Q.1 भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी ? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा ?
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भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था जो समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक होता है। भक्तिन एक गरीब महिला थी जबकि उसका नाम लक्ष्मी था। वह धनहीन थी लेकिन इसके साथ वह बहुत समझदार भी थी। लोग उसके इस नाम को सुनकर उसकी हंसी न उड़ाए इसीलिए वह अपना वास्तविक नाम छुपाती थी। भक्तिन को यह नाम लेखिका ने दिया था। लेखिका ने या नाम शायद भक्तिन की सेवा भावना और कर्तव्य परायण को देखकर दिया होगा क्योंकि भक्तिन में एक सच्ची सेविका के संपूर्ण गुण विद्यमान थे जिस पर कोई भी स्वामी गर्व कर सकता है।
Q.2 भक्तिन के चरित्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
भक्तिन का चरित्र चित्रण कीजिए
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Q.3 भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा ?
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भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं लेखिका ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि कभी-कभी भक्तिन उसके घर में इधर-उधर पड़े पैसों को भंडार घर की मटकी में छिपा देती थी। जिस बात से लेखिका को क्रोध आ जाता था उसे वह बदलकर इधर-उधर करके बताया करती थी। वह ऐसा ऐसी बात को अपनी और से और चुटीली बनाकर कहा करती तथा थोड़ा झूठ सच का मिश्रण कर बात को बदल देती थी।
Q.4 भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया ?
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लेखिका ने भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का यह उधारण दिया है "शास्त्र का प्रश्न भी भक्तिन अपनी सुविधा के अनुसार सुलझा लेती है। मुझे स्त्रियों का सिर घुटाना अच्छा नहीं लगता था। अतः मैंने भक्तिन को रोका। उसने अकुंठित भाव से उतर दिया कि शास्त्र में लिखा है कोतूहल में पूछ बैठी - क्या लिखा है ? तुरंत उत्तर मिला - 'तीरथ गए मुड़ाए सिद्ध' कौन से शास्त्र का यह रहस्यमय सूत्र हे, यहां जान लेना मेरे लिए संभव ही नही था। अतः मैं हार कर मौन ही रही और भक्तिन का चूड़ा कर्म हर बृहस्पतिवार को एक दरिद्र नापित के गंगाजल से धुले अस्तुरे द्वारा यथा विधि निष्पन्न होता रहा।
Q.5 भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई ?
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भक्तिन एक देहाती अर्थात ग्रामीण महिला थी जो अनपढ़ थी। इसीलिए वह बिल्कुल देहाती भाषा का प्रयोग किया करती थी। भक्तिन एक देहाती होने के साथ-साथ समझदार भी थी। उसका स्वभाव ऐसा बन चुका था कि वह दूसरों को तो अपने मन के अनुसार बना लेती थी लेकिन अपने अंदर किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं चाहती थी। महादेवी वर्मा बार-बार प्रयास करके भी उसके स्वभाव को परिवर्तित ना कर सकी इसीलिए भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती हो गई।
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