलिसवालों की मिलीभगत थी, इसलिए चोर जेल से गायब हो गए।

मुट्ठी में होना (वश में होना)- चिंता क्यों करते हो? जब मंत्री जी मेरी मुट्ठी में हैं तो हमारा काम कैसे नहीं बनेगा?

मुराद पूरी होना (मनोकामना पूरी होना)- करीम का बेटा जब डॉक्टर बन गया तो उसकी मुराद पूरी हो गई।

मेल खाना (संगति के अनुकूल होना)- वह लड़की सबसे अलग है। उसके विचार किसी से मेल नहीं खाते।

मोटे तौर पर (साधारणतः)- इस बात के बारे में मैंने तो आपको मोटे तौर पर समझाया है। यदि आपको विस्तृत जानकारी चाहिए तो हमारे डायरेक्टर से मिलिए।

मोर्चा मारना (विजय हासिल करना)- तीन दिन तक घमासान युद्ध हुआ और चौथे दिन हमारी सेना ने मोर्चा मार लिया तथा पाकिस्तानी चौकी पर भारत का झंडा फहरा दिया।

मोर्चा लेना (युद्ध करना)- जब तक हमारी सेना दुश्मन की सेना के साथ मोर्चा नहीं लेगी तब तक ये लोग इसी तरह की आतंकवादी गतिविधियाँ करते रहेंगे।

मोल-भाव करना (कीमत घटा-बढ़ा कर सौदा करना)- पिता जी ने समझाया था कि जब भी कुछ खरीदो मोल-भाव अवश्य कर लो।

मौका हाथ आना (अवसर आना)- जब मौका हाथ आएगा, मैं अवश्य काम पूरा करूँगा।

मौत के मुँह में जाना (जान जोखिम में डालना)- राजकुमारी को बचाने के लिए राजकुमार को मौत के मुँह में जाना पड़ा।

मर मिटना- (बर्बाद होना)

मांस नोचना- (तंग करना)

मोम हो जाना- (खूब नरम बन जाना)

मन फट जाना- (विराग होना, फीका पड़ना)

मन के लड्डू खाना- (व्यर्थ की आशा पर प्रसन्न होना)

मैदान साफ होना- (मार्ग में बाधा न होना)

मीन-मेख करना- (व्यर्थ तर्क)

मन खट्टा होना- (मन फिर जाना)

मोटा आसामी- (मालदार आदमी)

मुठभेड़ होना- (मुकाबला होना)

( य )

यमपुर पहुँचाना (मार डालना)- पुलिस ने चोर को मारमार कर यमपुर पहुँचा दिया।

युक्ति लड़ाना (उपाय करना)- अशोक हमेशा पैसा कमाने की युक्ति लड़ाता रहता।

यश गाना (प्रशंसा करना)- यदि आप देश के लिए अच्छे काम करेंगे तो लोग आपका यश गाएँगे।

यारी गाँठना (मित्रता करना)- पुलिस वालों से यारी गाँठना उसे महँगा पड़ा।

यश मानना- (कृतज्ञ होना)

युग-युग- (बहुत दिनों तक)

युगधर्म- (समय के अनुसार चाल या व्यवहार)

युगांतर उपस्थित करना- (किसी पुरानी प्रथा को हटाकर उसके स्थान पर नई प्रथा चलाना)

( र )

रंग जमना (धाक जमना)- तुम्हारा तो कल खूब रंग जमा।

रंग बदलना (परिवर्तन होना)- जमाने का रंग बदल गया है।

रंग में भंग पड़ना (बिघ्न या बाधा पड़ना)- मीरा की शादी में कुछ असामाजिक तत्वों के आने से रंग में भंग पड़ गया।

रंग उड़ना या रंग उतरना (फीका होना)- सजा सुनते ही अपराधी के चेहरे का रंग उतर गया।

रंग चढ़ना (प्रभावित होना)- रामू पर दिल्ली के रहन-सहन का रंग चढ़ गया है। अब तो वह कान में मोबाइल लगाए फिरता है।

रंग जमाना (रौब जमाना)- नया मैनेजर सब पर अपना रंग जमा रहा है।

रंग में ढलना (किसी के प्रभाव में आना)- मनोज आवारा लड़कों के साथ रहकर उन्हीं के रंग में ढल गया है।

रंग में भंग करना (आनन्द और हंसी-ख़ुशी में विघ्न डालना)- शादी में लड़ाई करके रवि ने रंग में भंग कर दिया।

रंग उड़ना (रौनक समाप्त हो जाना)- शर्मा जी को देखते ही मदन के चेहरे का रंग उड़ गया।

रंग लाना (प्रभाव दिखाना)- 'मेहनत हमेशा रंग लाती है, इस बात को मत भूलो।'

रँगा सियार (धोखेबाज आदमी)- मैं सुमन पर विश्वास करता था पर वह तो रँगा सियार निकला, मेरा सारा पैसा लेकर भाग गया।

रफू चक्कर होना (गायब होना)- अभी तो वह लड़का यहीं बैठा था। आपको आते देख लिया होगा इसलिए लगता है कहीं रफू चक्कर हो गया।

राई से पर्वत करना या बनाना (छोटे से बड़ा होना)- शांति किसी भी बात को राई से पर्वत कर देती है।

राई का पर्वत होना (बात का बतंगड़ होना)- मुझे क्या पता कि मेरे बोलने से राई का पर्वत हो जाएगा, वर्ना मैं चुप ही रहता।

राई-काई करना (छिन्न-भिन्न करना)- पुलिस ने जरा-सी देर में सारी भीड़ को राई-काई कर दिया।

रंगे हाथों पकड़ना (अपराध करते हुए पकड़ना)- पुलिस ने चोर को रंगे हाथों पकड़ लिया।

रास्ते का काँटा (उन्नति या प्रगति में बाधक)- मोहन की कड़वी जुबान उसके रास्ते का काँटा हैं।

राह में रोड़ा पड़ना (काम में बाधा आना)- राह में तमाम रोड़े पड़ने पर साहसी लोग कभी नहीं रुकते।

रात-दिन एक करना (निरन्तर कठिन परिश्रम करना)- परीक्षा में पास होने के लिए सुरेश ने रात-दिन एक कर दी।

राम नाम सत्त हो जाना (मर जाना)- कल राजू के परदादा की राम नाम सत्त हो गई।

रामराम होना (मुलाकात होना)- सुबह-सुबह टहलने जाते समय सबसे रामराम हो जाती है।

रास्ता देखना (इन्तजार करना)- हमलोग कल आपका रास्ता देखते रहे पर न तो आप आए और न ही कोई सूचना दी।

रास्ते पर लाना (सुधारना)- महात्माजी ने अनेक पथ भ्रष्ट लोगों को रास्ते पर ला दिया है।

रुपया पानी में फेंकना (रुपया व्यर्थ खर्च करना)- खटारा कार खरीद कर राम ने रुपया पानी में फ़ेंक दिया है।

रोटी चलाना (भरण-पोषण करना)- रवि मजदूरी करके अपनी रोटी चला रहा है।

रोशनी डालना (स्पष्ट करना)- अभी आपने जो कुछ कहा था उस पर फिर से रोशनी डालिए, मैं आपकी बात समझ नहीं पाया।

रट लगाना (बार-बार एक ही बात करना)- रमा का बेटा बहुत जिद्दी है। हर चीज की रट लगाए रहता है और माँ-बाप को वह चीज दिलानी पड़ती है।

रत्ती भर (जरा-सा)- मैं उसकी बातों पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं करता।

रफा-दफा करना (फैसला करना)- अच्छा हुआ आपने मामले को रफा-दफा कर दिया वरना खून-खच्चर हो जाता।

रहम खाना (दया करना)- उस बेचारी विधवा पर रहम खाओ और उसका कर्जा माफ कर दो।

राग अलापना (अपनी कहते जाना, दूसरे की न सुनना)- रोहन जी अपना ही राग अलापते रहते हैं किसी दूसरे की सुनते ही नहीं हैं।

रामबाण औषधि (अचूक दवा)- प्राणायाम ही समस्त रोगों की रामबाण औषध है।

रास आना (अनुकूल होना)- मुझे यह शहर रास आ गया है। अब मैं रिटायरमेंट तक यहीं रहूँगा।

