त्रिकोणासन क्या है और कैसे करे इसे करने के क्या फायदे है
इस लेख के हम जानेंगे कि त्रिकोणासन क्या है और कैसे करते है त्रिकोणासन करने से क्या फायदे होते हैं इन बातों पर चर्चा करेंगे. तो आइए जाने त्रिकोण आसन किसे कहते है.
त्रिकोणासन दो शब्दों से मिलकर बना है त्रिकोण + आसन इसका अर्थ है त्रिकोण की तरह बैठना होता है. इस आसन को करते समय शरीर की अवस्था त्रिकोण के समान हो जाती है अतः इसीलिए इस आसन को त्रिकोण आसन कहा जाता है.
त्रिकोणासन कैसे करें
दोनों पैर लगभग 2 फुट की दूरी तक फैला कर सावधान की स्थिति में खड़े हो इसके पश्चात एक पैर बगल की ओर मोड़ें और इतना मोड़ें कि वह समकोण की स्थिति में हो जाए. उसके बाद रेचक करके जो पैर मोड़ा हो उसी और के हाथ से उस पैर को स्पर्श करें तथा दूसरा हाथ सिर की ओर खींचकर ऐसे लगाएं जिससे वह उस ओर के कान को स्पर्श कर सकें. इसी प्रकार दूसरे पैर को मोड़कर दूसरी ओर भी करें. इस आसन को सावधानी पूर्वक करें. इस आसन को करते समय शरीर में स्थिरता नहीं आनी चाहिए. आसन को धीरे धीरे धीरे धैर्यपूर्वक करना चाहिए. आसन करते समय शरीर के अंगों को मोड़ते समय सावधानी रखें और मेरुदंड सीधा रखें. एक तरफ कर लेने पर जब सीधे खड़े हो जाएं तब पूरक करें. तब तक कुंभक कायम रखें.
त्रिकोणासन करने के क्या फायदे है
- इस आसन से नाड़ी तंत्र में चेतना उत्पन्न होती है.
- हाथ पैरों की मांसपेशियां मजबूत व लचीली बनती है तथा उनमें शक्ति उत्पन्न होती है.
- पेट का मोटापा दूर हो जाता है शरीर की फालतू चर्बी घटती है.
- रीढ़ की हड्डी में लचक बढ़ती है और शरीर में स्फूर्ति बढ़ती है.
- कमर पतली होती है तथा कमर के दर्द दूर हो जाते हैं.
- कब्ज समाप्त होती है और पाचन क्रिया सुधरती है.
- दिल मजबूत बनता है.
- गृध्रसी वायु में यह आसन बहुत लाभदायक सिद्ध होता है.
- रक्त संचरण की तीव्रता से शरीर स्वस्थ और निरोगी बनता है.
- गर्भावस्था में स्त्रियों को यह आसन नही करना चाहिए.
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