हरिवंशराय बच्चन जी का जीवन परिचय
जीवन परिचय
श्री हरिवंशराय बच्चन जी का जन्म 21 नवंबर 1907 ई० को उत्तर प्रदेश के प्रयाग (इलाहाबाद) के एक साधारण कायस्थ परिवार में हुआ था। इन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से एम० ए० तथा पीएच० डी० की उपाधि ग्रहण की सन 1955 ई० में भारत सरकार ने इन्हें विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ के पद पर नियुक्त किया। इन्हें सोवियत लैंड तथा साहित्य अकैडमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने इन्हें 'पद्मभूषण' की उपाधि से अलंकृत किया। 18 जनवरी सन 2003 में इनका निधन हो गया था।
रचनाएं
रचनाएं - हरिवंश राय बच्चन जी की प्रमुख काव्य रचनाएं मधुशाला मधुबाला मधुकलश निशा निमंत्रण एकांत संगीत आकुल अंतर मिलन यामिनी संत अग्रणी आरती और अंगारे नए पुराने झरोके टूटी फूटी करिया बुध और नाच घर इन्होंने आत्मकथा के चार खंड अनुवाद और प्रभास की डायरी भी लिखी है
साहित्यिक विशेषताएं
साहित्यिक विशेषताएं - श्री हरिवंशराय बच्चन जी ने साहित्य में मस्ती और प्रेम भरकर इसे एक नया मोड़ दिया है। इन्होंने प्रेम और सौंदर्य को जीवन का अभिन्न अंग मानकर उसका चित्रण किया है। उनके साहित्य में मानव के प्रति प्रेम-भावना अभिव्यक्त हुई है। इन्होंने हमेशा स्वार्थी मनुष्य पर कटु व्यंग किए हैं। और मानवतावाद का प्रचार किया है। उनकी इस व्यक्तिगत भावना में सामाजिक भावना मिली हुई है। एक कवि की निजी अनुभूति भी अर्थात सुख-दुख का चित्रण भी समाज का ही चित्रण होता है। बच्चन जी ने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर जीवन और संसार को समझा और परखा है छायावादी कवियों की भारतीय भांति उनके काव्य में रहस्यात्मकता की अभिव्यक्ति हुई है।
भाषा शैली
भाषा शैली - हरिवंशराय बच्चन की भाषा शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली है। संस्कृत के तत्सम शब्दावली की अधिकता से प्रयोग हुआ है। इसके साथ-साथ तद्भव शब्दावली उर्दू फारसी अंग्रेजी आदि भाषाओं के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है। कवि ने प्रांजल शैली का प्रयोग किया है जिसके कारण इनका साहित्य लोकप्रिय हुआ है। इन्होंने गीति शैली का प्रयोग किया है। इन्होंने अपने काव्य में शब्दालंकार अर्थालंकार दोनों का सफल प्रयोग किया है। अलंकारों के प्रयोग से इनके साहित्य में और ज्यादा निखार और सौंदर्य उत्पन्न हो गया हैं। इनके साहित्य में अनुप्रास यम श्लेष पदमैत्री स्वरमैत्री पुनरुक्ति प्रकाश उपमा रूपक मानवीकरण अलंकारों का प्रयोग हुआ है। ये हिंदी साहित्य के लोकप्रिय कवि माने जाते हैं।
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