रास्ता नापना (चले जाना)- तुम अपना रास्ता नापो। यहाँ तुम्हारी दाल नहीं गलेगी।

रुपया उड़ाना (धन व्यर्थ में खर्च करना)- पिता जी लाखों रुपए छोड़े थे पर राकेश ने शराब और जुए में सारा रुपया उड़ा दिया।

रुपया ऐंठना (चालाकी से धन ले लेना)- ट्रेन में जो लोग सामान बेचने आते हैं उनसे कभी कुछ मत खरीदना। घटिया सामान दिखाकर रुपये ऐंठ ले जाते हैं।

रुपया बरसना (खूब धन प्राप्त होना)- भगवान की कृपा से सेठ जी के धंधे में रुपया बरस रहा है।

रूह काँपना (बहुत डरना)- अँधेरे में श्मशान पर जाने की बात सोचकर ही मेरी तो रूह काँपने लगती है।

रोंगटे खड़े होना (भय, शोक, हर्ष आदि के कारण रोमांचित होना)- रात को डर के मारे मेरी पत्नी के रोंगटे खड़े हो गए।

रोजी चलना (जीविका का निर्वाह होना)- इस महँगाई में रोजी चलना भी दूभर हो गया है।

रोटियाँ तोड़ना (किसी के यहाँ उसकी कृपा पर जीवन वसर करना)- कब तक ससुराल में मुफ़्त की रोटियाँ तोड़ते रहोगे? जाकर कहीं काम-धंधे की तलाश क्यों नहीं करते?

रोड़ा अटकना/अटकाना (विघ्न पड़ना/डालना)- मेरा काम बनने ही वाला था कि उस क्लर्क ने रिश्वत के लालच में रोड़ा अटका दिया।

रोब में आना (दूसरे के प्रभाव में आना)- जाकर किसी और को धमकाना, यहाँ तुम्हारे रोब में कोई आनेवाला नहीं।

रसातल चला जाना- (एकदम नष्ट हो जाना)

रीढ़ टूटना- (आधार समाप्त होना)

रोना रोना- (दुखड़ा सुनाना)

 

( ल )

लोहे के चने चबाना ( कठिनाई झेलना)- भारतीय सेना के सामने पाकिस्तानी सेना को लोहे के चने चबाने पड़े।

लकीर का फकीर होना (पुरानी प्रथा पर ही चलना)- ये अबतक लकीर के फकीर ही है। टेबुल पर नही, चौके में ही खायेंगे।

लोहा मानना (किसी के प्रभुत्व को स्वीकार करना)- क्रिकेट के क्षेत्र में आज सारे देशों की टीमें आस्ट्रेलिया की टीम का लोहा मानती हैं।

लेने के देने पड़ना (लाभ के बदले हानि)- नया काम हैं। सोच-समझकर आगे बढ़ना। कहीं लेने के देने न पड़ जायें।

लँगोटी पर (में) फाग खेलना- (अल्पसाधन होते हुए भी विलासी होना)

लँगोटिया यार (बचपन का दोस्त)- अभिषेक मेरा लँगोटिया यार है।

लल्लो-चप्पो करना (खुशामद करना, चिरौरी करना)- विनोद ल्लो-चप्पो करके अपना काम चलाता है।

लाल-पीला होना (नाराज होना)- राजू के कक्षा में शोर मचाने पर अध्यापक लाल-पीले हो गए।

लुटिया डूबना (काम चौपट हो जाना)- रामू ने नया कारोबार किया था, उसकी लुटिया डूब गई।

लंबी-चौड़ी हाँकना (गप्प मारना)- मोहन कक्षा में लंबी-चौड़ी हाँक रहा था तभी अध्यापक आ गए और वह खामोश हो गया।

लकीर पीटना (बिना सोचे-समझे पुरानी प्रथा पर चलना)- कब तक यूँ ही लकीर पीटती रहोगी? जमाने के साथ अपने को बदलना सीखो।

लगाम कड़ी करना (सख्ती से नियंत्रण करना/सख्ती करना)- प्रधानाचार्य ने लगाम कड़ी की तो सभी समय पर आने लगे।

लगाम ढीली करना (सख्ती न करना/नियमों में नर्मी बरतना)- जरा-सी लगाम ढीली करने से मेरी कंपनी का कोई भी कर्मचारी अब समय पर नहीं आता।

लज्जा या शर्म से पानी-पानी होना (बहुत लज्जित होना)- अपनी गलती पर पंडित जी लज्जा से पानी-पानी हो गए।

लौ लगना (धुन लगना, प्रेम होना)- मधुरिमा को तो पढ़ाई की लौ लग गई है। दिन रात पढ़ने में ही लगी रहती है।

लंका कांड होना (लड़ाई-झगड़ा होना)- आज सीमा का अपने पड़ोसी से लंका कांड हो गया।

लंबे हाथ मारना (खूब धन प्राप्त करना)- शंकर आजकल लंबे हाथ मार रहा हैं।

लकड़ी होना (अत्यन्त दुर्बल होना)- बीमारी में बिट्टू लकड़ी हो गया है।

लाख टके की बात (अत्यंत उपयोगी और सारगर्भित बात)- आचार्य जी हमेशा लाख टके की बात कहते हैं।

लोट-पोट कर देना (बहुत हँसाना)- दादा कोंडके की फिल्में हमें लोट-पोट कर देती हैं।

लोहा लेना (सामना करना)- 1857 के संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से लोहा लिया।

लंका ढहाना (किसी संपन्न देश/परिवार का सत्यानाश कर देना)- अपने चाचा को समझाओ वे क्यों विभीषण की तरह अपने परिवार की लंका ढहाने पर लगे हुए हैं।

लहू का घूँट पीकर रह जाना (विवशतावश क्रोध को पीकर रह जाना)- गलती न करने पर भी जब उस दरोगा ने जेल में बंद करने की धमकी दी तो मैं लहू का घूँट पीकर रह गया।

लगन लगना (प्रेम/भक्ति होना)- ईश्वर में जब लगन लग जाती है तो सारा संसार मिथ्या लगने लगता है।

लच्छेदार बातें करना (मजेदार बातें करना)- उसकी बातों में मत आ जाना। वह हमेशा लच्छेदार बातें करती है और लोगों को फँसा लेती है।

लट्टू होना (आसक्त होना, फिदा होना)- मदन की मतिभ्रष्ट हो गई है। कितनी घटिया लड़की पर लट्टू हो गया है।

लाले पड़ना (किसी चीज को देखने या पाने के लिए तरसना)- पिता जी के देहांत के बाद आमदनी के सारे रास्ते बंद हो गए और घर में खाने के भी लाले पड़ गए।

लुटिया डुबोना (काम चौपट करना)- अरे भाई, उस लड़के का साथ छोड़ दो वरना तुम्हारी भी लुटिया डुबो देगा।

लानत भेजना (धिक्कारना)- मैं तुम्हें लानत भेजता हूँ। निकल जाओ यहाँ से और फिर कभी अपना मनहूस चेहरा मत दिखाना।

लेने के देने पड़ना (लाभ के स्थान पर हानि होना)- शेयरों में इतना पैसा मत लगाओ। कहीं लेने के देने न पड़ जाएँ।

लाख से लाख होना- (कुछ न रह जाना)

लोहा बजना- (युद्ध होना)

लहू होना- (मुग्ध होना)

लग्गी से घास डालना- (दूसरों पर टालना)

लल्लो-चप्पो करना- (खुशामद करना, चिरौरी करना)

( व )

वक्त पड़ना (मुसीबत आना)- वक्त पड़ने पर ही मित्र की पहचान होती है।

वज्र टूटना (भारी विपत्ति आना)- रामू के पिताजी के मरने के पश्चात् उस पर वज्र टूट पड़ा।

विष घोलना (किसी के मन में शक या ईर्ष्या पैदा करना)- राजू ने बनी-बनाई बात में विष घोल दिया।

विष उगलना (कड़वी बात कहना)- कालू हमेशा राजू के खिलाफ विष उगलता रहता है।

वेद वाक्य (सौ प्रतिशत सत्य)- हमारे शिक्षक की कही हर बात वेद वाक्य है।

वचन से फिरना (प्रतिज्ञा पूरी न करना)- तुमने जैसा कहा है मैं वैसा कर दूँगा लेकिन अपने वचन से फिरना मत।

वारा-न्यारा करना (निपटारा करना, खतम करना)- जब मेरा काम चलने लगेगा तो ऐसे कई लोगों का तो मैं वारा-न्यारा कर दूँगा।

वाहवाही लूटना (प्रशंसा पाना)- काम कोई करना नहीं चाहता। सिर्फ बिना कुछ करे-धरे वाहवाही लूटना चाहते हैं।

वीरगति को प्राप्त होना (मर जाना)- राणा प्रताप ने मुगल सेना का डट कर सामना किया और अंत में वीरगति को प्राप्त हुए।

वचन हारना- (जबान हारना)

वचन देना- (जबान देना)

वक़्त पर काम आना- (विपत्ति में मदद करना)

( श, ष )

शैेतान की खाला (बहुत ही दुष्ट स्त्री)- शांति तो शैेतान की खाला है।

शंख के शंख रहना (मूर्ख के मूर्ख बने रहना)- शंभू तो शंख का शंख ही रहा।

शक़्कर से मुँह भरना (खुशखबरी सुनाने वाले को मिठाई खिलाना)- रमेश ने दसवीं पास होने पर अपने मित्रों का शक़्कर से मुँह भर दिया।

शह देना (उत्साह बढ़ाना)- तुम शह न देते तो उनकी मजाल थी कि मुझे यूँ आँखें दिखाती।

शहद लगा कर चाटना (निरर्थक वस्तु को संभाल कर रखना)- मेरा काम हो गया, अब तुम इस फाइल को शहद लगा कर चाटो।

शेर होना (निर्भय और घृष्ट होना)- अपनी गली में तो कुत्ते भी शेर होते है।

शैेतान का बच्चा (बहुत नीच और दुष्ट आदमी)- वह वकील तो शैेतान का बच्चा है।

शेखी बघारना/मारना (अपनी झूठी प्रशंसा करना)- वह हमेशा अपनी शेखी ही बघारती रहती है और खुशामदी लोग उसकी हाँ में हाँ मिलाते रहते हैं।

शकुन देखना/विचारना (शुभ-अशुभ का विचार करना)- शकुन देखकर विवाह की तारीख तय कर लीजिए।

शरीर टूटना (शरीर में दर्द होना)- आज सुबह से ही मेरा शरीर टूट रहा है और जी मचला रहा है।

शह देना (उकसाना)- तुमने शह न दी होती तो आज वह मुझे गाली देकर न जाता।

शहद लगाकर चाटना (निरर्थक वस्तुओं को सँभाल कर रखना)- अब इन दस्तावेजों को वापस क्यों नहीं कर देते? क्या शहद लगाकर इनको चाटोगे?

शामत आना (बुरा समय आना)- सब ठीक ठाक चल रहा था। न जाने कहाँ से शामत आ गई और सब बर्बाद हो गई।

शिकस्त देना (पराजित करना)- शतरंज के खेल में मुझे कोई शिकस्त नहीं दे सकता।

शिगूफा खिलाना/छोड़ना (कोई अनोखी बात करना)- तुम हमेशा कोई-न-कोई नया शिगूफा क्यों छोड़ते रहते हो?

शीशे में अपना मुँह देखना (अपनी योग्यता पर विचार करना)- पहले शीशे में अपना मुँह देखो तब सोचो कि क्या तुम ऐसी सुंदर लड़की के लिए उपयुक्त हो?

शौक चर्राना (इच्छा का तीव्र होना)- तुम्हें अब इस बुढ़ापे में साइकिल चलाने का क्या शौक चर्राया है, कहीं गिर गिरा गए तो हड्डी-पसली टूट जाएगी।

शर्म से गड़ जाना- (अधिक लज्जित होना)

शर्म से पानी-पानी होना- (बहुत लजाना)

शान में बट्टा लगना- (इज्जत में धब्बा लगना)

शैेतान की आँत- (बहुत बड़ा)

शिकार हाथ लगना- (असामी मिलना)

श्रीगणेश करना (शुभारम्भ करना)- कोई शुभ दिन देखकर किसी शुभ कर्म का श्रीगणेश करना चाहिए।

षटराग (खटराग) अलापना- (रोना-गाना, बखेड़ा शुरू करना, झंझट करना)

( स )

सर्द हो जाना (डरना, मरना)- बड़ा साहसी बनता था, पर भूत का नाम सुनते ही सर्द हो गया।

साँप-छछूंदर की हालत (दुविधा)- पिता अलग नाराज है, माँ अलग। किसे क्या कहकर मनाऊँ ?मेरी तो साँप-छछूंदर की हालत है इन दिनों।

समझ (अक्ल) पर पत्थर पड़ना (बुद्धि भ्रष्ट होना)- रावण की समझ पर पत्थर पड़ा था कि भला कहनेवालों को उसने लात मारी।

सिक्का जमना (प्रभाव जमना)- आज तुम्हारे भाषण का वह सिक्का जमा कि उसके बाद बाकी वक्ता जमे ही नहीं।

सवा सोलह आने सही (पूरे तौर पर ठीक)- राम की सेना में हनुमान इसलिए श्रेष्ठ माने जाते थे कि हर काम में वे ही सवा सोलह आने सही उतरते थे।

सर धुनना (शोक करना)- राम परीक्षा में असफल होने पर सर धुनने लगी।

सर गंजा कर देना (खूब पीटना)- भागो यहाँ से, नही तो सर गंजा कर दूँगा।

सफेद झूठ (सरासर झुठ)- यह सफेद झूठ है कि मैंने उसे गाली दी।

संसार देखना (सांसारिक अनुभव प्राप्त करना)- गुरुजी ज्ञानी और विद्वान हैं। उन्होंने संसार देखा है।

संसार बसाना (विवाह करके कौटुम्बिक जीवन व्यतीत करना)- शंभू ने अपना संसार बसा लिया है।

संसार सिर पर उठा लेना (बहुत उपद्रव करना)- अंकुर और पुनीत जहाँ भी जाते हैं, संसार सिर पर उठा लेते हैं।

सनीचर सवार होना (बुरे दिन आना)- सुनील पर सनीचर सवार हो गया है तभी वह अपना घर बेच रहा है।

सरकारी मेहमान (कैदी)- मुन्ना झूठे आरोप में ही सरकारी मेहमान बन गया।

सराय का कुत्ता (स्वार्थी आदमी)- सब जानते हैं कि अभिषेक तो सराय का कुत्ता है तभी उसका कोई मित्र नहीं है।

साँप का बच्चा (दुष्ट व्यक्ति)- समर पूरा साँप का बच्चा है।

साँप लोटना (ईर्ष्या आदि के कारण अत्यन्त दुःखी होना)- राजू की सरकारी नौकरी लग गई तो पड़ोसी के साँप लोट गया।

सागपात समझना (तुच्छ समझना)- रामू को सागपात समझना बड़ी भूल होगी, वह तो बी.ए. पास है।

साया उठ जाना (संरक्षक का मर जाना)- सर से साया उठ जाने पर रवि अनाथ हो गया है।

सिर आँखों पर बिठाना (बहुत आदर-सत्कार करना)- घर पर आए गुरुजी को छात्र ने सिर आँखों पर बिठा लिया।

सिर ऊँचा उठाना (इज्जत से खड़ा होना)- अपनी ईमानदारी के कारण मुन्ना समाज में आज सिर ऊँचा उठाए खड़ा है।

सिर खाली करना (बहुत या बेकार की बातें करना)- कल भवेश ने घर आकर मेरा सिर खाली कर दिया।

सिर पर आसमान उठाना (बहुत शोरगुल करना)- माँ के बिना बच्चे ने सिर पर आसमान उठा लिया है।

सिर पर कफ़न बाँधना (मरने के लिए तैयार रहना)- सैनिक सीमा पर सिर पर कफ़न बाँधे रहते हैं।

सिर पर पाँव रख कर भागना (बहुत तेजी से भाग जाना)- पुलिस को देख कर डाकू सिर पर पाँव रख कर भाग गए।

सिर मुँड़ाते ही ओले पड़ना (कार्यारम्भ में विघ्न पड़ना)- यदि मैं जानता कि सिर मुँड़ाते ही ओले पड़ेंगे तो विवाह के नजदीक ही न जाता।

सिर सफेद होना (बुढ़ापा होना)- अब नरेश का सिर सफेद हो गया है।

सिर पर आ जाना (बहुत नजदीक होना)- परीक्षा मेरे सिर पर आ गयी है, अब मुझे खूब पढ़ना चाहिए।

सिर खुजलाना (बहलाना करना)- सिर न खुजलाओ, देना है तो दो।

सींकिया पहलवान (दुबला-पतला व्यक्ति, जो स्वयं को बलवान समझता है।)- शामू सींकिया पहलवान है फिर भी वह अपने आपको दारासिंह समझता है।

सूरज को दीपक दिखाना (जो स्वयं प्रसिद्ध या श्रेष्ठ हो उसके विषय में कुछ कहना)- आप जैसे व्यक्ति को कुछ कहना सूरज को दीपक दिखाना हैं।

सूरज पर थूकना (नितान्त निर्दोष व्यक्ति पर लांछन लगाना)- अमर के बारे में कुछ कहना तो सूरज पर थूकना है।

सेर को सवा सेर मिलना (किसी जबरदस्त व्यक्ति को उससे भी बलवान या अच्छा व्यक्ति मिलना)- सेर को सवा सेर मिल गया, अब राजू को मजा आएगा।

सोने की चिड़िया (धनी देश)- हिन्दुस्तान इंग्लैण्ड के लिए सोने की चिड़ियाँ था।

स्वाहा होना (जल जाना, नष्ट या खत्म होना)- कल जरा-सी चिंगारी से सैकड़ों झुग्गियाँ स्वाहा हो गई।

संतोष की साँस लेना (राहत अनुभव करना)- बच्चे को गोद में लेकर नदी पार कर ली तब जाकर संतोष की साँस ली।

सकते में आना (चकित रह जाना)- हामिद मियाँ को इस पार्टी में देखकर वह सकते में आ गई। उसे यकीन ही नहीं होता था कि वह हामिद है।

सठिया जाना (बुद्धि नष्ट हो जाना)- वह अब सठिया गया है, इसलिए बहकी बातें करने लगा है। उसकी बातों का बुरा मत मानो।

सनक सवार होना (किसी काम को करने की धुन लग जाना)- मेरी छोटी बहन को गाना सीखने की सनक सवार हो गई है, इसलिए रोज शाम को विद्यालय जाती है।

सन्न रह जाना (कुछ करते न बनना)- इनकमटैक्स-अधिकारियों को अचानक अपने घर पर देखकर सेठजी सन्न रह गए।

सन्नाटा छाना (सब लोगों का चुप हो जाना, ख़ामोशी छा जाना)- भरी सभा में जब शर्मा जी दहाड़े तो चारों ओर सन्नाटा छा गया।

सबक मिलना (शिक्षा/दंड मिलना)- अच्छा हुआ जो मुरारी को इस बार परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया। इससे दूसरे छात्रों को भी सबक मिलेगा।

सब्जबाग दिखाना (झूठी आशाएँ दिलाना)- कुछ एजेंट लोगों को विदेश भेजने की बातें करके सब्जबाग दिखाते हैं और उनसे पैसा लूटते हैं।

समाँ बाँधना (रंग जमाना)- आज लता जी ने कार्यक्रम में समाँ बाँध दिया।

सर्दी खाना (ठंड लग जाना)- कल सुबह मैं बिना मफलर लिए निकल गया और सर्दी खा गया। इस समय तेज बुखार है।

सरपट दौड़ाना (तेज दौड़ाना)- राणा प्रताप का घोड़ा युद्ध में सरपट दौड़ता था।

साँप को दूध पिलाना (दुष्ट को प्रश्रय देना)- नेताजी ने अपनी सुरक्षा के लिए एक गुंडे को रख लिया पर एक दिन उसी गुंडे ने गुस्से में नेताजी का ही खून कर दिया, इसलिए कहा जाता है कि साँप को दूध पिलाना अक्लमंदी नहीं है।

साँप सूँघ जाना (हक्का बक्का रह जाना)- बहुत गुंडागर्दी कर रहे थे, अब थानेदार साहब को देखकर क्यों साँप सूँघ गया?

साँस लेने की फुर्सत न होना (बहुत व्यस्त होना)- आजकल इतना काम है कि साँस लेने की फुर्सत नहीं है, मैं इन दिनों आपके साथ नहीं चल सकता।

सात खून माफ करना (बहुत बड़े अपराध माफ करना)- तुम तो पंडितजी के इतने प्यारे हो कि तुम्हें तो सात खून माफ हैं। तुम कुछ भी कर दोगे तो भी तुमसे कोई भी कुछ नहीं कहेगा।

सात परदों में रखना (छिपाकर रखना)- उसने सेठजी को धमकी दी थी कि यदि वे अपनी बेटी को सात परदों में भी छिपाकर रखेंगे तो भी वह उसे ले जाएगा और उसी से शादी करेगा।

सातवें आसमान पर चढ़ना (घमंड होना)- पैसा आते ही तुम तो सातवें आसमान पर चढ़ गए हो। किसी की इज्जत भी नहीं करते।

सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाना (बहुत डर जाना)- जब उस लड़के ने पिस्तौल निकाल ली तो वहाँ खड़े सब लोगों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई।

सिर खाना (व्यर्थ की बातों से तंग करना)- मेरा सिर मत खाओ। मैं वैसे ही परेशान हूँ।

सिर नीचा करना (इज्जत बढ़ाना)- रमानाथ के अकेले बेटे ने अपने पिता का सिर ऊँचा कर दिया।

सिर चढ़ना (अशिष्ट या उदंड होना)- आपके बच्चे बहुत सिर चढ़ गए हैं। किसी की सुनते तक नहीं।

सिर पटकना (पछताना)- पहले तो मेरी बात नहीं मानी अब सिर पटकने से क्या होगा?

सिर पर खड़ा रहना (बहुत निकट रहना)- आप उसे कुछ समय के लिए अकेले भी छोड़ दिया करो। चौबीसों घंटे उसके सिर पर खड़े रहना ठीक नहीं है।

सिर पर तलवार लटकना (खतरा होना)- इस कंपनी में नौकरी करने पर हमेशा सिर पर तलवार ही लटकी रहती है कि कब कोई गलती हुई और नौकरी से निकाल दिए गए।

सिर फिरना (पागल हो जाना)- उसे मत छेड़ो। अगर उसका सिर फिर गया तो तुम लोगों की शामत आ जाएगी।

सिर मुड़ाते ओले पड़ना (कार्य आरंभ करते ही विघ्न पड़ना)- हमने व्यापार आरंभ किया ही था कि पुलिस वालों ने आकर हमारा लाइसेंस ही रद्द कर दिया। इसे कहते हैं सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना।

सीधे मुँह बात न करना (घमंड करना)- उसे अपने पैसे का बहुत घमंड हैं। किसी से सीधे मुँह बात तक नहीं करती।

सुनी अनसुनी करना (ध्यान न देना)- इस तरह की बातों को सुनी अनसुनी कर देना चाहिए।

सुनते-सुनते कान पक जाना (एक ही बात को सुनते-सुनते ऊब जाना)- तुम्हारी बातें सुनते-सुनते तो मेरे कान पक गए हैं, अब कुछ मत बोलो।

सुर्खाब के पर लगना (कोई विशेष गुण होना)- उस लड़की में क्या सुर्खाव के पर लगे थे जो मुझे छोड़कर उसे नौकरी मिल गई।

सुईं का भाला बनाना (छोटी-सी बात को बढ़ाना)- इस मामले को यहीं समाप्त करो। इतनी-सी बात का सुईं का भाला मत बनाओ।

सूख कर काँटा हो जाना (बहुत कमजोर हो जाना)- आइ० ए० एस० की तैयार में क्या लगा रहा, वह तो एकदम सूखकर काँटा हो गया है।

सेंध लगाना (चोरी करने के लिए दीवार में छेद करना)- मेरे घर के पीछे की दीवार पर कल रात चोरों ने सेंध लगाने की कोशिश की थी।

सोने पे सुहागा (बेहतर होना)- सेठ दीनानाथ पहले से ही करोड़पति थे और अब उनकी लॉटरी भी निकल आई। इसे कहते हैं सोने पे सुहागा।

सौ बात की एक बात (असली बात, निचोड़)- सौ बात की एक बात यह है कि तू इधर-उधर के धंधे छोड़कर कहीं ठीक से नौकरी कर।

सौदा पटना (भाव ठीक होना)- अगर यह सौदा पट गया तो हम लोग मालामाल हो जाएँगे।

सब्ज बाग दिखाना- (बड़ी-बड़ी आशाएँ दिलाना)

सितारा चमकना या बुलंद होना- (भाग्योदय होना)

सिप्पा भिड़ाना- (उपाय करना)

सात-पाँच करना- (आगे पीछे करना)

सुबह का चिराग होना- (समाप्ति पर आना)

सैकड़ों घड़े पानी पड़ना- (लज्जित होना)

सन्नाटे में आना/सकेत में आना- (स्तब्ध हो जाना)

सब धान बाईस पसेरी- (सबके साथ एक-सा व्यवहार, सब कुछ बराबर समझना)

( ह )

हाथ पैर मारना (काफी प्रयास )- राम कितना मेहनत क्या फिर भी वह परीक्षा में सफल नहीं हुआ।

हाथ मलना (पछताना )- समय बीतने पर हाथ मलने से क्या लाभ ?

हाथ देना (सहायता करना )- आपके हाथ दिये बिना यह काम न होगा।

हाथोहाथ (जल्दी )- यह काम हाथोहाथ होकर रहेगा।

हथियार डाल देना (हार मान लेना)- कारगिल की लड़ाई में पाकिस्तान ने हथियार डाल दिए थे।

हड्डी-पसली एक करना (खूब मारना-पीटना)- बदमाशों ने काशी की हड्डी-पसली एक कर दी।

हाथों के तोते उड़ जाना (भौंचक्का या स्तब्ध हो जाना)- मनोहर की आत्महत्या का समाचार पाकर घर में सबके हाथों के तोते उड़ गए।

हँसी-खेल समझना (किसी काम को सरल समझना)- सतीश पुस्तकें लिखना हँसी-खेल समझता है।

हजम करना (हड़प लेना)- प्रेम के माता-पिता के मरने पर उसकी सारी संपत्ति उसके मामा हजम कर गए।

हथेली पर सरसों जमाना (कोई कठिन काम तुरन्त करना)- जब सीमा ने राजू को दो घंटे में पूरी किताब याद करने को कहा तो राजू ने हथेली पर सरसों जमाने के लिए मना कर दिया।

हवा उड़ना (खबर या अफवाह फैलाना)- एक बार हमारे गाँव में हवा उड़ी थी कि एक पहुँचे हुए महात्मा आए हैं, जो कि सच थी।

हवा के घोड़े पर सवार होना (बहुत जल्दी में होना)- राजू तो हमेशा ही हवा के घोड़े पर सवार रहता है, इसलिए कभी उससे शांति से बात नहीं हो पाती।

हवा बिगड़ना (पहले की सी धाक या मर्यादा न रह जाना)- आजकल पुराने रईसों की हवा बिगड़ गई है।

हवा में किले बनाना (काल्पनिक योजनाएँ बनाना)- शंभू तो हमेशा हवा में किले बनाता रहता है।

हवा से बातें करना (हवा की तरह तेज दौड़ाना)- राणा प्रताप का घोड़ा हवा से बातें करता था।

हाथ का खिलौना (किसी के आदेश के अनुसार काम करने वाला व्यक्ति)- बेचारा राजू इन दुष्टों के हाथ का खिलौना बन गया है।

हाथ पर हाथ धरे बैठना (कुछ कामकाज न करना)- राजू एम.ए. करने के बाद हाथ पर हाथ धरे बैठा है।

हाथ भर का कलेजा होना (बहुत खुश होना)- अच्छी नौकरी मिलने से राम का हाथ भर का कलेजा हो गया है।

हाथों में चूड़ियाँ पहनना (कायरता का काम करना)- कायर! जाओ, हाथ में चूड़ियाँ पहनकर बैठे रहो।

हालत खस्ता होना (कष्टमय परिस्थिति होना)- बेरोजगारी में धरमचंद की हालत खस्ता है।

हिरण हो जाना (गायब हो जाना)- पुलिस को सामने देखकर शराबी का नशा हिरण हो गया।

हृदय उछलना (बहुत आनन्दित होना)- कन्हैया को चलते देखकर यशोदा का हृदय उछलने लगता था।

हृदय पत्थर हो जाना (निर्दय हो जाना)- आतंकवादियों का हृदय पत्थर हो गया है, वे तो बच्चों को भी मार डालते हैं।

होंठ काटना (क्रोधित होना)- रामू का जवाब सुनकर उसके पिताजी ने होंठ काट लिए।

होम करना (बलिदान करना)- चंद्रशेखर और भगत सिंह ने देश के लिए अपने प्राण होम कर दिए।

हक अदा करना (कर्तव्य पालन करना)- मैंने अपना हक अदा कर दिया है। अब आप अपना कर्तव्य पूरा कीजिए।

हजम करना (हड़प लेना)- मेरा माल तुम इस तरह से हजम नहीं कर सकते। मैं तुम्हें छोड़ूँगा नहीं।

हत्थे चढ़ना (वश में आना)- यदि वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया तो बच नहीं पाएगा, सीधे फाँसी ही होगी।

हथेली पर जान लिए फिरना (मरने को तैयार रहना)- जो सच में बहादुर होता है, वह हथेली पर जान लिए फिरता है, किसी से नहीं डरता।

हरी झंडी दिखाना (आगे बढ़ने का संकेत करना)- इस योजना के लिए आप हरी झंडी दिखाएँ, तो हम लोग काम शुरू कर सकते हैं।

हक्का-बक्का रह जाना (हैरान रह जाना)- जब मुझे यह खबर मिली कि तुम्हारे पिता जी आतंकवादियों से मिले हुए हैं तो मैं तो हक्का-बक्का रह गया।

हवा बदलना (स्थिति बदलना)- अन्ना हजारे के आंदोलन के कारण हवा बदल चुकी है। अगले चुनाव के परिणाम पहले जैसे नहीं होंगे।

हवाइयाँ उड़ाना (चेहरे का रंग पीला पड़ जाना)- जब सबके सामने उसकी पोल पट्टी खुली तो उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।

हवाई किले बनाना (काल्पनिक योजनाएँ बनाना)- परिश्रम न कर केवल हवाई किले बनाने वाले कभी सफल नहीं होते।

हाथ को हाथ न सूझना (घना अंधकार होना)- घर में पार्टी चल रही थी कि अचानक बिजली चली गई। चारों ओर अँधेरा छा गया, हाथ को हाथ भी नहीं सूझ रहा था।

हाथोंहाथ बिक जाना (बहुत जल्दी बिक जाना)- करीम अपने खेत से ताजे खरबूज तोड़ कर मंडी में ले गया। सारे खरबूज हाथोंहाथ बिक गए।

हाथ साफ करना (चोरी करना)- बस की भीड़ में मेरी जेब पर किसी ने हाथ साफ कर दिया।

होश उड़ जाना (घबड़ा जाना)- घर पहुँच कर जब मैंने देखा कि माँ बेहोश पड़ी है तो मेरे होश उड़ गए।

हाथ-पाँव फूल जाना (घबरा जाना)- किचिन में थोड़ा-सा काम क्या बढ़ जाता है, मेरी पत्नी के तो हाथ-पैर फूल जाते हैं।

हाथपाई होना (मारपीट होना)- मेरी क्लास के दो बच्चों में आज हाथपाई हो गई और दोनों को चोट लग गई।

हुक्का पानी बंद करना (जाति से बाहर कर देना)- रमाकांत की बेटी ने अंतर्जातीय विवाह किया तो सारे गाँव के लोगों ने उसका हुक्का-पानी बंद कर दिया।

हेकड़ी निकालना (अभिमान चूर करना)- यदि मुझसे टक्कर ली तो मैं तुम्हारी सारी हेकड़ी निकालूँगा।

होड़ करना (प्रतिस्पर्धा करना)- बच्चों को आपस में हर मामले में होड़ नहीं करनी चाहिए।

होश सँभालना (वयस्क होना, समझदार होना)- बेचारे ने जब से होश सँभाला है तभी से गृहस्थी की चिंता में फँस गया है।

हौसला पस्त होना (हतोत्साहित होना)- जब इतनी मेहनत करने के बाद भी मनोनुकूल परिणाम नहीं मिलता तो हौसला पस्त होना स्वाभाविक ही है।

हौसला बढ़ाना (हिम्मत बढ़ाना)- अध्यापकों को चाहिए कि वे बच्चों का हौसला बढ़ाते रहें तभी बच्चे कुछ अच्छा कर पाएँगे।

हजामत बनाना- (ठगना)

हवा लगना- (संगति का प्रभाव (बुरे अर्थ में)

हवा खिलाना- (कहीं भेजना)

हड़प जाना- (हजम कर जाना)

हल्का होना- (तुच्छ होना, कम होना)

हल्दी-गुड़ पिलाना- (खूब मारना)

हवा पर उड़ना- (इतराना)

हृदय पसीजना- (दयार्द्र होना, द्रवित होना)

 

 

शरीर के अंगो पर मुहावरे

(1) 'आँख' पर मुहावरे

आँख या आँखों का तेल निकालना (महीन काम करना जिससे आँखों पर बहुत जोर पड़े)- दिन भर सुई में धागा पिरोते-पिरोते मेरी आँखों आँखों का तेल निकल गया।

आँख-कान खुले रखना (बहुत सर्तक रहना)- आजकल तो हमें हर जगह अपने आँख-कान खुले रखने चाहिए, वरना कोई भी दुर्घटना घट सकती हैं।

आँख का पानी गिरना या आँख का पानी मर जाना (निर्लज्ज होना)- राजू की आँख का पानी मर गया हैं, वह तो अपने पिता के सामने भी बीड़ी पीता हैं।

आँखों की पट्टी खुलना (भ्रम दूर होना)- प्रेम के आँख की पट्टी तब खुली जब ठग उसे ठगकर चला गया।

आँखें निकालना (क्रोधपूर्वक देखना)- अरे मित्र! फूल मत तोड़ो, माली आँखें निकाल रहा हैं।

आँखें नीची होना (लज्जित होना)- जब पुत्र चोरी के जुर्म में पकड़ा गया तो पिता की आँखें नीची हो गई।

आँखें फाड़ कर देखना (आश्चर्य से देखना)- अरे मित्र! आँखें फाड़कर क्या देख रहे हो, ये तुम्हारा ही घर हैं।

आँखें बंद होना (मर जाना)- थोड़ी-सी बीमारी के बाद ही उसकी आँखें बन्द हो गई।

आँखें बिछाना (प्रेम से स्वागत करना)- जब प्रधानमंत्री आए तो स्कूल में सबने आँखें बिछा दीं।

आँखें मूँदकर रखना (बिना सोचे-समझे करना)- अध्यापक ने बच्चों से कहा कि हमें कोई काम आँख मूँदकर नहीं करना चाहिए।

आँखों में चुभना (बुरा लगना)- मैंने मित्र से कहा कि मित्र, ये रंग आँखों में चुभ रहा हैं, तुम दूसरे रंग की शर्ट पहन लो।

आँखें खुलना (होश आना, सावधान होना)- जनजागरण से हमारे शासकों की आँखें अब खुलने लगी हैं।

आँखें चार होना (आमने-सामने होना)- जब आँखें चार होती है, मुहब्बत हो ही जाती है।

आँखें मूँदना (मर जाना)- आज सबेरे उसके पिता ने आँखें मूँद ली।

आँखें चुराना (नजर बचाना, अपने को छिपाना)- मुझे देखते ही वह आँखें चुराने लगा।

आँखों में खून उतरना (अधिक क्रोध करना)- बेटे के कुकर्म की बात सुनकर पिता की आँखों में खून उतर आया।

आँखों में गड़ना (किसी वस्तु को पाने की उत्कट लालसा)- उसकी कलम मेरी आँखों में गड़ गयी है।

आँखें फेर लेना (उदासीन हो जाना)- मतलब निकल जाने के बाद उसने मेरी ओर से बिलकुल आँखें फेर ली है।

आँख मारना (इशारा करना)- उसने आँख मारकर मुझे बुलाया।

आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना)- वह बड़ों-बड़ों की आँखों में धूल झोंक सकता है।

आँखें बिछाना (प्रेम से स्वागत करना)- मैंने उनके लिए अपनी आँखें बिछा दीं।

आँखों का काँटा होना (शत्रु होना)- वह मेरी आँखों का काँटा हो रहा है।

आँखों में पानी होना (शर्म-लिहाज होना)- रमेश की आँखों में पानी होता तो वह सबके सामने बड़े भाई का अनादर न करता।

आँखों में समाना (हमेशा ध्यान में रहना)- मुरली मनोहर श्याम तो मीराबाई की आँखों में समाए हुए थे।

आँखों से अंगारे/आग बरसना (अत्यधिक क्रोध आना)- जब रावण ने सीता का हरण कर लिया तो श्री राम की आँखों से अंगारे बरसने लगे थे।

आँखों से उतरना (मूल्य या सम्मान कम होना)- जब से विवेक ने अपने पिता को जवाब दिया हैं तब से रामू उनकी आँखों से उतर गया हैं।

आँखों से चिनगारियाँ निकलना (गुस्से या क्रोध से आँखें लाल होना)- जब रोहन ने मुझसे अपशब्द कहे तो मेरी आँखों से चिनगारियाँ निकलने लगी।

आँखों में सरसों फूलना (हरियाली ही हरियाली दिखाई देना अथवा मन उल्लास से भरना)- जब राहुल की लॉटरी खुल गई तो उसकी आँखों में सरसों फूलने लगी।

आँखों से परदा हटना (असलियत का पता लगना)- जब मुझे यह ज्ञात हुआ कि सादा ढंग से रहने वाला शेखर अमीर हैं तो मेरी आँखों से परदा हट गया।

आँखों पर बिठाना (बहुत आदर-सत्कार करना)- जब मोहन के घर कोई मेहमान आता हैं तो वह उसे आँखों पर बिठाकर रखता हैं।

आँखें आना (आँखों में लाली/सूजन आ जाना)- मेरी आँखें आ गई हैं इसलिए मैंने काला चश्मा लगा रखा है।

आँख उठाना (नुकसान करने की कोशिश करना)- यदि तुम्हारी ओर किसी ने आँख भी उठाई तो मैं उसे छोड़ूँगा नहीं।

आँख-कान खुले रखना (सतर्क रहना)- यहाँ यह पता करना कठिन है कि कौन मित्र है और कौन शत्रु। अतः हमेशा आँख-कान खुले रखो।

आँखें पथरा जाना (राह देखते-देखते थक जाना)- कृष्ण के लौटकर आने की प्रतीक्षा में गोपियों की आँखें पथरा गई।

आँखों पर पर्दा पड़ना (भले-बुरे की पहचान न होना)- क्या तुम्हारी आँखों पर पर्दा पड़ा है जो तुम्हें यह भी दिखाई नहीं देता कि तुम्हारा बेटा आजकल क्या गुल खिला रहा है ?

आँखों में घर करना (मन में जगह बना लेना)- अच्छे बच्चे सभी अध्यापकों की आँखों में घर कर लेते हैं।

आँखों में चर्बी छाना (घमंड में चूर होना)- रिश्वत और बेईमानी का पैसा उसे क्या मिला है, उसकी आँखों में तो चर्बी चढ़ गई है।

आँख लगना (प्रेम करना, जरा-सी नींद आना)- आँख लगी ही थी कि अचानक फोन की घंटी सुनकर वह उठ बैठा।

आँखों में रात काटना (चिंता/कष्ट के कारण सो न पाना)- पूनम के पति को पुलिसवाले न जाने क्यों थाने ले गए। वह रात भर नहीं लौटा, बेचारी पूनम की तो सारी रात आँखों में ही कटी।

आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना)- चोर पुलिसवाले की आँखों में धूल झोंककर गायब हो गया।

आँख दिखाना (क्रोध करना)- मुझे क्यों आँखें दिखा रहे हो, मैंने तो तुम्हारी शिकायत नहीं की थी ?

आँखें ठंढी होना- (इच्छा पूरी होना)

आँखें लड़ना- (देखादेखी होना, प्रेम होना)

आँखें लाल करना- (क्रोध की नजर से देखना)

आँखें थकना- (प्रतीक्षा में निराश होना)

आँखों में खटकना- (बुरा लगना)

आँखें नीली-पीली करना- (नाराज होना)

आँख का अंधा, गाँठ का पूरा- (मूर्ख धनवान)

आँखों की किरकिरी होना- (शत्रु होना)

आँखों का प्यारा या पुतली होना- (बहुत प्यारा होना)

आँखों का पानी ढल जाना- (लज्जारहित हो जाना)

आँखें सेंकना- (किसी की सुन्दरता देख आँखें जुड़ाना)

आँखें गड़ाना- (दिल लगाना, इच्छा करना)

आँख फड़कना- (सगुन उचरना)

आँख रखना- (ध्यान रखना)

आँख में पानी रखना- (मुरौवत रखना)

(2) अँगूठा पर मुहावरे

अँगूठा चूमना- (खुशामद करना)

अँगूठा दिखाना- (देने से इंकार करना)

अँगूठा नचाना- (चिढाना)

(3) आँसू पर मुहावरे

आँसू पोंछना- (धीरज बँधाना)

आँसू बहाना- (खूब रोना)

आँसू पी जाना- (दुःख को छिपा लेना)

(4) ओठ पर मुहावरे

ओठ चाटना- (स्वाद की इच्छा रखना)

ओठ मलना- (दण्ड देना)

ओठ चबाना- (क्रोध करना)

ओठ सूखना- (प्यास लगना)

(5) ऊँगली पर मुहावरे

ऊँगली उठना- (निन्दा होना)

ऊँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना- (थोड़ा-सा सहारा पाकर अधिक के लिए उत्साहित होना)

कानों में ऊँगली देना- (किसी बात को सुनने की चेष्टा न करना)

पाँचों उँगलियाँ घी में होना- (सब प्रकार से लाभ-ही-लाभ)

सीधी ऊँगली से घी न निकलना- (भलमनसाहत से काम न होना)

(6)  'कान' पर मुहावरे

कान खोलना (सावधान करना)- मैंने उसके कान खोल दिये। अब वह किसी के चक्कर में नहीं आयेगा।

कान खड़े होना (होशियार होना)- दुश्मनों के रंग-ढंग देखकर मेरे कान खड़े हो गये।

कान फूंकना (दीक्षा देना, बहकाना)- मोहन के कान सोहन ने फूंके थे, फिर उसने किसी की कुछ न सुनी।

कान लगाना (ध्यान देना)- उसकी बातें कान लगाने योग्य हैं।

कान भरना (पीठ-पीछे शिकायत करना)- तुम बराबर मेरे खिलाफ अफसर के कान भरते हो।

कान में तेल डालना (कुछ न सुनना)- मैं कहते-कहते थक गया, पर ये कान में तेल डाले बैठे हैं।

कान पर जूँ न रेंगना (ध्यान न देना, अनसुनी करना)- सरकार तो बड़ी-बड़ी बातें कहती है, मगर अफसरों के कान पर जूँ नहीं रेंगती।

कान देना (ध्यान देना)- शिक्षकों की बातों पर कान दीजिए।

कान उमेठना- (शपथ लेना)

कान पकड़ना- (प्रतिज्ञा करना)

कानों कान खबर होना- (बात फैलना)

कान काटना- (बढ़कर काम करना)

(7)  कलेजा पर मुहावरे 

कलेजे से लगाना- (प्यार करना, छाती से चिपका लेना)

कलेजा काँपना- (डरना)

कलेजा थामकर रह जाना- (अफसोस कर रह जाना)

कलेजा निकाल कर रख देना- (अतिप्रिय वस्तु अर्पित कर देना)

कलेजा ठंढा होना- (संतोष होना)

 

(8)  'नाक' पर मुहावरे

नाक कट जाना (प्रतिष्ठा नष्ट होना)- पुत्र के कुकर्म से पिता की नाक कट गयी।

नाक काटना (बदनाम करना)- भरी सभा में उसने मेरी नाक काट ली।

नाक-भौं चढ़ाना (क्रोध अथवा घृणा करना)- तुम ज्यादा नाक-भौं चढ़ाओगे, तो ठीक न होगा।

नाक में दम करना (परेशान करना)- शहर में कुछ गुण्डों ने लोगों की नाक में दम कर रखा है।

नाक का बाल होना (अधिक प्यारा होना)- मैनेजर मुंशी की न सुनेगा तो किसकी सुनेगा ?वह तो आजकल उसकी नाक का बाल बना हुआ है।

नाक रगड़ना (दीनतापूर्वक प्रार्थना करना)- उसने मालिक के सामने बहुत नाक रगड़ी, पर सुनवाई न हुई।

नाकों चने चबवाना (तंग करना)- भारतीयों ने अंगरेजों को नाकों चने चबवा दिये।

नाक पर मक्खी न बैठने देना (निर्दोष बचे रहना)- उसने कभी नाक पर मक्खी बैठने ही न दी।

नाक पर गुस्सा (तुरन्त क्रोध)- गुस्सा तो उसकी नाक पर रहता है।

नाक रखना- (प्रतिष्ठा रखना)

(9) 'मुँह' पर मुहावरे

मुँह छिपाना (लज्जित होना)- वह मुझसे मुँह छिपाये बैठा है।

मुँह पकड़ना (बोलने से रोकना)- लोकतन्त्र में कोई किसी का मुँह नहीं पकड़ सकता।

मुँह की खाना (बुरी तरह हारना)- अन्त में उसे मुँह की खानी पड़ी।

मुँह दिखाना (प्रत्यक्ष होना)- तुमने ऐसा कुकर्म किया है कि अब किसी के सामने मुँह दिखाने के लायक न रहे।

मुँह उतरना (उदास होना)- परीक्षा में असफल होने पर श्याम का मुँह उतर आया।

मुँह खुलना- (उदण्डतापूर्वक बातें करना, बोलने का साहस होना)

मुँह देना, या डालना- (किसी पशु का मुँह डालना)

मुँह बन्द होना- (चुप होना)

मुँह में पानी भर आना- (ललचना)

मुँह से लार टपकना- (बहुत लालची होना)

मुँह काला होना- (कलंक या दोष लगना)

मुँह धो रखना- (आशा न रखना)

मुँह पर (या चेहरे पर) हवाई उड़ना)- (घबराना)

मुँहफट हो जाना- (निर्लज्ज होना)

मुँह फुलाना- (रूठ जाना)

मुँह बनाना- (असंतुष्ट होना)

मुँह मोड़ना- (ध्यान न देना)

मुँह लगाना- (सिर चढ़ाना)

मुँह रखना- (लिहाज रखना)

मुँहदेखी करना- (पक्षपात करना)

मुँह चुराना- (संकोच करना)

मुँह में लगाम न होना- (जो मुँह में आवे सो कह देना)

मुँह चाटना- (खुशामद करना)

मुँह भरना- (घूस देना)

मुँह लटकना- (रंज होना)

मुँह आना- (मुँह की बीमारी होना)

मुँह की खाना- (परास्त होना)

मुँह सूखना- (भयभीत होना)

मुँह ताकना- (किसी का आसरा करना)

मुँह में खून लगना- (बुरी चाट पड़ना, चसका लगना)

मुँह फेरना- (अकृपा करना)

मुँह मीठा करना- (प्रसन्न करना)

मुँह से फूल झड़ना- (मधुर बोलना)

मुँह में घी-शक्कर- (किसी अच्छी भविष्यवाणी का अनुमोदन करना)

मुँह से मुँह मिलाना- (हाँ-में-हाँ मिलाना, बही-खाता आदि में हिसाब सही न लिखकर भी जमा-खर्च या उत्तर सही लिख देना )

(10) 'दाँत' पर मुहावरे

दाँत दिखाना (खीस काढ़ना)- खुद ही देर की और अब दाँत दिखाते हो।

दाँत तले ऊँगली दबाना (चकित होना)- ढाके की मलमल देखकर इंगलैण्ड के जुलाहे दाँतों तले ऊँगली दबाते थे।

दाँत काटी रोटी (गहरी दोस्ती)- राम के पिता से श्याम के पिता की दाँत काटी रोटी है।

दाँत गिनना (उम्र पता लगाना)- कुछ लोग ऐसे है कि उनपर वृद्धावस्था का असर ही नहीं होता। ऐसे लोगों के दाँत गिनना आसान नहीं।

दाँत खट्टे करना- (पस्त करना)

तालू में दाँत जमना- (बुरे दिन आना)

दाँत जमाना- (अधिकार पाने के लिए दृढ़ता दिखाना)

दाँत गड़ाना- (किसी वस्तु को पाने के लिए गहरी)

दाँत गिनना- (उम्र बताना)

(11) 'बात' पर मुहावरे

बात का धनी (वायदे का पक्का)- मैं जानता हूँ, वह बात का धनी है।

बात की बात में (अति शीघ्र)- बात की बात में वह चलता बना।

बात चलाना (चर्चा चलाना)- कृपया मेरी बेटी के ब्याह की बात चलाइएगा ।

बात तक न पूछना (निरादर करना)- मैं विवाह के अवसर पर उसके यहाँ गया, पर उसने बात तक न पूछी।

बात बढ़ाना (बहस छिड़ जाना)- देखो, बात बढाओगे तो ठीक न होगा।

बात बनाना (बहाना करना)- तुम्हें बात बनाने से फुर्सत कहाँ ?

(12) 'सिर' पर मुहावरे

सिर उठाना (विरोध में खड़ा होना)- देखता हूँ, मेरे सामने कौन सिर उठाता है ?

सिर भारी होना (सिर में दर्द होना, शामत सवार होना)- मेरा सिर भारी हो रहा है। किसका सिर भारी हुआ है जो इसकी चर्चा करें ?

सिर पर सवार होना (पीछे पड़ना)- तुम कब तक मेरे सिर पर सवार रहोगे ?

सिर से पैर तक (आदि से अन्त तक)- तुम्हारी जिन्दगी सिर से पैर तक बुराइयों से भरी है।

सिर पीटना (शोक करना)- चोर उस बेचारे की पाई-पाई ले गये। सिर पीटकर रह गया वह।

सिर पर भूत सवार होना (एक ही रट लगाना, धुन सवार होना)- मालूम होता है कि घनश्याम के सिर पर भूत सवार हो गया है, जो वह जी-जान से इस काम में लगा है।

सिर फिर जाना (पागल हो जाना)- धन पाकर उसका सिर फिर गया है।

सिर चढ़ाना (शोख करना)- बच्चों को सिर चढ़ाना ठीक नहीं।

सिर आँखों पर होना- (सहर्ष स्वीकार होना)

सिर पर चढ़ना- (शेख होना)

सिर ऊँचा करना- (आदर का पात्र होना)

सिर खाना- (बकवास करना)

सिर झुकाना- (आत्मसमर्पण करना)

सिर पर पांव रखकर भागना- (बहुत जल्द भाग जाना)

सिर पड़ना- (नाम लगना)

सिर खुजलाना- (बहाना करना)

सिर धुनना- (शोक करना)

सिर चढ़कर बोलना- (छिपाये न छिपना)

सिर मारना- (प्रयत्न करना)

सिर पर खेलना- (प्राण दे देना)

सिर गंजा कर देना- (मारने का भय दिखाना)

सिर पर कफन बाँधना- (शहादत के लिए तैयार होना)

(13) 'गर्दन' पर मुहावरे

गर्दन उठाना (प्रतिवाद करना)- सत्तारूढ़ सरकार के विरोध में गर्दन उठाना टेढ़ी खीर है।

गर्दन पर सवार होना (पीछा न छोड़ना)- जब देखो, तब मेरी गर्दन पर सवार रहते हो।

गर्दन काटना (जान से मारना, हानि पहुँचाना)- वह तो उनकी गर्दन काट डालेगा। झूठी शिकायत कर क्यों गरीब की गर्दन काटने पर तुले हो ?

गर्दन पर छुरी फेरना- (अत्याचार करना)

(14)  हाथ पर मुहावरे

हाथ आना- (अधिकार में आना)

हाथ खींचना- (अलग होना)

हाथ खुजलाना- (किसी को पीटने को जी चाहना

हाथ देना- (सहायता देना)

हाथ पसारना- (माँगना)

हाथ बँटाना- (मदद करना)

हाथ लगाना- (आरंभ करना)

हाथ मलना- (पछताना)

हाथ गरम करना- (घूस देना)

हाथ चूमना- (हर्ष व्यक्त करना)

हाथ धोकर पीछे पड़ना- (जी-जान से लग जाना)

हाथ पर हाथ धरे बैठना- (बेकार बैठे रहना)

हाथ फैलना- (याचना करना)

हाथ मारना- (उड़ा लेना, लाभ उठाना)

हाथ साफ करना- (मारना, उड़ा लेना, खूब खाना)

हाथ धो बैठना- (आशा खो देना)

हाथापाई करना- (मुठभेड़ होना)

हाथ पकड़ना- किसी स्त्री को पत्नी बनाना, आश्रय देना)

(15)  मिथकीय/ऐतिहासिक नामों से संबद्ध मुहावरे 

अलाउदीन का चिराग- (आश्चर्यजनक वस्तु)

इन्द्र का अखाड़ा- (रास-रंग से भरी सभा)

इन्द्रासन की परी- (बहुत सुंदर स्त्री)

कर्ण का दान- (महादान)

कारूं का खजाना- (अतुल धनराशि)

कुबेर का धन/कोश- (अतुल धनराशि)

कुम्भकर्णी नींद- (बहुत गहरी, लापरवाही की नींद)

गोबर गणेश- (मूर्ख, बुद्धू, निकम्मा)

गोरख धंधा- (बखेड़ा, झंझट)

चाणक्य नीति- (कुटिल नीति)

छुपा रुस्तम- (असाधारण किन्तु अप्रसिद्ध गुणी)

तीसमार खां बनना- (अपने को बहुत शूरवीर समझना और शेखी बघारना)

तुगलकी फरमान- (जनता की सुविधा-असुविधा का ख्याल किये बिना जारी किया गया शासनादेश

दूर्वासा का रूप- (बहुत क्रोध करना)

दुर्वासा का शाप- (उग्र शाप)

धन-कुबेर- (अधिक धनवान)

नादिरशाही हुक्म- (मनमाना हुक्म)

नारद मुनि- (इधर-उधर की बातें कर कलह कराने वाला व्यक्ति)

परशुराम का कोप- (अत्यधिक क्रोध)

पांचाली चीर- (बड़ी लंबी, समाप्त न होनेवाली वस्तु)

ब्रह्म पाश/फांस- (अत्यधिक मजबूत फंदा)

भगीरथ प्रयत्न- (बहुत बड़ा प्रयत्न)

भीष्म प्रतिज्ञा- (कठोर प्रतिज्ञा)

महाभारत- (भयंकर झगड़ा, भयंकर युद्ध)

महाभारत मचना- (खूब लड़ाई-झगड़ा होना)

यमलोक भेजना- (मार डालना)

राम बाण- (तुरन्त प्रभाव दिखाने या कभी न चूकने वाली चीज)

राम राज्य- (ऐसा राज्य जिसमें बहुत सुख हो)

राम कहानी- (अपनी कहानी, आपबीती)

राम जाने- (मुझे नहीं मालूम, एक प्रकार की शपथ खाना)

राम नाम सत्त हो जाना- (मर जाना)

रामबाण औषध- (अचूक दवा)

राम राम करना- (नमस्कार करना, भगवान का नाम जपना)

लंका काण्ड- (भयंकर विनाश)

लंका ढहाना- (किसी का सत्यानाश कर देना)

लक्ष्मण रेखा- (अलंघ्य सीमा या मर्यादा)

विभीषण- (घर का भेदी/ भेदिया)

शेखचिल्ली के इरादे- (हवाई योजना, अमल में न आने वाले (कार्य रूप में परिणत न होने वाले) इरादे

सनीचर सवार होना- (दुर्भाग्य आना, बुरे दिन आना)

सुदामा की कुटिया- (गरीब की झोंपड़ी)

हम्मीर हठ-(अनूठी आन)

हातिमताई- (दानशील, परोपकारी)

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